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सोमवार, 4 अक्तूबर 2021

कलर ऑफ़ लव

 सूचनार्थ:

भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित मेरा नया उपन्यास "कलर ऑफ़ लव" जो प्रकृति प्रदत्त विशेष गुण पर केन्द्रित है, वह विशेषता क्या है, जानने के लिए किताब पढ़ें.
संपर्क सूत्र: 9350536020, 011- 24626467, 011- 41523423
आवरण : प्रिय अनुप्रिया के हाथों का जादू 🙂 🙂

बुधवार, 4 अगस्त 2021

कांस्य प्रतिमा

 शब्दविहीन मैं किस भाषा में बोलूँ अर्थ संप्रेषित हो जाएँ

रसहीन मैं
किस शर्करा में घुलूं
स्वाद जुबाँ पर रुक जाए

रंगहीन मैं
किस रंग में ढलूँ
केवल एक रंग ही बच जाए

गाढे वक्त के एकालाप से लिखी कांस्य प्रतिमा हूँ मैं

शुक्रवार, 11 जून 2021

बख्श दो

 बख्श दो काल बख्श दो अब तो

जैसे पेड़ों से झरती हैं पत्तियां पतझड़ में
जैसे टप टप टपकते हैं आंसू पीड़ा में
जैसे झरता है सावन सात दिन बिना रुके
कुछ ऐसे लील रहे हो तुम जीवन

वो जो अभी बैठा था महफ़िल में
बीच से उठ चला जाता है अचानक
मगर कहाँ और क्यों?
क्यों जरूरी है महफ़िलों को तेज़ाब से नहलाना?
क्यों जरूरी है हँसते चेहरों पर खौफ की कहानी लिखना?
क्यों जरूरी है मासूमों के सर से साया उठाना?

किसी का जाना, केवल जाना नहीं होता
वो ले जाता है अपने साथ
जीवन के तमाम रंग, खुशबुएँ और गुलाब
पथरीले पथ, काँटों की सेज और ज़िन्दगी की तपिश से
कौन सी नयी इबारत लिखोगे?

चाक दिल से निकलता है बस यही
काल के क्रूर चेहरे पर कोई रेशम फहरा दो
इसे किसी और ब्रह्माण्ड का रास्ता दिखा दो

बस बहुत हुआ - अब रुकना चाहिए ये सिलसिला
बख्श दो काल बख्श दो अब तो

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

भारत का नाम कब बदलने वाला है?

 भारत का नाम कब बदलने वाला है?

कब 'उनका' नाम दिए जाने का शुभ मुहूर्त निकला है?
प्रश्न उठने लाजिमी हैं
चरणबद्ध तरीके से परिवर्तन किये जाते हैं ताकि कल कोई उन पर आक्षेप न लगाए
नाम बदलने की परंपरा में अब आवश्यक हो गया है देश का नाम भी बदल दिया जाए.
विश्वगुरु की पंक्ति में अग्रणी होने के लिए आवश्यक है नाम को कुर्बान करना. क्या देश उनके लिए इतना सा त्याग नहीं कर सकता?
खबरदार जो किसी ने आवाज़ उठायी, देशद्रोही कहीं के...
देखा नहीं आज सम्पूर्ण विश्व जयजयकार कर रहा है
आओ नाम बदलने की परंपरा को कायम रखते हुए एक देश को महादेश बनाया जाए
ईश्वर की मूर्ति स्थापना हेतु आवश्यक है मंदिर निर्माण
मंदिर बनने के बाद आवश्यक है उसका नामकरण
जिस देवता को स्थापित किया जाता है
उसी के नाम पर मंदिर का नामकरण होता है - सर्वविदित तथ्य है यह
आओ देव पूजन कर स्वयं को लाभान्वित करें
ईश्वर की प्रसन्नता में ही भक्तों की प्रसन्नता निहित होती है
यह है जीते जी मुक्ति की परंपरा में नया चरण
आओ करें नमन