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रविवार, 30 जनवरी 2011

मौत! तुम्हारा स्वागत है

मौत! तुम्हारा
स्वागत है
तुम ही तो
जीवन का 
शाश्वत
सत्य हो
जीवन 
क्षणभंगुर 
अस्थिर है 
मगर तुम
अटल हो
जीवन
दुश्वारियों 
दुश्चिंताओं 
उलझनों का 
समन्वय है 
मगर तुम
मुक्तिबोध 
कराती हो
हर चिंता से 
मुक्त कराती हो 
मौत तुम तो
दुखो की 
विश्रांति  का 
काल हो 
एक नव सृजन
के लिए 
जीवन को
राह दिखाती हो
तुम 
विध्वंसकारी कहाँ ?
तुम तो 
नव निर्माण 
कराती हो
मौत तुम तो
निरंतर बहता 
झरना हो
जो मुरझाये
टूटे बिखरे 
जीवन को 
नव चेतना 
से पुनर्जीवित 
करती हो
तुम्हारे अनवरत
बहते झरने में 
डुबकी लगाते ही
नव पुष्प सा 
नव जीवन का 
सृजन होता है
मौत तुम ही तो
सृष्टि का आधार हो
संहारक  नहीं
नव सृजन 
की वाहक हो
हाँ  मौत ! 
तुम्हारा 
ह्रदय से
असीम 
स्वागत है 

57 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

अरे वाह!
मौत का भी स्वागत?
किसी ने सच ही कहा है-
"मौत महबूबा है अपनी......"

Sushil Bakliwal ने कहा…

क्या टिप्पणी हो- सिवाय इसके कि क्या ये स्वागत गान कुछ जल्दी होता नहीं लग रहा है ?

Devatosh ने कहा…

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानी गृह्णाति नरोप्राणी...कृष्ण ने यही कहा भगवद गीता मे. मौत तो एक अवस्था परिवर्तन है और है ही क्या......बधाई.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वही जीवन-निष्कर्ष है, स्वागत है, जब भी आये।

Shikha Kaushik ने कहा…

sach ''maut ' srajan ka aadhar hai .shashvat satya ko ukerti hui aapki rachna prashansniy hai .shubhkamnaon ke sath...

Satish Saxena ने कहा…

और हँसते हँसते स्वागत है ....
उस समय कहेंगे
धन्यवाद जिंदगी ! अच्छा साथ दिया तुमने ...
शुभकामनायें वंदना जी !

बेनामी ने कहा…

zindgi ka to bahut sawagat dekha magar mout ka pehli baar... bahut badiya..
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संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

यथार्थ को अभिव्यक्त करती दार्शनिक भाव वाली अच्छी रचना

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

मौत !

निर्मला कपिला ने कहा…

मौत शाश्वत है
खुशी से जब आये
स्वागत है।
अच्छी लगी रचना। शुभकामनायें।

स्वप्निल तिवारी ने कहा…

anand film men amit jee dwara padhi gayi ek nazm yaad aa gayi "maut tum ek kavita ho"
bahut acchi lgi apki rachna....

चैन सिंह शेखावत ने कहा…

ज़िन्दगी बेवफा है एक दिन ठुकराएगी
मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जाएगी

गहरी दार्शनिकता है वंदना जी..

Sunil Kumar ने कहा…

मौत का भी स्वागत ? अच्छी लगी रचना। शुभकामनायें .....

सुज्ञ ने कहा…

जिन्दगी की संतुष्टि से उभरता है यह मृत्यु स्वागत भाव।
शाश्वत सत्य का यथार्थ प्रकटीकरण।

समय चक्र ने कहा…

सही है गर मौत भी आ जाए अगर हंसते हंसते स्वीकार करना चाहिए ... एक दिन आना तो है ... बहुत ही भावुक अंदाज में रचना लिखी है .. आभार

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कितनी आसानी से बड़ी से बड़ी बात को भी सरलता से कह देती हैं आप....
वाकई लाजवाब कर देने वाली कविता.

