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रविवार, 30 जनवरी 2011

मौत! तुम्हारा स्वागत है

मौत! तुम्हारा
स्वागत है
तुम ही तो
जीवन का 
शाश्वत
सत्य हो
जीवन 
क्षणभंगुर 
अस्थिर है 
मगर तुम
अटल हो
जीवन
दुश्वारियों 
दुश्चिंताओं 
उलझनों का 
समन्वय है 
मगर तुम
मुक्तिबोध 
कराती हो
हर चिंता से 
मुक्त कराती हो 
मौत तुम तो
दुखो की 
विश्रांति  का 
काल हो 
एक नव सृजन
के लिए 
जीवन को
राह दिखाती हो
तुम 
विध्वंसकारी कहाँ ?
तुम तो 
नव निर्माण 
कराती हो
मौत तुम तो
निरंतर बहता 
झरना हो
जो मुरझाये
टूटे बिखरे 
जीवन को 
नव चेतना 
से पुनर्जीवित 
करती हो
तुम्हारे अनवरत
बहते झरने में 
डुबकी लगाते ही
नव पुष्प सा 
नव जीवन का 
सृजन होता है
मौत तुम ही तो
सृष्टि का आधार हो
संहारक  नहीं
नव सृजन 
की वाहक हो
हाँ  मौत ! 
तुम्हारा 
ह्रदय से
असीम 
स्वागत है 

गुरुवार, 27 जनवरी 2011

कभी सोचना इस पर कैसे मै जीती हूँ …………

किसी के धरातल पर उतरना
उसके भावों को महसूसना
फिर उन्हे खुद मे समाहित करना
और फिर वापस मुडकर
अपने धरातल पर आना
क्या समझते हो
आसान होता है क्या?
और देखो मै
रोज तुम्हारे धरातल पर
उतरती हूँ
तुम्हे जीती हूँ
तुम्हारी आकांक्षाओं को
सहेजती हूँ
और फिर खुद मे
समाहित करती हूँ
और फिर खुद से लडती हूँ
तब कहीं जाकर
अपने धरातल पर
वापसी कर पाती हूँ

कभी तुम एक बार
मेरे धरातल पर आकर तो देखो
मुझे कुछ पल जीकर तो देखो
मुझमे बहते तूफ़ान से लडकर तो देखो
मेरी भावनाओं मे सिमट कर तो देखो
मेरे मन के आँगन की मिट्टी को छूकर तो देखो
देखना फिर तुम तुम न रहोगे
वापसी की हर राह बंद हो जायेगी
जिधर भी देखोगे सिर्फ़
तुम्हारा ही वजूद होगा
तुम्हारी ही कहानी होगी
तुम्हारा ही ख्याल होगा
तुम्हारा ही दर्द होगा
बताओ फिर कैसे तुम
खुद से बच पाओगे
और मेरे धरातल से
अपने धरातल तक का
सफ़र तय कर पाओगे

ये मन के धरातल
बहुत कमजोर होते हैं
यहाँ साथी कोई नही होता
और जंग बहुत होती है
कभी खुद से तो कभी
भावनाओ से तो कभी
अतृप्त इच्छाओ से
और फिर दूजे के लिये
अपना वजूद मिटाना होता है
तब कही जाकर
अपने धरातल पर
आना होता है
और मुझे पता है
तुम ऐसा कभी नही कर पाओगे
जानती हूँ तुम पुरुष हो ना
तुम्हारी चाहतें
तुम्हारी क्षमतायें
तुम्हारी सीमायें
तुम्हे ऐसा करने से रोकेंगी
तभी मुझे दोनो रूप
जीने पडते हैं
और तुम्हारे धरातल के साथ
अपने धरातल तक का सफ़र
रोज तय करती हूँ
कभी सोचना इस पर
कैसे मै जीती हूँ …………

रविवार, 23 जनवरी 2011

मगर झीलें कब बोली हैं ?

