मै तो
धूल का कण हूँ
मत बना
माथे का तिलक
मिटना मेरी
किस्मत है
मै तो एक पल हूँ
मत बना
ज़िन्दगी का सबब
आकर गुजरना
मेरी फितरत है
ये सिर्फ़
किस्से किताबों
की बातें हैं
क्यूँ फ़ेर मे पडते हो
सबकी किस्मत मे
गुलाब नही होते
हकीकत मे तो
सभी खार होते हैं
कुछ चुभ जाते हैं
कुछ बच जाते हैं
और जो बच जाते हैं
वो ही उम्र भर
तडपाते हैं
इसलिए
मत बना
आरती का दीया
बुझना मेरी
तहजीब है
मत बना
डोर पतंग की
कटना मेरी
नियति है
मुझे
सिर्फ वो ही
बना रहने दे
जो मैं हूँ
क्या था
मुझमे ऐसा
जो किसी को
प्रेरित करे
मत बना
अपनी प्रेरणा
तडपना तेरी
किस्मत है
तड्पाना मेरी
आदत है
मत बना
अपनी आदत
ज़िन्दगी तेरी
मिट जाएगी
व्यूहजाल में
फँस जाएगी
फिर उम्र भर ना
निकल पायेगी
जहाँ मौत भी
दगा दे जाएगी
प्रेरणाएं कब
जीवंत होती हैं ?
35 टिप्पणियां:
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना,,...
वंदना जी आपका लेखन काफी सराहनीय है | यूँ ही लिखती रहें | मेरे ब्लॉग में इस बार आशा जोगलेकर जी की रचना |
सुनहरी यादें :-4 ...
सभी खार होते हैं
कुछ चुभ जाते हैं
कुछ बच जाते हैं
और जो बच जाते हैं
वो ही उम्र भर
तडपाते हैं
बहुत खूब,
बेहतरीन शब्द रचना
क्यूँ फ़ेर मे पडते हो
सबकी किस्मत मे
गुलाब नही होते
हकीकत मे तो
सभी खार होते हैं
बिलकुल सही कहा आपने ..जिन्दगी में ऐसा बहुत कम होता है जब हमारी सोच और व्यव्हार एक जैसे रहते हों ..यही तो नियति है ,और ऐसे हालात में प्रेरणाएं कब तक जीवित रहेगी ..हर एक लफ्ज अर्थपूर्ण है.... मनभावन प्रस्तुति ..शुभकामनायें
...प्रेरणाएं कब
जीवंत होती हैं ?
--
यह प्रेरणाओं की जीवन्तता ही तो है जो आप इतनी सुन्दर विचार प्रधान रचनाएँ रचती हो!
Aah! Kitna dard samete hue hai ye rachana!
लगता है ये कविता मेरे लिए रची गई है.. मन को छू कर निकल गई...
वन्दना जी,
बहुत सुन्दर भाव भरे हैं आपने....ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी.....
क्यूँ फ़ेर मे पडते हो
सबकी किस्मत मे
गुलाब नही होते
हकीकत मे तो
सभी खार होते हैं
कुछ चुभ जाते हैं.
कुछ बच जाते हैं
और अंत में..... प्रेरणाएं कब जीवंत होती हैं ?
बाप रे आज तो व्यूह जाल में फंसा डाला आपने :).इतनी निराशा क्यों? कविता अच्छी है .
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना ... बधाई
धूल ... फूल और शूल ...!
बड़े काम की चीज़ें हैं
मंदिर की सीढी की धूल लोग मस्तक से लगाते हैं
ईश्वर पर चढा फूल, लोग सहर्ष अपनाते हैं
और कांटे को निकालने में काटा ही काम आता है।
है ना काम की चीज़ ....!
वाह वाह वंदना जी , बहुत ही सरलता से आपने काफ़ी कुछ कह डाला । आपकी यही खासियत हमें हमेशा भाती है । शुभकामनाएं
वंदना जी बहुत गहरी बात कह दी आपने। हार्दिक बधाई।
---------
मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।
भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।
prernayen hi to jivant hoti hain ... kyun nirasha?
प्रेरणाएं तो पूरी तरह जीवंत हो कविता की शोभा बढ़ा रही हैं
badhiya rachna
4.5/10
रचना के भाव बहुत पसंद आये.
कई पंक्तियाँ दिल में ठहरती हैं.
अब कोई लाख समझाए परवाने को, कहा समझता है,
सुन्दर विचारों से ओत प्रोत कविता.........आपका धन्यवाद.
दिल को गहराई से छूने वाली खूबसूरत और संवेदनशील प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
प्रेरणाएँ होती हैं जिवंत यह प्रेरणा देने वाले को पता नहीं चलता ...जो प्रेरित होता है उससे पूछिए :):)
बहुत प्रवाहमयी कविता ..
सराहनीय रचना है .
प्रेरणाएं कब जीवंत होती हैं ...
सबकी किस्मत में गुलाब नहीं होते
हकीकत में सब खार होते हैं ...
एक शेर याद आ रहा है ...
रफीकों से रकीब अच्छे जो जलकर नाम लेते हैं
गुलों से खार बेहतर हैं जो दामन थम लेते हैं ...!
क्यूँ फ़ेर मे पडते हो
सबकी किस्मत मे
गुलाब नही होते
हकीकत मे तो
सभी खार होते हैं
कुछ चुभ जाते हैं.
कुछ बच जाते हैं
वंदना जी ये रचना भी आपकी हर रचना की तरह उम्दा है .. सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकारें ... शुभकामनाएं
tadapna teri kismat hai, tadpaana, meri aadat...so cool
amazing vandana ji
सब की किस्मत में गुलाब नहीं होते ! सुंदर रचना
प्रेरणायें तो जीवंत रखती हैं।
prerna ka pratap anant hai!
sundar rachna!
शीर्षक पढ कर एक दम दिमाग मे यही आया जो प्रवीण ने कहा है प्रेरणा तो जीवंत ही होती है हम उसे अपनाते हैं या नही ये अलग बात है ैआपकी कविता मे भी तो एक डर है जो उसे आगाह कर रहा है। वैसे कविता बहुत अच्छी लगी।
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना.
प्रेरणाएं कब
जीवंत होती हैं ?..
जीवन में कोई प्रेरणा तो चाहिए ही ... वर्ना ये जीवन आसान नहीं होगा ...
सोचने को मजबूर करती है ..
बहुत सुन्दर रचना है !
बाल दिवस की शुभकामनायें !
आपकी कविता बहुत सुन्दर है ।
जिन्दगी के इस पहलू से परिचय कराने के लिये आभार
`हकीकत में तो सभी खार होते हैं ,
कुछ चुभ जाते हैं
कुछ बच जाते हैं
जो बच जाते हैं वही उम्र भर तड़पाते हैं !`
जीवन का पूरा निचोड़ है यह कविता !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
www.marmagya.blogspot.com
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना.....
क्या था
मुझमे ऐसा
जो किसी को
प्रेरित करे
मत बना
अपनी प्रेरणा
तडपना तेरी
किस्मत है
.....
वेदना भरी रचना .
सभी खार होते हैं
कुछ चुभ जाते हैं
कुछ बच जाते हैं
और जो बच जाते हैं
वो ही उम्र भर
तडपाते हैं...bahot sundar rachna, bhwnaon ka samandar kuch shabdo me simat gaya. aapko badhai.
aur haan, prerna jiwant hoti hain...yakeen maniye :)
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