कस्तूरी जो बिखरी हर दिल महका गयी
यूँ लगा चाँद की चाँदनी दिन मे ही छा गयी
विमोचन कस्तूरी का
दोस्तों 22 अगस्त शाम साढ़े चार बजे हिंदी भवन में कस्तूरी के विमोचन का था जिसमे प्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह जी, कवि डॉ श्याम सखा श्याम जी, श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी जी मुख्य अतिथि थे । अंजू चौधरी और मुकेश कुमार सिन्हा के सम्पादन मे हिन्द युग्म के सौजन्य से कस्तूरी ने अपनी महक से सारे हिन्दी भवन को महका दिया। सबसे पहले कवियों द्वारा काव्य पाठ किया गया मगर नामवर सिंह जी को जल्दी जाना था इस वजह से काव्य पाठ बीच मे रोक कर उनको सबने सुना । उसके बाद बाकी के कवियों की बारी आयी । सभी ने अपने अपने विचारों से अवगत कराया। कवि डॉ श्याम सखा श्याम जी ने अपने अन्दाज़ मे कविता , गज़ल आदि की बारीकियों से अवगत कराया साथ मे चुटीले अन्दाज़ मे अपनी रचनायें प्रस्तुत कीं। इसी प्रकार
श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी जी ने बहुत गहनता से कस्तूरी के कवियों की कविताओं के बारे मे अपने विचार प्रस्तुत किये साथ ही अपने विचारों से भी अवगत कराया।
उसके बाद आखिरी मे हमारा नम्बर आया और तब समझ आया हाय रे ये एल्फ़ाबैटिकल आर्डर ………हम फ़ंस गये उसमे और
दिल के अरमाँ आंसुओं मे बह गये ………
दिल की ये आरजू थी नामवर सिंह जी के आगे काव्य पाठ करें ………
मगर ये ना थी हमारी किस्मत कि उनके आगे काव्य पाठ कर पाते ………
हमसे का भूल हुयी जो ये सज़ा हमका मिली……
अभी हम ये सोच ही रहे थे कि नामवर सिंह जी चल दिये और चलते चलते हमने उनसे अपनी किताब पर उनके हस्ताक्षर ले लिये तो जाके लगा चलो वो नही तो ये ही सही भागते चोर की लंगोटी ही सही :) ………दिल बहलाने को गालिब ख्याल अच्छा है ……है ना :)
बस उसके बाद जैसे ही मदन साहनी जी ने आवाज़ दी तो हम चौंक गये कि हमे ही दी है ना या किसी और को ………आखिर वन्दना गुप्ता के आगे उन्होने डाक्टर लगा दिया ……सबसे पहले तो वो ही गलतफ़हमी दूर की कि हम तो एक साधारण गृहिणी हैं मगर लक्ष्मी शंकर वाजपेयी जी कब पीछे रहने वाले थे तपाक से बोले तो क्या हुआ हो जायेंगी ………सोचिये ज़रा क्या हाल हुआ होगा हमारा ………बडे बडे दिग्गज इस तरह हौसला अफ़ज़ाई जहाँ कर रहे हों तो वहाँ जोश बढना लाज़िमी है ही ………और बढ गया हमारा भी जोश और हमने भी एक कविता का पाठ आखिर कर ही दिया …………जिसे आप यहाँ सुन भी सकते हैं और चित्रों के साथ पूरे कार्यक्रम का आनन्द भी ले सकते हैं …………लिंक लगा रही हूँ ………
http://yourlisten.com/channel/content/16910325/kasturi?rn=rhzfcha9xlhc
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उसके बाद अंजू जी और मुकेश जी के कविता पाठ के बाद धन्यवाद देते हुये कार्यक्रम का समापन हुआ ……उसके बाद जलपान के साथ सभी दोस्तों ने एक दूसरे के साथ अपनी यादों को संजोया जो उम्र भर साथ रहेंगी।
अब वहाँ तो हमारा नम्बर आखिरी था
सोचा यहाँ तो पहले ही लगा दें क्या फ़र्क पडता है
ये कविता पाठ का शुरुआती लम्हा
जब हमने मदन साहनी जी को बताया
कि हम तो एक गृहिणी हैं :)
ये वो लम्हा है जब लक्ष्मी वाजपेयी जी ने हौसला अफ़ज़ाई की
यहाँ हम भी लगे थे अपने काव्य पाठ मे
मदन साहनी जी कार्यक्रम का संचालन करते हुये
विमोचन के लम्हात
विमोचन से पहले के कुछ पल
कस्तूरी के विमोचन के अभूतपूर्व क्षण
ये नामवर सिंह जी के साथ वहाँ उपस्थित प्रतिभागी
कवियों की ज़िन्दगी के स्वर्णिम पल
यहाँ फ़ुर्सत मे राजीव जी के साथ
रंजना भाटिया जी के साथ
तीन देवियाँ तीन रंग
ध्यानपूर्वक सुनते हुये
आनन्द द्विवेदी जी गज़लों को पेश करते हुये
लक्ष्मी शंकर वाजपेयी जी अपना वक्तव्य देते हुये
गुंजन अग्रवाल काव्य पाठ करती हुईं
डाक्टर श्याम सखा श्याम जी अपने चुटीले अन्दाज़ मे
साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर नामवर सिंह जी का वक्तव्य
तराजीव तनेजा जी और संजू जी के साथ कुछ पल
मुकेश कुमार सिन्हा अपना भाषण देते हुये
मुकेश और अंजू समारोह शुरु होने से पहले फ़ुर्सत के पलो मे
सुनीता शानू जी के साथ संजू जी
मेड फ़ार ईच अदर
आनन्द द्विवेदी जी अपनी चिर परिचित मुस्कान के साथ
वन्दना ग्रोवर जी के साथ
वन्दना सिंह जी काव्य पाठ करते हुये जिनसे पहली बार मिलना हुआ
वरना तो फ़ेसबुक के माध्यम से ही एक दूसरे को जानते थे
ये राजीव जी का कमाल समेट लिया एक ही चित्र मे तीन अन्दाज़
पीछे सफ़ेद सूट मे मुकेश की श्रीमति जी और साथ मे गुंजन
हाय ! कौन ना मर जाये इस मुस्कान पर
राजीव तनेजा जी अशोक जी और लक्ष्मी शंकर जी के साथ
लगता है अपनी कातिलाना अदाओं से
आज घायल करके ही रहेंगी दोनो मोहतरमा
मीनाक्षी काव्य पाठ करते हुये
ये निरुपमा को तो लगता है जैसे कोई खज़ाना हाथ लग गया है
देखिये तो सही ये मुस्कान ……क्या यही नही कह रही
कवि सुजान के साथ राजीव जी
हम बने तुम बने एक दूजे के लिये
कस्तूरी की महक मे खोये सभी
तो दोस्तों ये था कस्तूरी के विमोचन का आँखों देखा हाल
फिर मिलेंगे किसी और सफ़र मे
तब तक आप इसका आनन्द लीजिये
चित्र ………राजीव तनेजा जी साभार