एक ठहरी हुई
निश्छल शांत झील
अपनी गति से
प्रवाहमान
जिसमे हर कोई
अपना अक्स
देख सकता है
आते हैं रोज
कुछ लोग
अपनी रूह से
रु-ब-रु होने
अपने ही प्रतिबिम्ब
में छुपे अपने
मूल रूप को
देखकर उद्वेलित
हो जाते
होशो हवास
बेकाबू हो जाते
और फिर
एक कंकड़
मार कर
झील के ठहरे
पानी में
अपने अक्स
की गंदगी
छुपाने की
कोशिश में
झील का भी
सौंदर्य बिगाड़ देते
मगर झीलें
कब बोली हैं ?


हर वेदना
हर कुरूपता
हर ठोकर
की साक्षी बनी हैं
तभी तो
गहनता की
मिसाल बनी हैं
समेट लिया
स्वयं में
हर हलचल को
हर भंवर को
हर उठते
तूफ़ान को
और फिर
एक बार
अपने खामोश
सफ़र पर
चल पड़ती हैं
वेदना की
जलती चट्टानों पर
झीलों की खामोश
आहें जब
सिसकती हैं
तूफ़ान भी
थम जाते हैं
जब ख़ामोशी
उनमे पलती है
मगर
झीलें कब
बोली हैं ?


झीलें तो सिर्फ
अपने वजूद में ही
सिसकी हैं
अपने वजूद में ही
ठहरी हैं
ख़ामोशी की कब्र
में ही दफ़न हुई हैं
मगर झीलें
कभी नहीं
बोली हैं ..............

शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

मुझमे तो तू कहीं बचा ही नहीं .................

वो भूले बिसरे मंज़र
याद आते हैं
कभी ख्यालों में
तैर जाते हैं
कभी यादों की
ऊंगली पकड़कर
गली में मेरी
टहल जाते हैं 
आज अजीब सा 
लगता है मगर
कल वो मेरी 
जरूरत थी 
कल एक चाहत थी
कल कुछ लम्हों को
तेरे साथ बिताना
तेरे संग की ख्वाहिश
एक जूनून थी
या कहो मेरी चाहत 
 की इन्तिहाँ थी 
छह दिन के इंतज़ार 
के बाद का सातवाँ दिन
मुझे अपना लगता था
उस दिन पर अपना
अधिकार समझती थी
मगर वो दिन भी
गर्मी की धूप सा
पिघल जाता था
हाथ आकर भी
हाथ ना आता था
छोटी छोटी ख्वाहिशें
यूँ ही दम तोड़ जाती थीं 
मगर फिर भी 
एक इंतज़ार में 
किसी को अपना 
बनाने के
किसी के बन 
जाने की ख्वाहिश में
वक्त की धारा के साथ
बहती गयी और
फिर एक वक्त आया 
कि दुनिया ही बदल गयी
आज किसी ख्वाहिश को
पनाह ही नहीं मिलती
कोई याद अब 
दरवाज़ा नहीं खटखटाती
हर चाहत ना जाने
किस मकबरे में
दफ़न हो चुकी
कि तुम सामने भी 
होते हो तो भी 
कोई अरमान अब 
जवाँ नहीं होता
अब कभी वक्त
हिसाब बनकर
हमारे दरमियाँ नहीं होता
अब कोई ख्वाब 
आकार नहीं लेता
यूँ लगता है
वक्त की दीमक
हर ख्वाब
हर अरमान 
हर चाहत को 
चाट चुकी है
जब वक्त का 
लिहाफ हटाया 
तो पता लगा
मुझमे तो तू कहीं बचा ही नहीं .................

बुधवार, 19 जनवरी 2011

वो वक्त आने से पहले ..........

