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शनिवार, 28 जनवरी 2012

सरस्वती माँ को सादर वन्दन अभिनन्दन




सरस्वती माँ को सादर वन्दन अभिनन्दन 
करो माँ हर ह्र्दय मे प्रेम का मधुर स्पन्दन

तम का नाश कर दो अज्ञानता का ह्रास कर दो
ज्ञान उजियारे से माँ जीवन उल्लसित कर दो 

तन मन प्रफुल्लित हो सदा नित करें तुम्हें वंदन
गीत शांति सौहार्द के गायें सदा हो जाए पूर्ण समर्पण 

तुम्हारी प्रथम आराधना से हो वासंतिक अभिनन्दन 

जीवन के हर पग पर मिल जाए एक नया खिला उपवन 

सरस्वती माँ को सादर वन्दन अभिनन्दन 
करो माँ हर ह्र्दय मे प्रेम का मधुर स्पन्दन

39 टिप्‍पणियां:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

माँ सरस्वती की कृपा ऐसी ही बनी रही.... :)

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

माँ सरस्वती की कृपा ऐसी ही बनी रही.... :)

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

माँ शारदे की सुंदर स्तुति ....

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

माँ सरस्वती को नमन,
आपकी कलम को नमन,
निरालाजी को नमन !

vandana gupta ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
सदा ने कहा…

माँ सरस्‍वती का आशीष यूँ ही सब पर सदैव बना रहे .. बसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।

vidya ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति...
माँ सरस्वती की कृपा से आपकी लेखनी चिरायु हो..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अज्ञानता से हमें तार दो माँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया ।

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।


सादर

Unknown ने कहा…

माँ शारदे की सुन्दर वंदना । माता की कृपा बनी रहे ।
बसंत पंचमी और माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ । मेरे ब्लॉग "मेरी कविता" पर माँ शारदे को समर्पित 100वीं पोस्ट जरुर देखें ।

"हे ज्ञान की देवी शारदे"

विभूति" ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति..

kshama ने कहा…

Bahut,bahut sundar!

Maheshwari kaneri ने कहा…

माँ सरस्वती की सुन्दर वंदना..सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

बसंत पंचमी की शुभकामनाएं....

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।

ऋतुराज वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

बेनामी ने कहा…

सुन्दर गान.....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वीणावादिनी वर दे ...

Maa ka vandan hai ... sundar bhaav abhivyakti ...

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

माँ सरस्वती को नमन ..हे शारदा तुझ नमन ...वीणावादनी जय हो ....

संध्या शर्मा ने कहा…

माँ सरस्वती की बहुत सुन्दर वंदना ... वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

माँ सरस्वती का सुन्दर वंदन ... अच्छा स्तुति गान

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सुंदर वंदन।

Amrita Tanmay ने कहा…

बहुत सुन्दर .आप पर विशेष अनुकम्पा हो माँ की.

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

देवी देवताओं की पूजा उन लोगों का मौलिक अधिकार है जो कि उनकी पूजा में विश्वास रखते हैं। लेकिन जब इस पूजा और विश्वास को इस महान देश की ज्ञान परंपरा में देखा जाता है तो पता चलता है कि वैदिक परंपरा में मूर्ति पूजा बाद के काल में शामिल हुई।
जो लोग ज्ञानी हैं वे जानते हैं कि अनंत ज्ञान का स्वामी ईश्वर नर और नारी नहीं है। जब इस धरती पर ज्ञान का आलोक था तब यहां मूर्ति पूजा भी नहीं थी। तत्व की बात तो यह है कि इस सृष्टि का संचालन कोई देवी देवता नहीं कर रहा है बल्कि एक सर्वशक्तिमान ईश्वर ही कर रहा है। जो लोग उसके बनाये नियमों का पालन करते हैं उन्हें वह ज्ञान देता है और जो लोग उसके नियमों की अवहेलना करते हैं, वे ज्ञान से वंचित रह जाते हैं।
आज भारत के युवा विदेशों में जाते हैं ज्ञान पाने के लिए, शिक्षा पाने के लिए जबकि विदेशों में शारदा और सरस्वती की वंदना-पूजा-उपासना सिरे से ही नहीं होती। वे लक्ष्मी और कुबेर की पूजा भी नहीं करते लेकिन वर्ल्ड बैंक पर क़ब्ज़ा उनका ही है और भारत के लोग उनसे आर्थिक सहायता पाने की गुहार लगाते रहते हैं।
ज्ञान, शिक्षा और धन विदेशियों को क्यों मिला और देवियों के पुजारियों से भी ज़्यादा क्यों मिला ?