सादर

amit kumar srivastava ने कहा…

सच है,मौत का स्वागत करेंगे तभी ज़िन्दगी अपने आप हमारा सम्मान भी करेगी और सत्कार भी....बहुत अच्छी रचना ।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

मौत का स्वागत करती यह कविता अनूठी है। स्वागत करना भी चाहिए क्योंकि वही तो नए जीवन को अवसर देती है ।...अनुपम कविता।

अजय कुमार झा ने कहा…

हाय हाय ! मुईं मौत की इत्ती तारीफ़ ..वो भी इतने सुंदर शब्दों में ..अब न मानेगी अब तो निगोडी आ के रहेगी ..एक न एक दिन ....लेकिन सच में आपकी कविता पढने के बाद लग रहा है कि जब आएगी तब तक सच में ही शायद उसे बाहें फ़ैला के जादू की झप्पी देने को तैयार होंगे हम ।


वाह जिंदगी !तेरी मुहब्बत ने जाने कितने अफ़साने गढवाए मुझ से ...मगर अब मौत भी कविता करवाने लगी है

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मौत ... तू एक कविता है ...
बहुत ही खूबसूरत रचना है ... कविता की तरह बहती हुई ...

संध्या शर्मा ने कहा…

मौत तुम्हारा स्वागत है..
हर चिंता से मुक्त कराती हो..
नव सृजन की वाहक हो ...
तुहारा ह्रदय से स्वागत है...
बहुत खूब जिंदगी का स्वागत तो सभी करते है मौत का स्वागत भी इतने खूबसूरत अंदाज़ में,मैं तो सहमत हूँ..... बधाई .......

Anupriya ने कहा…

sach hai...

bahot hee prabhaoshali rachna...

shikha varshney ने कहा…

दार्शनिक भाव की कविता ..अच्छी है.

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

वाह! पर एक सच को आपने पहचान कर सुन्दर भाव से सार्थक रचना करी!

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

बहुत सुन्दर ...
मौत ही अंतिम सत्य है....

रचना दीक्षित ने कहा…

अच्छी रचना. सच है जीवन में जब जो जैसे आता जाये उसे वैसे ही स्वीकारते जाएँ .

Arun sathi ने कहा…

welcom

Atul Shrivastava ने कहा…

जिंदगी तो फसाना है हकीकत मौत है और जिसने मौत का स्‍वागत करना सीख लिया समझो उसने जीवन का मर्म समझ लिया। अच्‍छी रचना।

मदन शर्मा ने कहा…

मौत तुम्हारा स्वागत है..
हर चिंता से मुक्त कराती हो..
नव सृजन की वाहक हो ...
तुहारा ह्रदय से स्वागत है...
बहुत खूब जिंदगी का स्वागत तो सभी करते है मौत का स्वागत भी इतने खूबसूरत अंदाज़ में,मैं तो सहमत हूँ..... बधाई .......

मदन शर्मा ने कहा…

मौत तुम्हारा स्वागत है..
हर चिंता से मुक्त कराती हो..
नव सृजन की वाहक हो ...
तुहारा ह्रदय से स्वागत है...
बहुत खूब जिंदगी का स्वागत तो सभी करते है मौत का स्वागत भी इतने खूबसूरत अंदाज़ में,मैं तो सहमत हूँ..... बधाई .......

Dr Xitija Singh ने कहा…

मौत का स्वागत .... बहुत खूब :)

Shabad shabad ने कहा…

आपकी कलम को सलाम

रश्मि प्रभा... ने कहा…

maut ka swaagat , maut bhi khaas

Anupama Tripathi ने कहा…

तुम तो
नव निर्माण
कराती हो
मौत तुम तो
निरंतर बहता
झरना

मौत को देखने का सकारात्मक दृष्टिकोण -
जब हमारे हाथ में कुछ है ही नहीं तो मौत का स्वागत करना ही चाहिए --
सुंदर रचना है .

