मौत! तुम्हारा
स्वागत है
तुम ही तो
जीवन का
शाश्वत
सत्य हो
जीवन
क्षणभंगुर
अस्थिर है
मगर तुम
अटल हो
जीवन
दुश्वारियों
दुश्चिंताओं
उलझनों का
समन्वय है
मगर तुम
मुक्तिबोध
कराती हो
हर चिंता से
मुक्त कराती हो
मौत तुम तो
दुखो की
विश्रांति का
काल हो
एक नव सृजन
के लिए
जीवन को
राह दिखाती हो
तुम
विध्वंसकारी कहाँ ?
तुम तो
नव निर्माण
कराती हो
मौत तुम तो
निरंतर बहता
झरना हो
जो मुरझाये
टूटे बिखरे
जीवन को
नव चेतना
से पुनर्जीवित
करती हो
तुम्हारे अनवरत
बहते झरने में
डुबकी लगाते ही
नव पुष्प सा
नव जीवन का
सृजन होता है
मौत तुम ही तो
सृष्टि का आधार हो
संहारक नहीं
नव सृजन
की वाहक हो
हाँ मौत !
तुम्हारा
ह्रदय से
असीम
स्वागत है
स्वागत है
तुम ही तो
जीवन का
शाश्वत
सत्य हो
जीवन
क्षणभंगुर
अस्थिर है
मगर तुम
अटल हो
जीवन
दुश्वारियों
दुश्चिंताओं
उलझनों का
समन्वय है
मगर तुम
मुक्तिबोध
कराती हो
हर चिंता से
मुक्त कराती हो
मौत तुम तो
दुखो की
विश्रांति का
काल हो
एक नव सृजन
के लिए
जीवन को
राह दिखाती हो
तुम
विध्वंसकारी कहाँ ?
तुम तो
नव निर्माण
कराती हो
मौत तुम तो
निरंतर बहता
झरना हो
जो मुरझाये
टूटे बिखरे
जीवन को
नव चेतना
से पुनर्जीवित
करती हो
तुम्हारे अनवरत
बहते झरने में
डुबकी लगाते ही
नव पुष्प सा
नव जीवन का
सृजन होता है
मौत तुम ही तो
सृष्टि का आधार हो
संहारक नहीं
नव सृजन
की वाहक हो
हाँ मौत !
तुम्हारा
ह्रदय से
असीम
स्वागत है
57 टिप्पणियां:
अरे वाह!
मौत का भी स्वागत?
किसी ने सच ही कहा है-
"मौत महबूबा है अपनी......"
क्या टिप्पणी हो- सिवाय इसके कि क्या ये स्वागत गान कुछ जल्दी होता नहीं लग रहा है ?
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानी गृह्णाति नरोप्राणी...कृष्ण ने यही कहा भगवद गीता मे. मौत तो एक अवस्था परिवर्तन है और है ही क्या......बधाई.
वही जीवन-निष्कर्ष है, स्वागत है, जब भी आये।
sach ''maut ' srajan ka aadhar hai .shashvat satya ko ukerti hui aapki rachna prashansniy hai .shubhkamnaon ke sath...
और हँसते हँसते स्वागत है ....
उस समय कहेंगे
धन्यवाद जिंदगी ! अच्छा साथ दिया तुमने ...
शुभकामनायें वंदना जी !
zindgi ka to bahut sawagat dekha magar mout ka pehli baar... bahut badiya..
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यथार्थ को अभिव्यक्त करती दार्शनिक भाव वाली अच्छी रचना
मौत !
मौत शाश्वत है
खुशी से जब आये
स्वागत है।
अच्छी लगी रचना। शुभकामनायें।
anand film men amit jee dwara padhi gayi ek nazm yaad aa gayi "maut tum ek kavita ho"
bahut acchi lgi apki rachna....
ज़िन्दगी बेवफा है एक दिन ठुकराएगी
मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जाएगी
गहरी दार्शनिकता है वंदना जी..
मौत का भी स्वागत ? अच्छी लगी रचना। शुभकामनायें .....
जिन्दगी की संतुष्टि से उभरता है यह मृत्यु स्वागत भाव।
शाश्वत सत्य का यथार्थ प्रकटीकरण।
सही है गर मौत भी आ जाए अगर हंसते हंसते स्वीकार करना चाहिए ... एक दिन आना तो है ... बहुत ही भावुक अंदाज में रचना लिखी है .. आभार
कितनी आसानी से बड़ी से बड़ी बात को भी सरलता से कह देती हैं आप....
वाकई लाजवाब कर देने वाली कविता.
सादर
सच है,मौत का स्वागत करेंगे तभी ज़िन्दगी अपने आप हमारा सम्मान भी करेगी और सत्कार भी....बहुत अच्छी रचना ।
मौत का स्वागत करती यह कविता अनूठी है। स्वागत करना भी चाहिए क्योंकि वही तो नए जीवन को अवसर देती है ।...अनुपम कविता।
हाय हाय ! मुईं मौत की इत्ती तारीफ़ ..वो भी इतने सुंदर शब्दों में ..अब न मानेगी अब तो निगोडी आ के रहेगी ..एक न एक दिन ....लेकिन सच में आपकी कविता पढने के बाद लग रहा है कि जब आएगी तब तक सच में ही शायद उसे बाहें फ़ैला के जादू की झप्पी देने को तैयार होंगे हम ।
वाह जिंदगी !तेरी मुहब्बत ने जाने कितने अफ़साने गढवाए मुझ से ...मगर अब मौत भी कविता करवाने लगी है
मौत ... तू एक कविता है ...