‘तत्व ज्ञानी‘ आज भी यही बताते हैं कि सारी चीज़ों का स्वामी केवल एक परमेश्वर है और उसके गुणों को देवी और देवता बताने वाली बातें केवल कवियों की कल्पनाएं हैं. जब ईश्वर के सत्य स्वरूप को भुला दिया गया तो ईश्वर ने अरब के लोगों को अपने सत्य स्वरूप का बोध कराया. हमारी सफलता इसमें है कि हम परमेश्वर के मार्गदर्शन में चलें जो कि वास्तव में ही ज्ञान का देने वाला है। उसका परिचय वेद और क़ुरआन में इस तरह आया है-

1. हुवल अव्वलु वल आखि़रु वज़्-ज़ाहिरु वल्-बातिनु, व हु-व बिकुल्लि शैइन अलीम.
वही आदि है और अन्त है, और वही भीतर है और वही बाहर है, और वह हर चीज़ का ज्ञान रखता है.
(पवित्र क़ुरआन, 57,3)

त्वमग्ने प्रथमो अंगिरस्तमः ...
अर्थात हे परमेश्वर ! तू सबसे पहला है और सबसे अधिक जानने वाला है.
(ऋग्वेद, 1,31,2)

2. ...लै-इ-स कमिस्लिहि शैउन ...
अर्थात उसके जैसी कोई चीज़ नहीं है.
(पवित्र क़ुरआन, 42,11)

न तस्य प्रतिमा अस्ति ...
उस परमेश्वर की कोई मूर्ति नहीं बन सकती.
(यजुर्वेद, 32,3)
Source : वेद क़ुरआन में ईश्वर का स्वरूप God in Ved & Quran

http://vedquran.blogspot.com/2012/01/god-in-ved-quran.html

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति.....बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सुन्दर सरस्वती वंदना ।

avanti singh ने कहा…

maa ko shat shat namn... achi rachna.... bdhai....

avanti singh ने कहा…

http://gauvanshrakshamanch.blogspot.com/

गौ रक्षा करने की जाग्रति हेतु एक ब्लॉग का निर्माण किया है ,आप सादर आमंत्रित है सदस्य बनने और अपने विचार /सुझाव/ लेख /कविता रखने के लिए ,अवश्य पधारियेगा.......

मनोज कुमार ने कहा…

बसंत पंचमी की शुभकामनाएं....!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति बहुत अच्छी रचना,..

--26 जनवरी आया है....

shikha varshney ने कहा…

वीणा वादिनी वर दे.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आज 29/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Arun sathi ने कहा…

शत शत नमन

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

मां सरस्वती को समर्पित भक्तिभावमयी रचना उत्कृष्ट है।
जयतु शारदे।

मेरे भाव ने कहा…

माँ सरस्वती आपके शब्द और भाव में रंग भरें... वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामना

girish pankaj ने कहा…

aaj pahunchaa. parhaa. achchha lagaa ki aapne maan ki sundar vandana kee.

mridula pradhan ने कहा…

bahut khoobsurat vandna.......

Rakesh Kumar ने कहा…

Vandana ji,bahut sundar vandana prastut ki hai aapne.
har shabd se pavitr bhav jhar rahe hain.

bahut bahut aabhar ji.

कुमार राधारमण ने कहा…

सरस्वती की कृपा से ही विद्या है,बुद्धि है और कम्प्यूटर रूपी यह कलम भी। माता की कृपा हम सब पर बनी रहे।

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण वंदना! बेहद पसंद आया!

PRAN SHARMA ने कहा…

SAB PAR SARASVATI KEE KRIPA BANEE RAHE . SUNDAR VANDANAMAYEE
RACHNA KE LIYE BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .