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गुरुवार, 26 जनवरी 2012

फिर कैसे अश्रुपूरित नेत्रों से स्वयं का दोहन करूँ?

नहीं हूँ मैं देशभक्त
क्या करूँ देशभक्त बनकर
जब रोज नए घोटाले करने हैं
जब रोज जनता को 
लूटना खसोटना है
जब रोज भ्रष्टाचार के 
नए नए मार्ग खोजने हैं
जब रोज सच का गला घोंटना है
जब रोज गणतंत्र के नाम पर
सब्जबाग दिखाना है
चेहरे पर एक नया चेहरा लगाना है
झूठ के आईने में 
सच को दिखाना है
हर पल एक झूठ के साथ जीना है
तो क्या करूँ मैं देशभक्त बनकर
और क्या करूँ मैं 
सबको गणतंत्र की शुभकामना देकर
जब ना बदल पाया कुछ भी
गुलाम तो कल भी थे आज भी
गैरों की गुलामी से तो बच निकले
अपनों की गुलामी से बचकर किधर जाएँ
जब खुद अपना ये हाल हमने बनाया है
तो क्या होगा एक दिन 
गणतंत्र के नाम पर 
खुद को भुलावा देकर
क्या होगा एक दिन 
आदर्शवादी बनने का ढोंग करके
क्या होगा एक दिन
गणतंत्र दिवस की शुभकामना देकर
जबकि उसके असली अर्थ को ना जाना हमने
खुद को निरीह बना डाला हमने
अधिकारों और कर्तव्यों को 
दोगली छवि वालों के हाथों की
कठपुतली बनाया हमने
जब तक ना बदल जाए ये सब
तब तक कैसा गणतंत्र और किसका गणतंत्र
फिर कैसे अश्रुपूरित नेत्रों से स्वयं का दोहन करूँ और खुद को देशभक्त कहूं ????

29 टिप्‍पणियां:

RITU BANSAL ने कहा…

वाह.!
.गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें ..जय हिंद !!
kalamdaan.blogspot.com

Ayaz ahmad ने कहा…

Nice post .


कोई देश तीर्थ के लिए मशहूर है दुनिया में और कोई दुनिया की दौलत के लिए.
दौलत के भूखे तीर्थ का देश छोड़कर चले जाते हैं ऐसे देश में जहां वे अपनी आस्थाओं पर प्रहार होते चुपचाप देखते रहते हैं.
वहां गाय काटी जाती है और वे चुप रहते हैं सिर्फ़ माल की ख़ातिर.
वहां बैठकर वे गऊ रक्षा की बातें करते हैं अपने ब्लाग पर केवल उस देश के लोगों के लिए जहां से भागे हुए हैं.
यह है इनकी नैतिकता.
ये गंगा को छोड़कर गए , ये हिमालय को छोड़कर गए, ये अपनी बूढ़ी मां को छोड़कर गए, ये अपने रिश्ते नातों को छोड़कर गए, ये सब कुछ छोड़कर गए सिर्फ़ एक माल की ख़ातिर.
ये अपना ज़मीर कुचल कर विदेश में रहते हैं और फिर भी नैतिकता का उपदेश पिलाते हैं अपने देश के लोगों को.
तुम माल की बातें करो, नैतिकता की बातें हम कर लेंगे.
तुम्हें सीखना हो धर्म और नैतिकता तो हमसे सीखो.
या फिर ख़ामोश ही रहो.
जिस मैदान में तुम्हें कोई तजर्बा ही नहीं है.
उसमें बात क्यों करते हो ?

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुन्दर.. आशाओं और कोशिशों कि जंग.... बहुत सही!

kshama ने कहा…

In sab baaton ke liye ham sabhee zimmedaar hain!
Gantantr Diwas kee anek shubh kamnayen!

vikram7 ने कहा…

सही, देश भक्त कहलाने व बननें में बहुत बड़ा अंतर होता है, सच का आईना दिखाती सार्थक प्रस्तुति

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........

मेरे भाव ने कहा…

..बढ़िया वृतांत... गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

जन गण मन के मधुर सुरों से
आओ मंगल गान करें
संस्कृति के आदर्शों से
नव युग का आव्हान करें.
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....

vidya ने कहा…

बहुत बढ़िया...
कवि ह्रदय में भी इतना क्रोध!!!!!
सार्थक भावाव्यक्ति..

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kaise khud ko dedh bhakt kahun......... sach me !!
aaina dikha diya :)
bahut bhaw se bhari rachna... badhai..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सबको आईना दिखाया है .. सुन्दर रचना

shikha varshney ने कहा…

सही कह रही हो ...मर्म स्पर्शी. सोचने को मजबूर करती पंक्तियाँ.

Onkar ने कहा…

Bahut sahi. Dikhawa karne se kya fayda.

Rajesh Kumari ने कहा…

aajadi par mitne vaalon ko yaad karo bas yahi hai gantantra divas ki shubhkamna aur kuch nahi hai jashn manane ko.
bahut achcha likha yahi manosthiti apni bhi hai.

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना.. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

देश की मार्मिक अवस्था..सुन्दर अभिव्यक्ति।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत बढ़िया .....जो होना था वो कहाँ हो पाया .....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर!
63वें गणतन्त्रदिवस की शुभकामनाएँ!

alka mishra ने कहा…

बिलकुल सही लिखा है

हम सभी को गणतंत्रदिवस की मुबारक बाद.

इलाही वो भी दिन होगा जब अपना राज देखेंगे
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वंदना जी, कहाँ रह गया है गणतन्त्र,...बहुत सुंदर प्रस्तुति,भावपूर्ण अच्छी रचना,..

WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....

रविकर ने कहा…

आज के चर्चा मंच पर आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
का अवलोकन किया ||
बहुत बहुत बधाई ||

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

deshbhakt ab hote kahan hai? agar dekha jaay to jo deshbhakt hain unhen in sab cheejon se koi vasta nahin hota aur sachche deshbhakt hain hamare sainik jo isa sabse pare seema par apani jindgi daanv par lagaye apani najaren dushman kee gatividhiyon par lagaye rahate hain aur gumnam shaheed bhi ho jaya karte hain.
Aj ka din bas unhen naman karne ka hai aur yahi gantantra kee shubhakamanayen hain.

Aruna Kapoor ने कहा…

वास्तविकता यही है!

सुज्ञ ने कहा…

एक दुखद सच्चाई की अभिव्यक्ति!!

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

amrendra "amar" ने कहा…

बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन पोस्ट...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

मन में उठता है विरोध , पर यह देश तो अपना है ... आगे बढ़कर भक्ति सीखनी होगी , खून बहाना होगा

Satish Saxena ने कहा…

सही चिंतन ...
आभार एक बढ़िया रचना के लिए !

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

व्यवस्था पर करारा प्रहार |

बेनामी ने कहा…

attyant sunder kaha aapne