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बुधवार, 11 जनवरी 2012

इंतज़ार की सिलाई नही होती



तुम मुझे बातो के बताशे खिलाते हो 
अभी आऊँगा थोडी देर मे
तुम से ढेर सी बातें करूंगा
कह जाते हो और मै
आस की ऊँगली थामे
खडी रहती हूँ चौखट पर
एकटक दरवाज़े पर
निगाह टिकाये
जेठ की तपती दोपहर मे
जानते हो इतनी देर मे
एक इंतज़ार की चादर बुन लेती हूँ
कभी देखा है
इंतज़ार के धागो को चीरकर
देखना कभी
हर धागे मे
तुम और तुम्हारा इंतज़ार
ही नज़र आयेगा
जानती हूँ तुम नही आओगे
पता होता है मगर फिर भी
आस का दीपक
जलाये रखती हूँ
कभी करना तुम भी कोशिश
कभी करना तुम भी इंतज़ार
देखना पोर पोर मे
सुईयाँ गुबी मिलेंगी
क्योंकि
इंतज़ार  की सिलाई नही होती
सिर्फ़ गुदाई होती है………

54 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

इंतज़ार जो करता है दिल से - वही चुभन को जानता है

Aruna Kapoor ने कहा…

इंतज़ार!...कितना खुद एक मीठा एहसास होता है!..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

संजय भास्‍कर ने कहा…

चौखट पर एकटक दरवाज़े पर निगाह टिकाये जेठ की तपती दोपहर मे जानते हो इतनी देर मे एक इंतज़ार की चादर बुन लेती हूँ
बहुत सुन्दर शब्दों में आपने अपने मन के भाव को बाँधा है....आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....!

mridula pradhan ने कहा…

samajh nahin pa rahi hoon.....kin shabdon men tareef karoo.....is intzar ka.....

vidya ने कहा…

वाह वंदना जी..
सच है इंतज़ार का दर्द वाकई सुइयां चुभोता है..

जय शंकर ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

kshama ने कहा…

Sach! Intezaar aisahee hota hai! Jo karwata hai uska bhala hao!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

इन्तहा हो गई इंतजार की,इंतजार की घड़ियाँ की चुभन क्या होती है,.....इसकी बहुत सुंदर प्रस्तुति की आपने ,बेहतरीन रचना
welcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... अनोखे बिम्ब से सजी रचना ... इन्तेज़ार की सिलाइयां नहीं होती ...

आशा बिष्ट ने कहा…

kafi..sundar mann ko chhu gaya...

रविकर ने कहा…

बहुत बहुत बधाई |
बढ़िया प्रस्तुति ||

बेनामी ने कहा…

इंतज़ार की सिलाई नहीं होती.........वंदना जी आपकी पोस्ट के टॉपिक बहुत अच्छे होते हैं :-)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रतीक्षा बड़ी कठिन होती है।

Unknown ने कहा…

आन्तरिक भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति

shikha varshney ने कहा…

ओह्ह ...चुभन गहरी है.

Sanju ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन....

Amrita Tanmay ने कहा…

आस का दीपक बुझने न पाए ..उफ़ ..इंतज़ार..

शिवम् मिश्रा ने कहा…

इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - " The Politician Who Made No Money - लाल बहादुर शास्त्री " - ब्लॉग बुलेटिन

शिवम् मिश्रा ने कहा…

इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - " The Politician Who Made No Money - लाल बहादुर शास्त्री " - ब्लॉग बुलेटिन

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

इंतज़ार की चुभन को महसूस कराती सशक्त रचना

संध्या शर्मा ने कहा…

कभी करना तुम भी कोशिश
कभी करना तुम भी इंतज़ार
देखना पोर पोर मे सुईयाँ गुबी मिलेंगी

इंतज़ार बड़ा मुश्किल होता है... जो करे वही जाने... गहन अनुभूति... आभार

Asha Joglekar ने कहा…

क्या बात कही है वंदना जी, इंतज़ार में सिलाई नही केवल गुदाई होती है । सुंदर प्रस्तुति ।

विभूति" ने कहा…

इंतज़ार के दर्द को बहुत खूबसूरती रचना में पिरोया है आपने.....

