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बुधवार, 27 अप्रैल 2011

पहन लेती उम्र भर के लिये

काश कर सकती ऐसा
कि कर लेती बंद
मन्त्रों से तुम्हें
और समेट लेती
तुम्हारा वजूद
एक छोटे से
यन्त्र में
पढवा लेती
कलमा किसी
मौलवी से
या किसी दरवेश से
या किसी फकीर से
और कर देता
वो तुम्हें बंद
चंद आहुतियों से
किसी अमावस की रात को
या किसी पूनम  की रात को
मेरे लिए , मेरे नाम के साथ
ज़िन्दगी भर के लिए
मेरे बन जाने के लिए
और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर

55 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

और मैं पहन लेती ... अन्तिम पंक्तियां खासतौर पर बहुत ही अच्‍छी बन पड़ी है ... इस बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई ।

***Punam*** ने कहा…

काश .....
कि ऐसा हो पाता...!!
सुन्दर....

शारदा अरोरा ने कहा…

इतना अपना , यानि इतनी कैद किसी को नहीं दी जा सकती ...और कहीं जो हमें ही कैद कर ले कोई ? इसीलिए कहते हैं कि प्यार इकतरफा रास्ता होता है ...सोचने पर मजबूर किया आपकी कविता ने ...

संजय भास्‍कर ने कहा…

पढवा लेती
कलमा किसी
मौलवी से
या किसी दरवेश से
या किसी फकीर से
और कर देता
वो तुम्हें बंद
चंद आहुतियों से
ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी
भावों को बहुत ही खूबसूरती से संजोया है

Dinesh pareek ने कहा…

वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक

बेनामी ने कहा…

bahut hi shandar
really romantic

बिटिया ने कहा…

मौलिकता वंदना जी आपकी पहचान है, रोज नए प्रयोग, वह भी सृजन के सौन्दर्य के साथ, सीधी सपाट भाषा और इस विधा में रोज नया सृजन वर्तमान कविता के लिए काफी आवश्यक हैं, इस सृजन के लिए नमन.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है बधाई स्वीकारें वंदना जी।

बेनामी ने कहा…

वंदना जी,

इंतिहा है ये मोहब्बत की ......आखिरी पंक्तियाँ ओ दिल को छू गयी .......बेहतरीन....लाजवाब .......

और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर

सुज्ञ ने कहा…

क्या ही खूब भाव व्यक्त किये है।

यह तो वशीकरण मन्त्र हो गया!!(निर्मल हास्य)

Rajesh Kumari ने कहा…

और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर bahut touchi panktiyan

achchi rachna.

Sushil Bakliwal ने कहा…

और मैं पहन लेती गले में तुम्हें ताबीज बनाकर.

वाकई काश...

मेरे भाव ने कहा…

और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर.....

इन्तहां हो गई .........

shikha varshney ने कहा…

खतरनाक इरादे हैं भाई :)
पर कविता जबर्दस्त्त है.

ZEAL ने कहा…

और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर..

Vandana ji , Honestly speaking, I'm loving this expression.

.

मीनाक्षी ने कहा…

काश ....कर सकती ऐसा....लाजवाब्

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बेहद रोमांटिक कविता, नए अंदाज़ की... आपकी कविता अब नए आयामों को छू रही है...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना!

Sunil Kumar ने कहा…

और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर.
भावों को बहुत ही खूबसूरती से संजोया है

Unknown ने कहा…

सुन्दर .......
बहुत अच्छा लगा पडकर दीदी...

PAWAN VIJAY ने कहा…

बहुत खूब अलफ़ाज़ बुने है आपने

गौरव शर्मा "भारतीय" ने कहा…

वाह बेहतरीन भावाभिव्यक्ति...आभार

Kailash Sharma ने कहा…

और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर...

लाज़वाब! बहुत भावपूर्ण रचना...भावों को शब्दों में बहुत खूबसूरती से उकेरा है..आभार

डॉ टी एस दराल ने कहा…

काश --इस अहसास में ही कुछ खास बात है ।

राज भाटिय़ा ने कहा…

ज़िन्दगी भर के लिए
मेरे बन जाने के लिए
और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर
बहुत सुन्दर रचना!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर
काश की ऐसा हो ही जाता ...सम्मोहित करते भाव उकेरे हैं....

girish pankaj ने कहा…

satvik pyar ki sundar abhivyakti ...badhai...

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

bhavpoorna rachana

Dr Varsha Singh ने कहा…

और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर..

