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बुधवार, 27 जनवरी 2016

चलूँ कि बहुत अँधेरा है

चलूँ कि
बहुत अँधेरा है तेरे शहर में
दरख्तों के घनेरे सायों में
उम्र से लम्बी परछाईं है

तू उस जहान की जोगन है
मैं तन्हाइयों का सौदाई हूँ
आ के गले मिलने की
रीत न हमने दोहराई है


ये सदियों से बिछड़ी रूह की
बस आर्तध्वनि उभर आई है
तेरे मेरे मिलन की उसने
न कोई जगह बनायी है

चलूँ कि
बहुत अँधेरा है तेरे शहर में ...

बुधवार, 20 जनवरी 2016

अमर प्रेम व अन्य कहानियाँ

एक छोटी सी खबर और साझा कर रही हूँ :

15 जनवरी को तीसरी बात ये हुई कि मेरा कहानियों का पहला संग्रह ' अमर प्रेम व अन्य कहानियाँ ' ई - बुक के रूप में ' नॉटनल पर ' पंकजबिष्ट ' जी द्वारा पुस्तक मेले में नॉटनल के स्टाल पर विमोचित हुआ ..........साथ में मेरी बिटिया भामिनी तो थी ही तो वो कैसे न शामिल होती ..........एक ही दिन में तीन खुशियाँ एक साथ नसीब हुई हों जिसे वो तो यही कहेगा : खुशियाँ ही खुशियाँ हों दामन में जिसके क्यों न ख़ुशी से वो दीवाना हो जाए :)

वैसे आप में से जो भी ये संग्रह पढना चाहते हैं वो नॉटनल की साईट पर जाक डाउनलोड कर पढ़ सकते हैं .

विमोचन की कुछ तस्वीरें तो उसके साथ एक खास बात ये हुई कि वहीँ नोबेल पुरस्कार विजेता #कैलाशसत्यार्थी जी के संग भी फोटो तो खिंची ही उन्हें अपना उपन्यास भी देने का मौका भी मिला ...
 















सोमवार, 18 जनवरी 2016

अँधेरे का मध्य बिंदु ' .... लोकार्पण की झलकियाँ

15 जनवरी २०१६ को मेरे लिए दोहरी ख़ुशी का दिन था . एक तो मेरे पहले उपन्यास ' अँधेरे का मध्य बिंदु ' का विश्व पुस्तक मेले के लेखक मंच पर विमोचन था यानि एक तरफ  पुस्तक रुपी बेटी की विदाई तो दूसरी तरफ उस दिन मेरी बेटी भामिनी का जन्म दिन ........तो कैसे न वो शामिल होती विमोचन में .......अभी फ़िलहाल इन झलकियों का आनंद लीजिये बाकि बाद में एक ब्रेक के बाद :)

जो मित्र पढना चाहें यहाँ लिंक दे रही हूँ मंगवा सकते हैं 
http://www.amazon.in/gp/product/9385296256…

















सोमवार, 4 जनवरी 2016

पहला प्रयास -- ' अँधेरे का मध्य बिंदु '

मित्रों
आपकी इस मित्र का पहला प्रयास ' उपन्यास ' के क्षेत्र में आपकी प्रतीक्षा में है :


एपीएन पब्लिकेशन से प्रकाशित मेरे इस पहले प्रयास को सार्थकता आप सब ही प्रदान करेंगे जो न केवल मेरा हौसला बढ़ाएगा बल्कि मुझे आगे बढ़ने को भी प्रेरित करेगा...

एपीएन पब्लिकेशन में प्रकाशक निर्भय कुमार जी का नंबर दे रही हूँ उनसे संपर्क कर आप प्रति प्राप्त कर सकते हैं :
निर्भय कुमार : 09310672443

या 

ऑनलाइन साईट अमेज़न पर भी उपलब्ध है वहां से भी मंगवा सकते हैं :

http://www.amazon.in/gp/product/9385296256…




निर्भय कुमार जी की नज़र से
अंधेरे का मध्य बिन्दु उपन्यास मुख्यतः लिव-इन संबंधों की सच्चाई, संघर्ष और समाधान का समग्र का रूप है। इसे आकार दिया है हिन्दी की जानीमानी युवा लेखिका वंदना गुप्ता ने। कई व्यक्तिगत एवं साझा काव्य संग्रहों के बाद इस विधा में यह उनका प्रथम प्रयास है। विषय-वस्तु की विशिष्ट बुनावट इस उपन्यास के लिए अच्छी बात कही जा सकती है और यही तथ्य एक नये उपन्यासकार के रूप में वंदना जी के पक्ष में जाती है। 

लिव-इन संबंधों की दृढ़ता और विश्वास ही उपन्यास का मुख्य आधार है। स्वयं वंदना जी लिखती हैं, ''कहानी का और मेरे अंदर की स्त्री शायद यही चाहती है कि रिश्ता कोई भी हो, हर रिश्ते का आधार प्रेम, विश्वास और स्पेस ही होते हैं। जितना हम अपने रिश्तों को थोड़ा-सा स्वतंत्र रखेंगे उतना ही आपसी विश्वास और बढेगा।''

मित्रो, यह उपन्यास 9 जनवरी से आरंभ हो रहे विश्व पुस्तक मेले के दौरान हॉल नंबर 12ए में APN Publications के स्टॉल पर उपलब्ध रहेगा।