***Punam*** ने कहा…

लेकिन फिर भी इंतज़ार और अभी....
क्यूँ कि उँगलियों में अभी भी जगह बाकी है...!

***Punam*** ने कहा…

लेकिन फिर भी इंतज़ार और अभी....
क्यूँ कि उँगलियों में अभी भी जगह बाकी है...!

मो. कमरूद्दीन शेख ( QAMAR JAUNPURI ) ने कहा…

बहुत ही सहज सुंदर और मन को छू जाने वाली रचना। बहुत बहुत बधाई

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह सुंदर

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

कभी करना तुम भी इंतज़ार ,
देखना पोर-पोर से ,
सुईयां गुथीं मिलेगी ,
तब शायद , इंतज़ार के ,
दर्द का एहसास हो..... !!
अति सुन्दर रचना.... !!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति!

सुज्ञ ने कहा…

"इंतज़ार की सिलाई नही होती"

शिर्षक ही सबकुछ बयां कर जाता है।

गज़ब है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

लिंक गलत देने की वजह से पुन: सूचना

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है

...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़

सदा ने कहा…

इंतजार ...और इस चुभन का वर्णन अनुपम प्रस्‍तुति ।

Jeevan Pushp ने कहा…

intjaar men jo pal bitte hai unko jine men bhi ek alag maza hota hai.
man ek hi pal men kai sadiyon ki vyakulta lekar jeene lagta hai.
bahut sundar prastuti.
abhaar.

Anupama Tripathi ने कहा…

एक टीस भरी ...सुंदर रचना ...

Mamta Bajpai ने कहा…

भावुक रचना ..अच्छी है

Personal loan ने कहा…

Very Nice post

PRAN SHARMA ने कहा…

Sachchaaee ke rubru karaatee kavita.

कुमार संतोष ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन सुन्दर अभिव्यक्ति!

Unknown ने कहा…

इंतज़ार एक चुभन पैदा करता मीठा मीठा अहसास ..
बेहद ही सुन्दर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ...
सादर !!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

दस हजारी होने पे बहुत-बहुत बधाई ...वंदना जी

Kailash Sharma ने कहा…

इंतज़ार का दर्द...उफ़ कितना मुश्किल होता है...एक एक शब्द में दर्द बिखेरती बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार

virendra sharma ने कहा…

अच्छी भाव विह्वल करती रचना ,सच मुच वह प्रतीक्षा कष्ट प्रद होती है जो पूरी नहीं होती -प्रतीक्षा में युग बीत गए ,सन्देश न कोई मिल पाया ,सच बतलाऊँ तुम्हें प्राण ,इस जीने से मरना भाया .

मेरे भाव ने कहा…

बेहतरीन कविता

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति! इंतज़ार का दर्द भी एक मीठा एहसास होता है..

Satish Saxena ने कहा…

इंतज़ार की अच्छी अभिव्यक्ति ....
शुभकामनायें !

Onkar ने कहा…

aakhiri panktiyon ka kya kehna

Sanju ने कहा…

बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

रचना दीक्षित ने कहा…

इन्तेज़ार की सिलाई नहीं होती....

सीधे दिल को छू जाने वाली रचना है. बधाई.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 17/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

दीपिका रानी ने कहा…

खूबसूरत। इंतजार की पीड़ा में भी सुख है।

Unknown ने कहा…

मुझे बातों के बताशे खिलते हो
या
इंतज़ार की एक चादर बुन लेती हूँ

अति सुन्दर पक्तियां ,

वाह बहुत उम्दा . आपकी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद शुभकामनायें

Unknown ने कहा…

Sundar rachna ....

मेरे भी ब्लॉग में पधारें और मेरी रचना देखें |
मेरी कविता:वो एक ख्वाब था

ATAMPRAKASHKUMAR ने कहा…

आत्म प्रकाश =इंतज़ार की सिलाई नहीं होती ,सिर्फ बुनाई होती है |
जानती हूँ तुम नहीं आओगे ,पता होता है मगर फिर भी
आस का दीपक जलाए रहती हूँ | वाह-वाह क्या बात है |
वंदना जी आप में प्रस्तुतीकरण की कला है |

M. Abhyankar ने कहा…

wonderful!