पृष्ठ

अनुमति जरूरी है

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लोग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

अब सदायें आसमां के पार नहीं जातीं

आज तेरी 
याद का बादल
ख्यालों से
टकरा गया 
एक बिजली सी 
गिर गयी
आशियाँ जल गया
कभी हम मिले थे
यूँ ही चलते चलते
किसी अन्जान शहर में
किसी अन्जान मोड़ पर  
 और एक रिश्ता बना 
कुछ तेरा था उसमे 
कुछ मेरा था शायद
 बह रहे थे समय 
के दरिया में दोनों 
कभी उफ़ान खाता
सागर था तो
कभी  खामोश 
रह्गुजारें थीं 
मगर तब भी 
तुम भी थे
और मैं भी थी 
ये अहसास क्या 
कम थे 
मगर आज 
ना तुम हो
ना मैं हूँ
ना हमारे
अहसास हैं
वक्त की गर्द में
दबे शायद
कुछ जज़्बात हैं
जिन्हें तेरी 
पूजा की थाली में
उंडेल रही हूँ
जिसे तू खुदा 
कहता था
उसी में आज 
सहेज रही हूँ
वो तेरा जाना
और मेरा 
तड़प जाना
मगर रोक 
ना पाना
आज भी 
तड़पाता  है 
तेरे होने का
अहसास कराता है 
 मुझे मुझसे 
चुराता है
मगर यादें परवान 
नहीं चढतीं
शायद इसीलिए
अब सदायें
आसमां के पार
नहीं जातीं
और तुझ तक
पहुँच नही पातीं

47 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

दिल को छू लेने वाली बहुत गहरे अर्थ प्रकट करती पंक्तियाँ.

सादर

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मगर यादें परवान
नहीं चढतीं
शायद इसीलिए
अब सदायें
आसमां के पार
नहीं जातीं
और तुझ तक
पहुँच नही पातीं

सच में कभी कभी मन सदायें नहीं जा पातीं वहां तक........ खूबसूरत भावों की सुंदर प्रस्तुति.....

संजय भास्‍कर ने कहा…

vandna ji
namaskar
...kmaal ka likhti hain aap

संजय भास्‍कर ने कहा…

मगर आज
ना तुम हो
ना मैं हूँ
ना हमारे
अहसास हैं
वक्त की गर्द में
दबे शायद
कुछ जज़्बात हैं

कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना है। बधाई।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

न बिजली गिराइये
न आशियाँ जलाइए ..
सदाओं का क्या है
बस दिल में
ताजमहल बनाइये :):):)

खूबसूरत प्रस्तुति

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

vandana ji.bbahut hi ghan prastuti ke saath sach ko abhivykt karti hai aapki post.मगर यादें परवान
नहीं चढतीं
शायद इसीलिए
अब सदायें
आसमां के पार
नहीं जातीं
और तुझ तक
पहुँच नही पातीं
manko sochane par majboor kar gai ye panktiyan
poonam

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वो तेरा जाना
और मेरा
तड़प जाना
मगर रोक
ना पाना
आज भी
तड़पाता है
तेरे होने का
अहसास कराता है
--
वियोग शृंगार की बढ़िया रचना के लिए बधाई!

kshama ने कहा…

Aah Vandana! Dard se sarobaar rachana hai...dil me ek tees ubhar gayee.

बेनामी ने कहा…

वाह....वंदना जी....बहुत खूब....काफी रोमांटिक रचना लिखी है इस बार .....सुन्दर

शारदा अरोरा ने कहा…

बहुत खूब , अब सदायें नहीं जातीं हैं आसमान के पार , शायद इसलिए क्योंकि इन्सान ने बच्चे की सी फितरत खो दी है ...

कडुवासच ने कहा…

... bahut khoob ... shaandaar-jaandaar rachanaa !!!

shikha varshney ने कहा…

वाह वियोग और श्रृंगार ..वाह..

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

bhut hi sundar rachna.....see my blogg "*काव्य-कल्पना*" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ mera margdarshan kare....aapko aabhar

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

कित्ती प्यारी रचना है...बधाई.
______________
'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस

arvind ने कहा…

अब सदायें
आसमां के पार
नहीं जातीं
...dil ko chhu lenevaali rachna.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बहुत नाज़ुक अहसासों के साथ लिखी रचना ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पर यह धारदार तड़प तो बनी रहे।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत गहन अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.

रामराम.

Vinay ने कहा…

सुंदर कृति है

समयचक्र ने कहा…

bahut hi bhavapoorn rachana....

kavi kulwant ने कहा…

very nice

Kailash Sharma ने कहा…

मगर यादें परवान
नहीं चढतीं
शायद इसीलिए
अब सदायें
आसमां के पार
नहीं जातीं
और तुझ तक
पहुँच नही पातीं..

बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति..आँखें नम कर गयी..आभार

M VERMA ने कहा…

एहसास को बहुत खूबसूरती से चित्रित किया है

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

मगर यादें परवान
नहीं चढतीं
शायद इसीलिए
अब सदायें
आसमां के पार
नहीं जातीं
और तुझ तक
पहुँच नही पातीं


बेहद भावपूर्ण रचना है...

Devatosh ने कहा…

वंदना जी....

काश ऐसा ताल-मेल सुकू-ते-सदा में हो,

उसको पुकारूं मैं, तो उसी को सुनने दे.



प्यार की तड़प, आसमाँ के पार भी जाती है.....

शायद मैं भी यही प्रयोग कर रहा हूँ.....बधाई.

मैं कवि नहीं हूँ......इसलिए शायद ठीक से व्यक्त नहीं कर पाऊं. क्षमा प्रार्थी.

Sunil Kumar ने कहा…

गहन अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं दिल को छू लेने वाली ,बधाई

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

हर दिन
हर पोस्ट के साथ
गहराती जाती है
प्रेम की आपकी व्याख्या..

सुन्दर कविता...

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत गहरे ओर सुंदर भाव लिज़े हे आप की ज़ह रचना, धन्यवाद

S.M.Masoom ने कहा…

दिल को छूती हुई कविता

मनोज कुमार ने कहा…

ऐसे ही कभी कभी कोई मिल जाता है और रिश्ता बन जाता है।

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

अब सदायें
आसमां के पार
नहीं जातीं
और तुझ तक
पहुँच नही पातीं

बहुत सुन्दर........

36solutions ने कहा…

बहुत सुन्‍दर भावों को शब्‍दों में समेट कर रोचक शैली में प्रस्‍तुत करने का आपका ये अंदाज बहुत अच्‍छा लगा, शब्‍दों व नई कविता के प्रति आपका प्रेम सच्‍चा लगा.

बहुत सुन्‍दर भावों को
शब्‍दों में
समेट कर रोचक
शैली में प्रस्‍तुत
करने का आपका
ये अंदाज बहुत अच्‍छा लगा,
शब्‍दों व नई कविता के प्रति
आपका प्रेम सच्‍चा लगा.

एक लोकप्रिय-अतिलोकप्रिय-महालोकप्रिय या वरिष्‍ठ-कनिष्‍ट-गरिष्‍ठ ब्‍लॉगर

वाणी गीत ने कहा…

सदायें आसमान से पार नहीं जाती ...
इसलिए तुझ तक पहुँच नहीं पाती ...
मुश्किल दौर है ये ...
अच्छी कविता !

adil farsi ने कहा…

आज तेरी याद का बादल .....बहुत सुन्दर

Jyoti ने कहा…

"aaj teri badal"

अनुपमा पाठक ने कहा…

bahut bhaavpoorna abhivyakti!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

यादें परवान नहीं चढ़ती

शायद इसलिए

अब सदाये

आसमां के पार नहीं जाती..



बेहतरीन !!

amit kumar srivastava ने कहा…

एक दिन मेरे आंसू मुझसे पूछ बैठे,
मुझे रोज़ रोज़ क्यों बुलाते हो।
मैने कहा हम याद तो उन्हें करते हैं,
तुम क्यों चले आते हो।
आदरणीया वंदना जी :बहुत ही सुंदर रचना है आपकी।

ASHOK BAJAJ ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति... ,आभार !!!

ZEAL ने कहा…

वंदना जी, एक और उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई।

rashmi ravija ने कहा…

वो तेरा जाना
और मेरा
तड़प जाना
मगर रोक
ना पाना
आज भी
तड़पाता है
तेरे होने का
अहसास कराता है

क्या बात है...बड़ा ख़ूबसूरत लिखा है.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

वक्त के साथ हालात बदलते हैं इंसान बदलता है ...
सुन्दर रचना !

हरीश प्रकाश गुप्त ने कहा…

बहुत सुन्दर। भाव पूर्ण रचना के लिए आभार,

Swarajya karun ने कहा…

अनजान शहर के अनजान मोड़ पर मिलने और वक्त के ज़ज्बात को पूजा की थाली में उडेलने का भाव मन को छू गया . बहुत अच्छी कविता . बधाई और आभार .

rafat ने कहा…

मोहतरमा आपकी दिल छु लेने वाली रचना से फ़राज़ साब की शेर याद आया -अब ना वोह में हूँ ना तू है ना माजी है फ़राज़ /जेसे दो साये तम्मना के सराबों में मिलें .शुक्रिया

vijay kumar sappatti ने कहा…

वंदना ..

ज्यादा कुछ नहीं कहना है , इस कविता के बारे में .. मेरे collections के लिये इस भेज दो .

vijay