प्रिय मित्र
शुक्रगुजार हूँ जो तुमने इतना आत्मीय समझा कि अपनी मित्रता सूची से बाहर का रास्ता चुपके से दिखा दिया और खुद को पाक साफ़ भी सिद्ध किया . जानती हूँ कुछ दिनों से तुम्हारे स्टेटस पर नहीं जा पा रही थी और उसी गुस्से में शायद तुमने मुझसे पल्ला झाड लिया या हो सकता है तुम चाहते हों ऐसा कोई मौका हाथ लगे और तुम्हारी किस्मत से तुम्हें वो मौका मिल गया और तुमने उसका फायदा उठा लिया ..........सुनो जानकर अचरज नहीं हुआ क्योंकि ये आभासी रिश्ते हैं पल में बनते और मिटते हैं फिर हमने भी कौन सी अग्नि को साक्षी रख कसम उठाई थी कि ज़िन्दगी भर एक दूसरे का साथ देंगे , गलतफहमियों का शिकार नहीं होंगे , कह सुन कर मन की भड़ास निकाल लेंगे ..........अब सात वचन भरने के नियम यहाँ थोड़े ही चला करते हैं जो तुम पर कोई आक्षेप लगा सकूं . शायद तुम्हारी उम्मीद मुझसे कुछ ज्यादा थी और तुम्हारी उम्मीद पर खरा उतरने की हमने भी कसम नहीं खायी थी इसलिए चल रहे थे आराम से . वो तो अचानक एक दिन याद आया बहुत दिन हुए तुम्हारे स्टेटस नहीं देखे और आशंका के बादल कुलबुलाने लगे ..........हाय ! कल तक तो तुम हमारे वेल विशर थे ये अचानक क्या हुआ सोच तुम्हारी वाल का चक्कर लगाया तो माजरा समझ आया . ओह ! हम तो निष्कासित हो गए . बड़े बे आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले गाना गुनगुनाते हुए सोच में पड़ गए सच आखिर क्या था ? वो जहाँ तुम हमारी जरा सी परेशानी से चिंताग्रस्त हो जाते थे और राहें बतलाते थे या फिर ये कि महज कुछ स्टेटस पर तुम्हारे लाइक या कमेंट नहीं किया तो तुमने बाहर का रास्ता दिखा दिया जबकि हम तो आभासी से व्यक्त की श्रेणी में आ चुके थे फिर भी तुमने ये कहर बरपाया .
हे मेरे परम मित्र ! आभारी हूँ तुम्हारी इस धृष्टता के लिए , तुमसे तुम्हारी पहचान करवाने के लिए . हे मेरे परम मित्र तुम्हारी उदारता निस्संदेह सराहनीय है क्योंकि शायद मैं सहे जाती बिना कुछ कहे और तुमने कर दिखाया और मुझे अपने मित्रता के ऋण से उऋण कर दिया . फेसबुककी महिमा सबसे न्यारी फिर भी लगे सबको प्यारी ......जय हो जय हो जय हो कहे ये मित्रता की मारी .
देकर अपनी वाल से विदाई
कुछ मित्रों ने यूं मित्रता निभाई
बस ये बात हमें ही जरा देर से समझ आई
जो न करे आपकी बात का समर्थन
उसी का होता है इस तरह चुपचाप निष्कासन