कभी इंतज़ार
किया करती थी
रात
चाँद की
थाली में
सितारों की
कटोरियों में
सजाकर
दिल के
टुकड़ों को
इक सुबह की
आस में
कि वो आएगा
और ले जायेगा
सारी रात के
बिखरे ,बेतरतीब
अहसासों की किरचों
को समेटकर
मगर वो
अब नहीं आता
रात के मुहाने पर
नहीं देता
कोई दस्तक
नहीं टूटता
कोई तारा
उसके नाम का
तनहा रात का
हर कोना
अब इंतज़ार के
दरख़्त पर
सूख रहा है
वक्त की धूप में
मगर उसका
दिनकर तो
हमेशा के लिए
अस्त हो गया
और रात
खडी है वहीँ
उम्रभर के
इंतज़ार के साथ
एकाकी ,उदासी
किसी विरहन
की आँख का
मोती बनकर
36 टिप्पणियां:
sitaaron ki katoriyon me intzaar ....bahut achhi rachna ... dil ki gahraaiyon tak utarti
मगर वो
अब नहीं आता
रात के मुहाने पर
नहीं देता
कोई दस्तक
सुन्दर रचना .. एहसास गहरे
बेहतरीन
नहीं टूटता
कोई तारा
उसके नाम का
तनहा रात का
हर कोना
अब इंतज़ार के
दरख़्त पर
सूख रहा है
वक्त की धूप में
मगर उसका
दिनकर तो
हमेशा के लिए
अस्त हो गया
शब्दों को बहुत खूबसूरती से पिरोया है....जीवंत लगे मनोभाव
इस कविता में बिंब के सहारे बाहरी संसार की छवियों को लेकर विशेष संदर्भ में उन्हें आपने इस प्रकार प्रयुक्त किया है कि कथ्य ज्यादा स्पष्ट और अधिक प्रभावी हो गया है।
इस तरह के चमत्कार उत्पन्न करती और कविताओं की अपेक्षा है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
राजभाषा हिंदी पर कविताओं में बिंब और उनसे जुड़ी संवेदना
मनोज पर देसिल बयना –बाघ के घर की बिल्ली भी तेज़.
बहुत सुंदर और भावमयी प्रस्तुति वंदना जी ....
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं ...
वन्दना जी,
अति सुन्दर.....सूरज की जगह दिनकर का प्रयोग और अंत में दी गयी उपमा...
किसी विरहन
की आँख का
मोती बनकर ...........बहुत पसंद आई..........बधाई
... shubh diwaali !!!
बहुत मार्मिक ....यूँ दिनकर का अस्त हो जाना पीड़ा दे गया ...
ये समीर जी की टिप्पणी है।
Udan Tashtari ने आपकी पोस्ट " कुछ यूँ दुनिया का क़र्ज़ उतारा जाए " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
बहुत ही सुन्दर!
ये डोरोथी जी की टिप्पणी है………॥
अपने अंतर्मन की गहराईयों में दफ़्न अंतर्व्यथा के संमदर में डूबते उतराते रहने के साथ साथ अपने परिवेश के कर्जों को भी निभाने का हौसला जीवन को असाधारण बना देता है. बेहद गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.
KARIM PATHAN Anmol ने आपकी पोस्ट " कुछ यूँ दुनिया का क़र्ज़ उतारा जाए " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
Vandana Ji,
Namaste.
Mere blog per aapko aane ka nyota de raha hu..
Aapse bebaak comment ki aasha rahegi.
Anmol
मगर उसका
दिनकर तो
हमेशा के लिए
अस्त हो गया
ye pankti achchhi lagi
waise overall fenabulous.......:)
aap kavita me jaan daal dete ho!!
khubsurat...dil ko chhu liya aapne...hamesha ki tarah.
मगर वो
अब नहीं आता
रात के मुहाने पर
नहीं देता
कोई दस्तक ...
शब्दों का जादू सा बिखेर दिया है ... बहुत ही गहरे अर्थ लिए ....
बढिया लगी रचना......
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर बिम्ब घड़े आपने ....बहुत प्रभावशाली रचना !!
उल्फ़त के दीप
दर्द की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
सुंदर रचना! बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
राजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!
गहरे एह्साह ,सुन्दर मार्मिक रचना.
बहुत सुन्दर भाव।
हर कोना
अब इंतज़ार के
दरख़्त पर
सूख रहा है
--
बहुत मार्मिक लेखन है!
सुन्दर रचना!
--
आपको और आपके परिवार को
ज्योतिपर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ|
दिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
बहुत सुंदर !
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
बहुत सुन्दर!!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
मगर वो
अब नहीं आता
रात के मुहाने पर
नहीं देता
कोई दस्तक...
Beautiful creation !
.
हर कोना
अब इंतजार के
दरख़्त पर
सूख रहा है
अंतर्मन से अभिव्यक्त की गई गहन अर्थयुक्त कविता।
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं।
आपको आपकी सुन्दर कविता की बधाई और बधाई दीपावली की भी मेरी इन पंक्तियों के साथ:-
सुहानी लगे हर गली आपको,
लगे फूल-सी हर कली आपको.
सुखी रक्खें बजरंगबली आपको,
मुबारक हो दीपावली आपको.
कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com
दिनकर तो
हमेशा के लिए
अस्त हो गया
और रात
खडी है वहीँ
उम्रभर के
इंतज़ार के साथ
एकाकी ,उदासी
किसी विरहन
की आँख का
मोती बनकर ...
बहुत ही मार्मिक भावपूर्ण अभिव्यक्ति...दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं
शानदार..और कुछ नहीं कहूँगा आज.
वन्दना मार्मिक भावमय प्रस्तुती है। आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
आपको परिवार एवं इष्ट स्नेहीजनों सहित दीपावली की घणी रामराम.
रामर
श्रीमान महोदय / महोदया जी,
आप व आपके परिवार को दीपावली, गोबर्धन पूजा और भैया दूज की हार्दिक शुभकामनायें. शुभाकांक्षी-रमेश कुमार सिरफिरा. विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com, http://rksirfiraa.blogspot.com, http://mubarakbad.blogspot.com, http://aapkomubarakho.blogspot.com, http://aap-ki-shayari.blogspot.com, जल्द ही शुरू होगा http://sachchadost.blogspot.com) ब्लोगों का भी अवलोकन करें. हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें. हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं.
sundar rachna!
lajwaab vandnaa ji Lajwab hai ye rachna..
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