पृष्ठ

अनुमति जरूरी है

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लोग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

मंगलवार, 23 नवंबर 2010

बस एक बार तू कदम बढाकर तो देख .........

ख्याल  : मजाक है क्या ये 
                   मुझे भी बता दो 
             अरसा हुए हँसे हुए
             चलो , मैं भी हँस लेती हूँ 
             हा हा हा ...........

हकीकत :ऐसा क्या हो गया ?
              रोज हँसा करो 
              मगर किसी के सामने नहीं 

  ख्याल:  तो फिर कहाँ ?

हकीकत :  अकेले में 

  ख्याल :  क्यूँ ?
           अकेले में तो 
           पागल हँसते हैं 
           क्या अब यही ख़िताब 
           दिलाना बाकी है
           याद को यूँ दबाना बाकी है 
           किसी दर्द को यूँ जगाना बाकी है 
           आखिर कैसे हँसूँ ?
           किस लीक का कोना पकडूँ 
           किस वटवृक्ष की छांह पकडूँ 
           कौन -सी अब राह पकडूँ
           बिना लफ्ज़ के कैसे बात करूँ
           ख़ामोशी भी डंस रही है 
           नासूरों सी पलों में बस गयी है 
           फिर कैसे अकेले में हँसे कोई?

हकीकत : ख़ामोशी भी पिघलने लगेगी
               यादें भी सिमटने लगेंगी 
               दर्द भी बुझने लगेंगे
               बस एक बार मुझे 
               गले लगाकर तो देख
               मुझे अपना बनाकर तो देख
               लबों पर मुस्कराहट भर दूँगा 
               तेरे ग़मों को अंक में भर लूँगा 
               बस एक बार मुझे  
               अपना बनाकर तो देख 
               चाहत का लिबास पहना दूँगा 
               तुझे तुझसे चुरा लूँगा
               तेरे साये को भी 
               अपना साया बना लूँगा
               बस एक बार मुझे 
               हमसफ़र बना कर तो देख
               मेरी चाहत को अपना
               बनाकर तो देख
               रंगों को दामन में
               सजाकर तो देख
               मोहब्बत की रेखा
               लांघकर तो देख
               हर मौसम गुलों सा
               खिल जायेगा
               चाँद तेरे आगोश में 
               सिमट जायेगा
               चाँदनी सी तू भी
               खिल जाएगी
               झरने सी झर- झर
               बह जाएगी
               बस एक बार तू
               कदम बढाकर तो देख .........

46 टिप्‍पणियां:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

हकीकत और ख्वाब के बीच संवाद.. लगा मानो मेरे भीतर का संवाद हो.. कविता का यह प्रारूप अच्छा लगा.. नया भी है... कविता के नए कलेवर के लिए बधाई एवं शुभकामना..

ZEAL ने कहा…

.

यथार्थ के करीब एक बेहद सुन्दर संवाद॥

.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बिलकुल सही कहा आपने हर एक लफ्ज अर्थपूर्ण है.... मनभावन प्रस्तुति
वंदना जी आपका लेखन काफी सराहनीय है | यूँ ही लिखती रहें |

...............ढेर सारी शुभकामनायें.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

ख्याल और हकीकत का संवाद हर किसी को नयी दिशा दिखाये।

बेनामी ने कहा…

वंदना जी ...

वाह...एकदम नया प्रयास ....बहुत खूब.....बहुत प्रभावी रचना है ये आपकी....

पर बहुत ध्यान से पड़ने पर लगा की शायद आपने ख्याल की जगह हकीकत और हकीक़त की जगह ख्याल कर दिया है......शायद ये मेरा भ्रम हो....पर आप एक बार इस और ध्यान ज़रूर दें|

Majaal ने कहा…

आज तो तबीयत में ;)

रश्मि प्रभा... ने कहा…

amazing sanvad.... vatvriksh ki chhaw mein bhej dijiye , kuch aur pathikon ko sunne ko mile khwaab aur hakikat kee baten

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

bbhavon ka manvikaran.
antarman ki kashamkash ka chitrankan.
khayal par hakikat ko tarjeeh.

bhav aur shaily dono badhiya!

समयचक्र ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...हकीकत और ख्बाव ... इन दोनों का आपसी संवाद रचना रूप में बेहतरीन लगा...आभार

shikha varshney ने कहा…

ओह हो आज तो नया प्रयोग कर डाला .
बहुत अच्छा है.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत रोचक रहा ख्याल और हकीकत का वार्तालाप !

रंजना ने कहा…

सुन्दर प्रयोग !!!

भावुक अभिव्यक्ति....

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

Embracing reality in a beautiful way! Good post!

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

हकीकत और ख्वाब का ये रूप बहुत अच्छा लगा............

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

अभिनव, प्रयोग करती हुई सशक्त अभिव्यक्ति!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

हकीकत और ख्याल के सुंदर तानेबाने को प्रस्तुत करती रचना ..... बेहतरीन

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

यह वार्तालाप तो बहुत उपयोगी रहा!