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

इतना तो पता था कि मौत ज़िन्दगी की वो महबूबा है जो सभी को मिलती है मगर यह इतनी सुन्दर है, आज आपकी कविता पढ़कर मालूम हुआ !

मौत को भी आपने ज़िन्दगी के रंग में रंग दिया !

आभार !

सदा ने कहा…

बहुत खूब कहा है ...इस रचना में ।

Suman ने कहा…

bahut sunder rachna......

शिवा ने कहा…

बहुत सुंदर कविता

Amrita Tanmay ने कहा…

वंदना जी , सबसे पहले मैं आपसे माफ़ी चाहती हूँ कि विलम्ब से आई ..मैं नेट पर कम ही आती हूँ .आपका ब्लॉग बेहद सुन्दर है और आपका काम तो ..सराहनीय है ...ब्लॉग जगत को आप जैसे रचनाकारों की ही जरुरत है . हार्दिक शुभकामनायें

बेनामी ने कहा…

वंदना जी,

सच कहा......मौत कहाँ कुछ छिनती है.....वो तो एक ठहराव है......बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति......इस पोस्ट के लिए हैट्स ऑफ टू यू......

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

यथार्थ को अभिव्यक्त करती रचना.आभार !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सास्वत सत्य से रूबरू कराती सुन्दर कृति !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

मौत का स्वागत ...
शाश्वत सत्य को बहुत भावपूर्ण रचना से सहेजा है |

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है ... आपने जीवन के शास्वत सत्य के बारे में सुन्दर तरीके से लिखा है !

गौरव शर्मा "भारतीय" ने कहा…

वाह क्या बात है...
आज पहली बार किसी को मौत का सहृदयता से स्वागत करते हुए देखा है वाकई आपका यह पोस्ट यथार्थ से रूबरू करता है |
सार्थक एवं प्रभावी लेखन के लिए बारम्बार बधाई |

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

भारत के गहन दर्शन को कोमल-कोमल शब्दों में बखूबी पिरोया गया है. यथार्थ का पल भर भी सामना करने में कठिनाई होती पर इस कविता ने यथार्थ से बड़ी सहजता से परिचय कराया, स्मरण कराया.

Unknown ने कहा…

वंदना जी दार्शनिकता से ओतप्रोत ये रचना, दिलो को झंकृत कर रही है, मगर एक दर भी है, जो सब में होता है मुझमे भी है.. लेकिन आपको एक बेबाक तरीके से सच्च्याई कहने के लिए पुनः धन्यवाद्

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपके उदगार जजबातों को स्पंदित कर दिया।दुख इस बात का है कि मुझे मौत से डर लगता है। मैं मरना नही चाहचा हूं।मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।

Ravi Rajbhar ने कहा…

bahut upyukt,
ek alag vishay .

रंजना ने कहा…

बहुत बहुत सही कहा आपने...

मृत्यु का स्वागत करने वाला ही सही मायने में जी पाता है...

गंभीर चिंतन .... बहुत ही सुन्दर रचना ....वाह....

Roshi ने कहा…

bahut sunder likha hai apne

Roshi ने कहा…

sunder rachna hai

बेनामी ने कहा…

पते की बात

palash ने कहा…

माना जिन्दगी के सफर का अन्तिम पडाव है मौत
मगर मरने के बाद जीना भी सबको तो आता नही
वन्दना जी जरा यहाँ भी देखिये

http://aprnatripathi.blogspot.com/2011/02/blog-post.html

daanish ने कहा…

मौत की अटल सच्चाई से परिचय
करवाती हुई भावपूर्ण रचना ...

अहसास की परतें - old ने कहा…

Nice Poem

Kindly visit http://ahsaskiparten-sameexa.blogspot.com/

vijay kumar sappatti ने कहा…

sahi likha hai madam ji , mujhe apni kavita mrutyu ki yaad ho aayi ... sach me maut ka swagat hona chahiye