अरे! कमाल करती हो
मान जाओ ना
कितना वक्त हो गया
मनाते मनाते
भूल गयीं क्या
एक युग बीत गया
और तुम आज भी
अपनी जिद पर अड़ी हो
ना मिलने की कसम
ना देखने की कसम
ना चाहने की कसम
अब बताओ कैसे कोई जिए
मुझसे तो मेरा सब
तुमने लूट लिया
मुझमे मेरा कुछ
बचा ही नहीं

पता है तुम्हें
कैसे एक युग
तुम्हारे बिन गुजारा
इसी आस पर
इसी विश्वास पर
कि तुम एक दिन
दूसरे किसी युग  में
मेरी होगी
मुझे चाहोगी
मुझे अपना बनाओगी
मेरे गुनाह को
माफ़ करोगी

क्या किसी को चाहना
गुनाह होता है
क्या अपनी चाहत को
पाना गुनाह होता है
क्या अपनी चाहत के लिए
खुद को कुर्बान करना
गुनाह होता है
फिर मेरी कुर्बानी के लिए
तुमने मुझे ही सजा क्यूँ दी
चलो दी तो दी
मगर अब तो मान जाओ ना
मेरे इंतज़ार को
साकार कर दो ना
अब तो मुझे
मोहब्बत का सिला दे दो ना


देखो इतनी जिद नहीं किया करते
अब मुझमे और बर्दाश्त
का मादा नहीं
कहीं फ़ना ना हो जाऊँ
और फिर तुम्हें अपनी
जिद का अहसास हो
और तुम फिर मेरी जगह
खुद को खड़ा पाओ
मुझसे मिलने की चाह में
मुझे अपना बनाने की चाह में
युगों के फेर में पड़ जाओ
रूह तुम्हारी तड़प जाए
और फिर मैं
जिद पर उतर आऊँ

मान जाओ ना
वो वक्त आने से पहले ......
....

सोमवार, 17 जनवरी 2011

एक बार तो कहो ना जानम!

इतनी बेचैनी
तो कभी ना हुयी
इतना तो आँख
कभी ना रोई
कुछ तो कारण होगा
शायद तुमने मुझे
याद किया होगा
है ना जानम!

आज क्या हुआ है
कौन से दर्द से तू
रु-ब-रु हुआ है
कौन सा कांटा
तुझे चुभा है
जो तेरे दर्द की
परछाईं मुझे दे गया है
कुछ तो कहो जानम !

क्या आज फिर
पुरवा याद का बहा है
या फिर तूने
मुझे ही भुला दिया है
तभी आज मेरा दिल
इतना हँसा है कि
आँख से आँसू झडा है
बोलो ना जानम!

ये तुम्हें क्या
आज हुआ है
क्या तुम्हारे
दिल के कोटरों में
आज भी मेरे
प्रेम का दीप जला है
या  फिर उस दीप को 

तुमने बुझा दिया है
इसीलिए आज
मेरा दिल इतना जला है
एक बार तो कहो ना जानम!

ये मुझे आज क्या हुआ है
कौन से पायदान पर
प्रेम अब पंहुचा है
जहाँ प्रीत रोती है
और आँख हँसती है
बेढब रास्तों पर
कभी उठती है
कभी गिरती है
पर ना तुझसे
और ना मुझसे
संभलती है
कहो ना जानम !

ये प्रीत की कौन सी
नयी रीत चली है
जहाँ दरिया तो बहता है
मगर जमीन सूखी है
किसी कोमल भाव  की
अब भी भूखी है
एक बार तो कह दो ना जानम !

अब कैसे धीर बंधाऊँ?
नैनों को कैसे समझाऊँ ?
तुमको कैसे अब पाऊँ?
कौन सी नयी प्रीत की अलख जगाऊँ
कि मैं तुमसे मिल जाऊँ 
कहो ना जानम
अब कैसे तुम्हें पाऊँ ?