कडुवासच ने कहा…

... nayaa prayog .... bahut sundar !!!

S.M.Masoom ने कहा…

अच्छा प्रयास

Dorothy ने कहा…

हकीकत और ख्वाब के बीच के संवाद....दोनों के अंतर्संबंधों में निहित अनूठे आयामों को उजागर करती खूबसूरत और भाव प्रवण प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

प्रेम सरोवर ने कहा…

Apke udgar prashasniya hai.Thanks.Plz. visit my blog.

Urmi ने कहा…

मुझे हकीकत और ख़्वाब का संवाद बेहद पसंद है! बहुत सुन्दरता से आपने प्रस्तुत किया है ! उम्दा प्रस्तुती!

वाणी गीत ने कहा…

ख़याल और हकीकत का रोचक संवाद...
हकीकत ख्वाब को हकीकत में बदलने को बहला रहा है ...
अच्छी कविता !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

यह संवाद भी बढ़िया रहा ...हकीकत का इसरार की हकीकत की तरफ एक कदम बढा कर तो देख ...अच्छी अभिव्यक्ति ..

POOJA... ने कहा…

बहुत खूब... बढ़िया प्रयोग... गज़ब का संवाद...

Shaivalika Joshi ने कहा…

Sach kahaa aapne....

Ankur Jain ने कहा…

nice post...great

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

अक्सर ख्याल की आक्रमकता हकीकत से अधिक होती है किन्तु इस कविता में हकीकत की बानगी का पैनापन आधुनिक जीवन के सोच को बखूबी प्रस्तुत किया है .

Arvind Jangid ने कहा…

ये संवाद यूँ ही चलता रहे......सुन्दर रचना के लिए आत्मीय धन्यवाद.

Smriti यादें ने कहा…

कविता का ये प्रारूप अद्भुद है..... संवादों के ज़रिये अपना नुक्ता नज़र पेश करने का तरीका अच्छा और प्रभावकारी रहा है ! उत्तम प्रस्तुति वंदनाजी ...!

Dr Xitija Singh ने कहा…

ख़याल और हकीकत के बीच ये संवाद ... बहुत खूब ... हम शायद हकीकत को स्वीकार ही नहीं करना चाहते ... उसे स्वीकार करें तो ही खुश रह सकते हैं शायद ...

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

bahad umdaa ye baatey..vartalaap... andaaj naya .. bahut sundar lagaa.. kabile taareef..

mridula pradhan ने कहा…

behad sunder.

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी लगी यह रचना। एक अलग फोर्मेट में। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार::आज महिला हिंसा विरोधी दिवस है

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

ख्याल और हकीकत के बीच का संवाद,आदमी के मन में सुलगते हुए उस अकुलाहट का प्रतिबिम्ब है जिसे हम साँस साँस जी रहे हैं!
नए प्रयोग के साथ संवेदना की नई अभिव्यक्ति के लिए धन्यवाद !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

बेनामी ने कहा…

आपकी एक रचना कल सुबह १० बजे मेरे ब्लॉग पर प्रकाशित हो रही है...

daanish ने कहा…

संवाद प्रभावशाली हैं
अच्छी रचना पढवाने के लिए आभार

शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया .

Rohit Singh ने कहा…

ख्याल औऱ हकीकत में कई बार काफी अंतर होता है जी। ख्याल हकीकत के धरातल पर आकार ही सहीरुप ले पाते हैं। वरना ख्याल तो ख्याल ही रह जाते हैं बिना रुप के। अच्छी रचना।

ASHOK BAJAJ ने कहा…

वाह!बहुत खूब !!

Jyoti ने कहा…

Jab mai kabhi tanhaiyo me hasti hu..
Tanhai bhi mere saath-saath khilkhilaati hai..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ख्याल और हकीकत की जुगलबंदी .... सत्य का एहसास है ये रचना ... बहुत लाजवाब ....

sameer inamdar ने कहा…

bahut sundar sanwad hai.

रचना दीक्षित ने कहा…

हकीकत और ख्बाव इन दोनों का आपसी संवाद.... नया प्रयोग, अच्छी अभिव्यक्ति.

गौरव शर्मा "भारतीय" ने कहा…

वाह वंदना जी, इस बार नए रूप में आपने बेहद प्रभावी रचना पोस्ट किया है, जिसे पढ़कर ऐसा लगा मानो शब्द आपके हैं और विचार हमारे हैं |
हमेशा की तरह बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकार करें |

anita saxena ने कहा…

मोहब्बत की रेखा लांघ कर तो देख
हर मौसम गुलों सा खिल जाएगा ....खूबसूरत रचना , दिल की गहराइयों तक उतर गई !

Shabad shabad ने कहा…

बहुत ही सुन्दर पंक्तिया लिखी है आपने ........
शुभकामनाएं !!