तेरे गीतों की स्वरलहरी पर
कदम मेरे मचल जाते हैं
तू बादल बन छा जाता है
मैं मोर सी थिरक जाती हूँ
तेरे गीतों के बोलो पर
दिल मेरा तड़प जाता है
तू दर्द बन छा जाता है
मैं आंसुओं में डूब जाती हूँ
तेरी गीतों की हर धुन पर
इक आह सी निकल जाती है
तू भंवरा सा गुनगुनाता है
मैं कली सी शरमा जाती हूँ
11 टिप्पणियां:
श्रंगार रस से भरी हुई ...वाह
bhut acchi rachna
सुन्दर रचना!
गीतों की स्वर-लहरी पर,अरमान मचल जाते हैं।
आँसू के सैलाबों से, पाषाण पिघल जाते हैं।।
गम के नगमें सुन कर, मन से आह निकल जाती है।
दुख में जीवन जीने की, इक राह निकल जाती है।।
bahut sunder vandana ji, aapki rachnaon men kuchh apnapan mil
सुन्दर रूमानी भाव लिए है यह रचना ..बढ़िया
बहुत सुन्दर रचना..
शुभकामनायें
वन्दना है, प्रार्थना है,
अर्चना है, साधना है.
प्यार पूजा-पाठ है-
प्यार ही आराधना है.
वाह .... सुंदर .... आज कल तेवर बदले हुये हैं :)
सुन्दर रचना
ati sundar rachana
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