रविवार, 16 जनवरी 2011

शुक्रगुज़ार हूँ …………………

दोस्तों 


आप सबके स्नेह से इतनी अभिभूत हूँ कि शब्द कम पड़ रहे हैं ..............मेरी बिटिया भामिनी  के जन्मदिन पर आप सबने जिस तरह दिल खोलकर शुभकामनाएं दी हैं उससे मेरी आँखें छलछला आई हैं ...........कहाँ मैं अकेली हूँ ...........कितने बढ़िया दोस्त हैं मेरे ............मेरी हर ख़ुशी हर गम में मेरे साथ .............शायद इतनी शुभकामनाएं तो उसके होने पर भी नहीं मिली होंगी जितनी अब मिल गयीं यूँ लगा जैसे एक बार फिर बिटिया को जन्म दे दिया हो ...........जैसे आज ही उसका जन्म हुआ हो ...........मैं आप सबकी तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ कि आपने मुझे एक नया हौसला दिया जब मैं इतनी भावुक हो रही थी तब मेरे साथी मेरे साथ थे और मेरे ख्याल से एक इंसान को जीने के लिए इससे ज्यादा क्या चाहिए होता है ..........देखिये सबने कितने अपनत्व से मुझे लबरेज़ कर दिया कि ये प्यार छलक छलक जा रहा है मेरे दामन में सिमट नहीं पा रहा है ...............किसी एक का नाम नहीं सभी के दिए कमेंट्स साथ लगा रही हूँ .......क्या छोटा क्या बड़ा , क्या नया क्या पुराना सभी ने इतना दुलारा है कि दिल की हर कली मुस्कुरा रही है और यही कह रही है कि आप सब पहले क्यों नहीं मिले ..................हार्दिक आभारी हूँ एक बार फिर से अपने जीवन की इस अनमोल भेंट के लिए जो आपके प्यार और दुलार से लबालब भरी है .............




भामिनी आप सभी को शुक्रिया अदा  कर रही है और अपनी दिव्या आंटी के pineapple केक का इंतज़ार कर रही है और नूतन जी  आपका दिया कविता रुपी तोहफा उसे बहुत पसंद आया है ......अरे अरे ! आप सब नाराज़ नहीं होइएगा आप सबकी भी उतनी ही शुक्रगुजार है बस कह रही थी आंटी  को बता देना तो मैंने बता दिया ................बहुत बहुत आभार  