बहुत ही खूबसूरत रचना है ... कविता की तरह बहती हुई ...
मौत तुम्हारा स्वागत है..
हर चिंता से मुक्त कराती हो..
नव सृजन की वाहक हो ...
तुहारा ह्रदय से स्वागत है...
बहुत खूब जिंदगी का स्वागत तो सभी करते है मौत का स्वागत भी इतने खूबसूरत अंदाज़ में,मैं तो सहमत हूँ..... बधाई .......
sach hai...
bahot hee prabhaoshali rachna...
दार्शनिक भाव की कविता ..अच्छी है.
वाह! पर एक सच को आपने पहचान कर सुन्दर भाव से सार्थक रचना करी!
बहुत सुन्दर ...
मौत ही अंतिम सत्य है....
अच्छी रचना. सच है जीवन में जब जो जैसे आता जाये उसे वैसे ही स्वीकारते जाएँ .
welcom
जिंदगी तो फसाना है हकीकत मौत है और जिसने मौत का स्वागत करना सीख लिया समझो उसने जीवन का मर्म समझ लिया। अच्छी रचना।
मौत तुम्हारा स्वागत है..
हर चिंता से मुक्त कराती हो..
नव सृजन की वाहक हो ...
तुहारा ह्रदय से स्वागत है...
बहुत खूब जिंदगी का स्वागत तो सभी करते है मौत का स्वागत भी इतने खूबसूरत अंदाज़ में,मैं तो सहमत हूँ..... बधाई .......
मौत तुम्हारा स्वागत है..
हर चिंता से मुक्त कराती हो..
नव सृजन की वाहक हो ...
तुहारा ह्रदय से स्वागत है...
बहुत खूब जिंदगी का स्वागत तो सभी करते है मौत का स्वागत भी इतने खूबसूरत अंदाज़ में,मैं तो सहमत हूँ..... बधाई .......
मौत का स्वागत .... बहुत खूब :)
आपकी कलम को सलाम
maut ka swaagat , maut bhi khaas
तुम तो
नव निर्माण
कराती हो
मौत तुम तो
निरंतर बहता
झरना
मौत को देखने का सकारात्मक दृष्टिकोण -
जब हमारे हाथ में कुछ है ही नहीं तो मौत का स्वागत करना ही चाहिए --
सुंदर रचना है .
इतना तो पता था कि मौत ज़िन्दगी की वो महबूबा है जो सभी को मिलती है मगर यह इतनी सुन्दर है, आज आपकी कविता पढ़कर मालूम हुआ !
मौत को भी आपने ज़िन्दगी के रंग में रंग दिया !
आभार !
बहुत खूब कहा है ...इस रचना में ।
bahut sunder rachna......
बहुत सुंदर कविता
वंदना जी , सबसे पहले मैं आपसे माफ़ी चाहती हूँ कि विलम्ब से आई ..मैं नेट पर कम ही आती हूँ .आपका ब्लॉग बेहद सुन्दर है और आपका काम तो ..सराहनीय है ...ब्लॉग जगत को आप जैसे रचनाकारों की ही जरुरत है . हार्दिक शुभकामनायें
वंदना जी,
सच कहा......मौत कहाँ कुछ छिनती है.....वो तो एक ठहराव है......बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति......इस पोस्ट के लिए हैट्स ऑफ टू यू......
यथार्थ को अभिव्यक्त करती रचना.आभार !
सास्वत सत्य से रूबरू कराती सुन्दर कृति !
मौत का स्वागत ...
शाश्वत सत्य को बहुत भावपूर्ण रचना से सहेजा है |
बहुत सुन्दर रचना है ... आपने जीवन के शास्वत सत्य के बारे में सुन्दर तरीके से लिखा है !
वाह क्या बात है...
आज पहली बार किसी को मौत का सहृदयता से स्वागत करते हुए देखा है वाकई आपका यह पोस्ट यथार्थ से रूबरू करता है |
सार्थक एवं प्रभावी लेखन के लिए बारम्बार बधाई |
भारत के गहन दर्शन को कोमल-कोमल शब्दों में बखूबी पिरोया गया है. यथार्थ का पल भर भी सामना करने में कठिनाई होती पर इस कविता ने यथार्थ से बड़ी सहजता से परिचय कराया, स्मरण कराया.
वंदना जी दार्शनिकता से ओतप्रोत ये रचना, दिलो को झंकृत कर रही है, मगर एक दर भी है, जो सब में होता है मुझमे भी है.. लेकिन आपको एक बेबाक तरीके से सच्च्याई कहने के लिए पुनः धन्यवाद्
आपके उदगार जजबातों को स्पंदित कर दिया।दुख इस बात का है कि मुझे मौत से डर लगता है। मैं मरना नही चाहचा हूं।मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
bahut upyukt,
ek alag vishay .
बहुत बहुत सही कहा आपने...
मृत्यु का स्वागत करने वाला ही सही मायने में जी पाता है...
गंभीर चिंतन .... बहुत ही सुन्दर रचना ....वाह....
bahut sunder likha hai apne
sunder rachna hai
पते की बात
माना जिन्दगी के सफर का अन्तिम पडाव है मौत
मगर मरने के बाद जीना भी सबको तो आता नही
वन्दना जी जरा यहाँ भी देखिये
http://aprnatripathi.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
मौत की अटल सच्चाई से परिचय
करवाती हुई भावपूर्ण रचना ...
Nice Poem
Kindly visit http://ahsaskiparten-sameexa.blogspot.com/
sahi likha hai madam ji , mujhe apni kavita mrutyu ki yaad ho aayi ... sach me maut ka swagat hona chahiye
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