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शनिवार, 7 मार्च 2020

ठहरना एक खामोश क्रिया है

मुझे
न कहीं जाना है न आना है
मुझे तो यहीं कहीं ठहरना है
जैसे ठहरती है धूप आँगन में
जैसे ठहरती है उम्मीद मन में
जैसे ठहरती है आशा जीवन में

नैराश्य के गह्वरों से
दूर बनाया है मैंने अपना आशियाना
यहाँ सुबह है
सांझ है
हवा है
बारिश है
मिटटी की सौंधी खुशबू है
कण कण में व्याप्त है जीवन

जीवन वो नहीं जो जीया जा रहा है
जीवन वो है जिसने बताया तुम्हें
कहाँ ठहरना है
कहाँ छोडनी है अपनी छाप
कि
कायनात के अंत के बाद भी
बचे रहें मेरी मुस्कराहट के बीज
कि
रक्तबीज सी उगूँ
और कण कण में बिखेर दूँ
खिलखिलाहट का बीज
हर चेहरे की मुस्कराहट के ताबीज में मिलूँ
तो जान लेना
मैंने जान लिया है ठहरना
मैंने पा लिया है अपना होना
शंखनाद सी गूंजूं और हो जाए ज़िन्दगी मुकम्मल

जहाँ आने और जाने में शोर है
वहीं ठहरना एक खामोश क्रिया है
जो किसी प्रतिक्रिया की मोहताज नहीं
करके आने जाने से मुक्त ...मुझे ठहरने दो
क्योंकि
मुसाफिर नहीं जो दो घूँट जल पी जल दूँ गंतव्य पर ...

तानाशाह ! गश्त पर हैं

खिड़की और दरवाज़े बंद रखने का दौर है ये 
तानाशाह ! गश्त पर हैं 

हवाओं पर लगे हैं पहरे 
नहीं है इजाज़त दुपट्टा उड़ाने की 
बंद इमारतें गवाह हैं 

कमसिनी के मौसम हवा हुए 
अब सुलगना नियति है 
मुल्क की 

दर्ज की जा रही हैं इबारतें 
फिर पुख्ता हों न हों 
बहस मुसाहिबे के दौर दफ़न हुए 

नया दौर है ये 
नयी कलम है 
और नयी है सोच 
अंतर मिट चुका है शोषक और शासक का 
तुम तय करो अपना पक्ष 

तस्वीरें भी कभी बदला करती हैं भला?

किश्तों में लुटना तय है 
किश्तों में ही चुकना है 
फिर कैसा विद्रोह और क्यों?
जब आखिरी कदम तय है 
कलम होगा सर हुक्म उदूली पर 
सर नवाना आज के समय का सबसे बड़ा लोकतंत्र है 
यही लोकतंत्र की जय है ...



सोमवार, 2 मार्च 2020

अधूरे सपनों की कसक

कल १ मार्च को रेखा श्रीवास्तव जी के संपादन में "ब्लॉगर्स के अधूरे सपनों की कसक" पुस्तक का मुखर्जी नगर में लोकार्पण हुआ। वहीं ब्लॉग और ब्लॉगिंग को लेकर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें अपने समय के सभी दिग्गज ब्लॉगर्स द्वारा चिंता व्यक्त करते हुए समाधान भी प्रस्तुत किया गया। एक सार्थक परिचर्चा की गयी। सबका फोकस पूरी तरह सब्जेक्ट पर रहा। वहीं रंजना यादव जी ने बहुत खूबसूरती से मंच संचालन किया जो रेडियो एंकर भी हैं। रेखा जी के पति, उनकी बेटियाँ तो थी हीं, उनके दामाद भी इस आयोजन में बहुत शिद्दत से शामिल थे। हमें भी अपनी बात रखने का मौका मिला। वहीं काफी ब्लॉगर्स उपस्थित थे तो उन्होंने भी इस आयोजन में अपनी बात कही। यूँ तो जीवन में सबके सब सपने पूरे नहीं होते लेकिन उनसे कोई नहीं पूछता तुम्हारा कौन सा सपना अधूरा रह गया। उस कार्य को अंजाम दिया रेखा श्रीवास्तव जी ने और दे दी सभी ब्लॉगर्स को एक जमीन। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि कानपुर से दिल्ली आकर उसका ब्लॉगर्स के मध्य विमोचन करवाना कोई आसान काम नहीं था लेकिन यही रेखा जी की खासियत है वो आसान काम करतीं भी नहीं। रेखा जी और पुस्तक में शामिल सभी लेखकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।































































https://www.facebook.com/rosered8flower/posts/10215327996664679