और अब देखिये आप सबके दिए अनमोल तोहफे








ब्लॉगर डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" ने कहा…
माँ की ओर से पुत्री को शब्दों की अनमोल भेंट! बहुत बहुत शुभकामनाएँ माँ ओर बिटिया को!
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ब्लॉगर Mithilesh dubey ने कहा…
सच्चाई और प्यार के कमोबेश के बीच लिखी अच्छी रचना । जन्म दिन की बहुत-बहुत बधाई छोटी बहन को ।
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ब्लॉगर प्रवीण पाण्डेय ने कहा…
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई।
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ब्लॉगर यशवन्त माथुर ने कहा…
बहुत ही खूबसूरती से अपने एहसासों को शब्दों में पिरोया है. छोटी बहन को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं.ईश्वर उन्हें जीवन की हर राह पर खुशियाँ,उत्साह और उल्लास प्रदान करे;यही कामना है. सादर
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ब्लॉगर संजय भास्कर ने कहा…
जन्म दिन की बहुत-बहुत बधाई छोटी बहन को ।
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ब्लॉगर संजय भास्कर ने कहा…
माँ की ओर से बिटिया को अनमोल भेंट!
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ब्लॉगर संजय भास्कर ने कहा…
इन्द्रधनुषी रंगों की आभा हर तरफ छाई थी मौसम की पोर- पोर खिलखिलाई थी जब तू जीवन में आया था ए मेरे जीवन के अनमोल टुकड़े बहारे भी आकर मुस्कुरायी थीं जब तू जीवन में आया था भाउक कर देने वाली कविता है मेरे पास इस कविता की तारीफ के लिए अल्फाज़ नहीं हैं..
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ब्लॉगर उपेन्द्र ' उपेन ' ने कहा…
आपकी बेटी के लिये जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें.... बहुत ही गहरे जज्बात के साथ एक सुंदर पोस्ट आपने अपनी बेटी के नाम किया है इस अवसर पर.... सुंदर प्रस्तुति.
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ब्लॉगर Shikha Deepak ने कहा…
हार्दिक शुभकामनायें........आप दोनों को.....
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ब्लॉगर आलोकिता ने कहा…
Bahut hi pyari aur bhawpurn rachna hai jo aap mahsus kar rahi hain shayad wo bhi yahi mahsus kar rahi hongi ki kaise rahungi maa ke bina......... waise meri taraf se HAPPY BIRTH DAY wish kar dijiyega didi ko
ब्लॉगर सुज्ञ ने कहा…
माँ ने पुत्री के प्रति अनमोल अह्सासों से ममत्व-वंदना की है। बिटिया के जन्मदिन पर इस भाव-आंचल-छांव से अच्छी गिफ्ट क्या होगी। बिटिया को जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएँ!!
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ब्लॉगर महेन्द्र मिश्र ने कहा…
o mere jeevan ke anmol .... hamesha ki tarah dil ko chhoo jane vali rachana ...kitana badhiya likhati hain aap ....abhaar vandana ji
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ब्लॉगर Mukesh Kumar Sinha ने कहा…
अब कैसे तुझ बिन जी पाऊँगी बिछोह कैसे सह पाऊँगी कैसे तुझे परायी कर पाऊँगी इन अहसासों से गुजरने लगी हूँ हाँ , लाडली अब मैं डरने लगी हूँ ................ itti jaldi aisee baat!! arre Vandana jee, abhi to sirf 20 saal ki aapki ladli hui hai...:) dusri baat!! aapki beti 20 saal ki ho sakti hai, socha na tha..:D anyway...bahut bahut shubhkamnayen...aur badhai!!
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ब्लॉगर Kajal Kumar ने कहा…
आप दोनों को ढेरों शुभकामनाएं
हटाएँ
ब्लॉगर Navin C. Chaturvedi ने कहा…
आप दोनो को बहुत बहुत बधाई| मधुर और सहज संवाद| उत्तम|
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ब्लॉगर sada ने कहा…
बेहद सुन्‍दर अहसासों से सजी यह पोस्‍ट मां की तरफ से एक अनुपम सौगात है बेटी के लिये ...जन्‍मदिन की बहुत - बहुत बधाई एवं शुभकामनायें ।
ब्लॉगर Kailash C Sharma ने कहा…
