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मंगलवार, 24 जनवरी 2012

कुछ तो जुस्तजू अभी बाकी है………………


तुम लिखते नही
या मुझ तक पहुंचते नही
तुम्हारे वो खत
जिसकी भाषा ,लिपि और व्याकरण
सब मुझ पर आकर सिमट जाता है
शायद संदेशवाहक बदल गये हैं
या कबूतर अब तुम्हारी मुंडेर पर नही बैठते
या शायद तुमने दाना डालना बंद कर दिया है
तभी बहेलियों के जाल में फँस गए हैं 

कोई तो कारण है 
यूँ ही नहीं हवाएं पैगाम लेकर आई हैं 

कुछ तो जुस्तजू अभी बाकी है………………

43 टिप्‍पणियां:

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

khat ke bhasha lipi vyakaran sab aakar simat gaye...:))
kya gajab ki baat kahi hai..!!

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

वाह जी क्या बात हैं ....
वक्त के साथ सब कुछ बदला बदला सा क्यूँ हैं ?

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब .. क्यों नहीं आते वो पयाम जो दिल से दिल बिना किसी सन्देश-वाहक के पहुँच सकें ...

रविकर ने कहा…

सटीक |
बधाई ||

Personal Loan ने कहा…

Very Niceeee

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बढ़िया कविता... इन दिनों आपकी कविता में नए आयाम दिख रहे हैं...

shikha varshney ने कहा…

बदले बदले से सरकार नजर आते हैं..सुन्दर प्रस्तुति.

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत बढि़या ।

कल 25/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, ।। वक्‍़त इनका क़ायल है ... ।।

धन्यवाद!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति..

सूत्रधार ने कहा…

आपके इस उत्‍कृष्‍ट लेखन के लिए आभार ।

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

waah bahut achcha.

***Punam*** ने कहा…

कुछ प्रश्नों के उत्तर नहीं होते....
सुन्दर....

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत खूब ..सुन्दर भाव..

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

bahut khoobsurat shabd aur bhaav, badhai sweekaaren Vandana ji.

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर

हिंदी दुनिया

रश्मि प्रभा... ने कहा…

कबूतर अब तुम्हारी मुंडेर पर नही बैठते
या शायद तुमने दाना डालना बंद कर दिया है
तभी बहेलियों के जाल में फँस गए हैं
कोई तो कारण है
यूँ ही नहीं हवाएं पैगाम लेकर आई हैं... सुनो भी , वरना ये न लौट जाएँ

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

दे के खत मुह देखता है नामवर
कुछ तो पैगामें जबानी और है....

डॉ टी एस दराल ने कहा…

कुछ तो जुस्तजू अभी बाकि है ---बहुत खूब ।

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर काव्य रचना और भाव बधाई

विभूति" ने कहा…

सच में अभी बहुत कुछ बाकि है......खुबसूरत रचना.....

vijay kumar sappatti ने कहा…

हाँ शायद बाकी है कुछ

RITU BANSAL ने कहा…

वाह ..प्रभाव शाली ..कितनी सुन्दर पंक्ति है ..
'यु ही नहीं हवाएं पैगाम लेकर आयीं हैं '
kalamdaan.blogspot.com

PRIYANKA RATHORE ने कहा…

kya baat vandana ji.... :)

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

आज इस नए युग में पैगाम भेजने के तरीके बदल गए है,...बहुत खूब
इस सुंदर रचना,के लिए बधाई

kshama ने कहा…

Wah! Bahut,bahut sundar!

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सुंदर बेहतरीन अभिव्यक्ती है

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

बहुत कुछ अभी बाकी है...!

संध्या शर्मा ने कहा…

दिल से दिल को राह होती है. हवाओं द्वारा ही सही पैगाम तो पहुँच ही जाता है...
खूबसूरत अहसास... आभार

Aparajita ने कहा…

awesome....... :) :)

मनोज कुमार ने कहा…

बेहतरीन। बधाई।

रचना दीक्षित ने कहा…

जुस्तजू ही तो जिंदगी में आगे बढ़ने की हिम्मत देती है.

सुंदर विचार और इतनी ही सुंदर कविता.

बधाई.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर ....उम्दा प्रस्तुति .....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
गणतन्त्रदिवस की पूर्ववेला पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!

udaya veer singh ने कहा…

sab kuchh to vahi hai ,bas dil asaar badal gaye hain . bahut sundar

Madhuresh ने कहा…

एक मीठा सा एहसास कराती रचना! बहुत सराहनीय!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया।


सादर

vidya ने कहा…

बहुत सुन्दर..
एहसासों से पगी...
सस्नेह.

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना |
मेरी नई रचना जरुर देखें |
मेरी कविता:शबनमी ये रात

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

पैगाम तो आज भी भेजते है पर तरीके बदल गए है,...
बहुत सुंदर प्रस्तुति,भावपूर्ण अच्छी रचना,..
WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर ..क्या बात है ...

vikram7 ने कहा…

वेहतरीन प्रस्तुति
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........

वाणी गीत ने कहा…

दिल की सबसे खूबसूरत बात , जिंदगी की सबसे खूबसूरत घडी, प्रकृति का सर्वोत्तम गीत अभी बाकी है !

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

सुंदर रचना ......सपरिवार सहित गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.....