इस रचना का सूफ़ियाना रंग लाजवाब है।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया.....अच्छी रचना..

udaya veer singh ने कहा…

mangalmay rachana ,hriday ko sparsh karti huyi .

Udan Tashtari ने कहा…

अति भावपूर्ण....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर...
kaash !
khoobsurat khwaahish

Unknown ने कहा…

कि कर लेती बंद
मन्त्रों से तुम्हें
.............
और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर|

संबंधो को नए बिम्बों से सजाया है आपने ! बहुत खूब !! बधाई .

भंगार ने कहा…

मुझे लगता है किसी को बाधने के

लिए ताबीज की जरूरत नहीं है.... जरूरत है ?

दो वक्त भर पेट खाना खिला दो ,उसकी पसंद क़ा

...........बस एक मर्द ....इससे जायदा कुछ नहीं चाहता

शायरी तो अच्छी है ....बाधने क़ा कोई और रास्ता खोजना होगा

Arti Raj... ने कहा…

किसी अमावस की रात को
या किसी पूनम की रात को
मेरे लिए , मेरे नाम के साथ
ज़िन्दगी भर के लिए
मेरे बन जाने के लिए
और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर...waah waah kya najm banai hai aapne dil ko chhu gai...gale me umar vhar ke lie pehn leti tumhe tabij banake...fir tum mujhse or meri parchhaion se kabhi dur na ja pate....

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

har sima har bandhan se paar le gai aapki ye rachna jisme premi ke liye premika ki jigyasa waise hi lagti hai jaise meera ki krishna k liye hai...

अक्षय-मन "!!कुछ मुक्तक कुछ क्षणिकाएं!!" से

दिगम्बर नासवा ने कहा…

और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर ...

Bahut hi lajawaab kalpana ... hamesha hamesha ke liye apna bana lene ki ye style bhi kamaal hai ...

Anupama Tripathi ने कहा…

वाह वंदनाजी ...!!
प्यार की गहराई बता रही है आपकी कविता ...!!
बहुत सुंदर ..!!

चैन सिंह शेखावत ने कहा…

ज़िन्दगी भर के लिए
मेरे बन जाने के लिए
और मैं पहन लेती
गले में उम्र भर के लिए
तुम्हें ताबीज बना कर

bhai waah..khwahishe aise ki har khwahish pe dam nikle.

विभूति" ने कहा…

dil ko chu lene vali panktiya....

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

वाह ..वंदना जी चाँद शब्दों में बहुत कुछ कह दिया

amit kumar srivastava ने कहा…

intihaa pyaar ki...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गहरी प्रेमाभिव्यक्ति।

Amrita Tanmay ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण

shekhar ने कहा…

adbuhut... gulazar sahab ki kuch lines yaad aa gayi..
mujhko itne se kaam par rakh lo/
jab bhi seene pe jhoolta locket ulta ho jaaye to, maiN haathoN se seedhaa karta rahooN usko

Mamta Bajpai ने कहा…

प्रेम की चरम स्थिति ....बहुत खूब

vidya ने कहा…

बहुत सुन्दर...
धीरे-धीरे आपकी सभी कवितायेँ अवश्य पढूंगी..
काबिले तारीफ.

दीपिका रानी ने कहा…

वंदना जी आपकी यह कविता मुझे सबसे अधिक पसंद है।

ATAMPRAKASHKUMAR ने कहा…

वंदनाजी ,आप वन्दनीय हैं |भावों को क्या खूबसूरत रूप दिया है |यह लाइन तो अद्भुत है ,"और पहन लेती गले में उम्रभर के लिए ताबीज बनाकर " आपको साधुवाद |आप मेरे ब्लॉग में सादर आमंतिर हैं http//kumar2291937.blogspot.com आत्म प्रकाश |

atam prakash kumar ने कहा…

"phn leti umrbhar ke liye "aek adbhut kriti hai .is ke liye aap ko sadhuwaad.

manju sharma ने कहा…

कविता अच्छी है ..मन के भावों को खूबसूरती से इन पन्नों पे उतार दिया है।

manju sharma ने कहा…

कविता अच्छी है ..मन के भावों को खूबसूरती से इन पन्नों पे उतार दिया है।


Guzarish ने कहा…

bahut hi khubsurat prem se paripuran apnatav dikhati rachna badhayi vandana ji

Guzarish ने कहा…

bahut hi khubsurat prem se paripuran apnatav dikhati rachna badhayi vandana ji