हर माता पिता के दर्द को बड़ी ही मार्मिक ढंग से उकेरा है आपने..पता नहीं क्यों यह समाज का नियम है कि जो सबसे प्यारी होती है उसी को दूर जाना होता है..लेकिन एक सत्य है कि बेटी कहीं भी रहे वह माँ बाप के दिल के सबसे करीब रहती है. बिटिया को जन्मदिन की हार्दिक शुभ कामनायें..
ब्लॉगर Harman ने कहा…
janam din ki bahut badhai.. Please visit my blog. Lyrics Mantra Banned Area News
ब्लॉगर इमरान अंसारी ने कहा…
वंदना जी, सचे भावों से भरी आपकी ये पोस्ट प्रशंसनीय है.....सुन्दर रचना.... आपकी बेटी को हमारी और से जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें....... हमारे अपने जहाँ भी रहें खुश रहें ये ज़रूरी नहीं की वो हमारे साथ ही हो.....आगे बढ़ने पर ही पीछे क़दमो के निशान छूटते हैं.......खुदा आपको हौसला देगा......संसार की रीत तो निभानी ही होती है|
ब्लॉगर रश्मि प्रभा... ने कहा…
main maa hun aur main aapke dil ko samajh rahi.... bitiya ko dheron aashish , pyaar ... jana to hai , per ysh kram khushi dega aur vandana ji aanchal kabhi chhota nahin padta , bachche kitne bhi bade ho jayen...
ब्लॉगर ehsas ने कहा…
बेहद ही खुबसुरत। इन रिश्तों के लिए और भी कुछ कहना बेमानी होगा।
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ब्लॉगर राज भाटिय़ा ने कहा…
बिटिया को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई, बस जेसे आप की मां ने आप की विदाई की ओर बाद मे सहज हो गई थी आप भी वेसे ही करेगी, ज्यादा अभी से मत सोचे
ब्लॉगर rashmi ravija ने कहा…
भावुक कर दिया इस कविता ने... बिटिया को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई....उसका दामन हमेशा खुशियों से भरा रह God Bless Her
ब्लॉगर सुशील बाकलीवाल ने कहा…
आपकी प्यारी बिटिया को जन्मदिन की हार्दिक बधाईयां...
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ब्लॉगर ZEAL ने कहा…
. बेटी को जन्म दिन की ढेरों मंगलकामनायें। खूब फले-फूले, खुशियाँ पाए। मन चाही बेहतरीन जॉब मिले उसे । अपने मम्मी पापा का खूब नाम रौशन करे । मेरी तरफ से उसे pineapple cake का तोहफा। .
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ब्लॉगर डॉ टी एस दराल ने कहा…
इसके आगे पढ़ भी नहीं पाएंगे । बेटी मां की ही नहीं पिता की भी कमजोरी होती है । बहुत भावुक कर देने वाली रचना है । बेटी को जन्मदिन की ढेरों बधाईयाँ वंदना जी ।
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ब्लॉगर फ़िरदौस ख़ान ने कहा…
वंदना जी बहुत भावपूर्ण रचना है... आपकी बिटिया को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं...
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ब्लॉगर Minakshi Pant ने कहा…
bahut sundar yehsas se sazi maa beti ki kahani bahut hi accha lga pad kar aapne to hume bhi humare yehsason se avgat karva diya dost bahut sundar kavita bdhai dost beti ko humara aashirvad .
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ब्लॉगर Anupriya ने कहा…
aapki bitiya ko janm din ki hardik badhai...ishwar use jeevan ki har khushi pradan karen... maa ki bhawnao ko badi hi khubsurti se sabdo men bandha hai aapne...ek behad sahaj aur khubsurat abhiwyakti...ye sirf aap hi kar sakti hai bandana jee. waise aapki photo dekh kar lagta nahi aap ek 20 saal ki beti ki maa hain :)
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ब्लॉगर mahendra verma ने कहा…
स्नेह-रस से पूरित एक उत्तम कविता। बेटी को जन्म दिन की बधाई।
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ब्लॉगर मनोज कुमार ने कहा…
कविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है । आपको आपकी पुत्री को बधाई।
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ब्लॉगर mridula pradhan ने कहा…
bhawbhini sunder kavita.
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ब्लॉगर amit-nivedita ने कहा…
बिटिया को अपार प्यार और शुभकामनाएं। आपकी रचना ने तो आंखे नम कर दी ।
ब्लॉगर डॉ॰ मोनिका शर्मा ने कहा…
अब कैसे तुझ बिन जी पाऊँगी बिछोह कैसे सह पाऊँगी कैसे तुझे परायी कर पाऊँगी इन अहसासों से गुजरने लगी हूँ हाँ , लाडली अब मैं डरने लगी हूँ ................ हृदयस्पर्शी...... माँ के अंतर्मन के सच्चे भाव......बेटी को जन्मदिन की शुभकामनायें......आशीष
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ब्लॉगर shikha varshney ने कहा…
वंदना जी आज तो भावुक कर दिया आपने. सीधे दिल से निकले हैं शब्द ..इन भावों से शायद हर बेटी की माँ रूबरू होती है. जन्म दिन की बहुत बहुत शुभकामनाये बिटिया को . बहुत सुन्दर कविता है.
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ब्लॉगर इस्मत ज़ैदी ने कहा…
बिटिया को जन्म दिन मुबारक हो अल्लाह उसे बहुत लम्बी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करे ,वो हमेशा ख़ुश रहे (आमीन)
ब्लॉगर अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…
वंदना जी पिछले एक वर्ष से मैं आपकी कविताओं का नियमित पाठक हूँ... कितने ही रंग देखे आपकी कविता में.. लेकिन आज बेटी के प्रति प्रेम का जो भाव इस कविता में है.. वह अद्वितीय है... अत्यंत ही मर्मस्पर्शी रचना है यह.. एक माँ के भीतर स्नेह और इस से उपजे भाव, भय, दर्द.. सब रंगों को समेटे हुए है यह कविता... बिटिया को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना.. जहाँ तक मुझे याद है. यह बी टेक कर रही है.. ईश्वर उसे हर क्षेत्र में कामयाबी दे.. उसके सुखी जीवन की कामना करते हुए...
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ब्लॉगर डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…
बहुत बहुत बधाई वंदना जी.. और बिटिया को शुभाशीष ... एक दिन जीवन में वो वक़्त भी आता है जब बेटी छोटी से बड़ी हो जाती है..और माँ बाप की आँख का वो तारा दूसरे के घर जा कर बस जाता है... लेकिन हमें ये सोच कर खुश होना चाहिए की वो बेटी तब भी हमारी उतनी ही प्यारी बेटी है और साथ में हमें एक पुत्र सामान जमाई मिलता है एक बेटी हमारे लिए और कई रिसते भी साथ ले आती है ... बेटी के लिए शुभकामना अभी तुम नन्ही कली मासूम नाजुक सी. ज्यूं धरती पर उतरी एक भोली परी सी | अभी जानना है तुम्हे धरती समुन्द्र जहाँ को और छूना है आसमाँ को माँ पिता के नाम को सम्मान को बढ़ाना यशस्वी बनो तुम विजयी बनो तुम मन तन स्वस्थ बनाना दुवा है मेरी तुम सबकी प्यारी बनी रहो सुख की ज्योति के संग प्रकाशमान बनी रहो | दीर्घायु रहो स्वस्थ रहो अपनों का अविरल प्रेम पाना | बिटिया रानी तुम्हारी झलक को देखने को हों लोग व्याकुल तुम इतना नाम पाना |
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ब्लॉगर एस.एम.मासूम ने कहा…
बेटी के जन्मदिन पे बधाईयाँ.
ब्लॉगर चैतन्य शर्मा ने कहा…
दीदी को जन्म दिन की बधाई......हैप्पी बर्थ डे ......
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ब्लॉगर Learn By Watch ने कहा…
प्रिय, भारतीय ब्लॉग अग्रीगेटरों की दुर्दशा को देखते हुए, हमने एक ब्लॉग अग्रीगेटर बनाया है| आप अपना ब्लॉग सम्मिलित कर के इसके विकास में योगदान दें - धन्यवाद| अपना ब्लॉग, हिन्दी ब्लॉग अग्रीगेटर अपना खाता बनाएँ अपना ब्लॉग सम्मिलित करने के लिए यहाँ क्लिक करें
ब्लॉगर रचना दीक्षित ने कहा…
माँ और बिटिया दोनों को बधाई और कविता तो जैसे दिल से बह बह कर निकल रही है आभार
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ब्लॉगर संगीता पुरी ने कहा…
बडी ही खूबसूरती से आपने अपने भावों को अभिव्‍यक्ति दी है .. सुंदर रचना बन पडी है .. बिटिया रानी को मेरी ओर से भी जन्‍म दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
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ब्लॉगर Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…
बिटिया को जन्मदिन कि बहुत सारी शुभकामनायें और आशीष ... माँ के जज़्बात को कहती बहुत सुन्दर रचना ...
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