भूले बिसरे गीत हो गए हैं हम .......उसने कहा और मैं सोच में पड़ गयी
सच ही तो कहा
एक दिन सभी भूले बिसरे गीत बन जाने हैं
नहीं नहीं ये भी सत्य नहीं
गीत तो फिर भी कभी कोई गुनगुना ही लेगा
समय असमय
लेकिन हम
किसकी यादों की पालकी में जगह बनायेंगे
एक दिन निश्चित ही मिट जायेंगे
अमिट बनने के लिए जरूरी है
एक सम विषम का मध्यकाल बनना
जहाँ तुम्हारा होना एक अनिवार्य आवश्यकता हो ...