चलो अच्छा हुआ
हँसा दिया
आज सुबह से
हँसी ही नहीं
ना जाने कहाँ
काफूर हो गयी थी
किस कोने में
दुबकी पड़ी थी
क्या करूँ
हँसी आती ही नहीं
दिल के गहरे
सन्नाटों में
खो जाती
पता नहीं कौन से
सन्नाटे हैं
जो हँसी को बाहर
आने ही नहीं देते
सन्नाटों का कारण
क्या है, पता ही नहीं
बहुत ढूँढा ,मिला ही नहीं
तुम्हें मिले तो
बता जाना
ना मिले तब भी
कोशिश करना
शायद कभी
किसी चौराहे पर
भीड़ के बीच
मिल जायें
और हँसी मेरी
लौटा जायें...............
39 टिप्पणियां:
hahahahahahah .......isse behter aur kya doon meri hansi.
हंसी जीवन के लिए ऑक्सीजन का काम करती है!....आप की कविता प्रेरक है...सुंदर रचना!
भीड़ के बीच
मिल जाए
और हंसी मेरी
लौटा जाये...
हमेशा की तरह बह्वापोर्ण रचना....बधाई.
Hansee kabhi na kabhi ham sabhi kho baithte hain! Laga jaise manki baat kah dee! Aur zindagee me hansne ke mauqe dhoondh lena,sach,bahut zaroori hai!
सचमुच हंसी का तो हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है । चलिए आपने सोचा तो सही ।
बस थोड़ी कोशिश करनी पड़ती है हंसने के लिए ।
great
abhi dopahar hi beeta hai, hame ummid hai aap sone tak jarur hass dengeee........:)
waise kahan se aisee soch aa jati hai, hame bhi batayen........:)
achchhi rachna......
बहुत खूब वंदना जी हमेशा की तरह बहुत ही भाव पूर्ण रचना ,,,,
जीवन की आप धापी से दूर ,,,
इन अनगढ़ सन्नाटो से दूर ,,,
एक कल्पित लोक की कल्पना ,,,
एक मीठे अहसास की मानिद जो छाती है ,,,
वो तुमारी हंसी ही तो है ,,,
मै निस्तब्ध हूँ उसके खोने पर ,,,
और भयभीत भी सन्नाटो की पुनरावर्ती पर
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
are !! aapaki hansi to shabdon main chhupi hai, kavita or kahani main chhupi hai,
kahan khoj rahin thin ?
चलो अच्छा हुआ
हँसा दिया
आज सुबह से
हँसी ही नहीं
ना जाने कहाँ
काफूर हो गयी थी
किस कोने में
दुबकी पड़ी थी
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बहुत ही उपयोगी पोस्ट लगाई है आज तो!
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हास्य का जीवन में बहुत महत्व है!
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इसके लिए तो विधिवत् हास्यासन भी है!
वाकई थोड़ी सी हंसी बहुत सारा गम भुला सकती है..बहुत सुन्दर.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...............
हंसते हंसते कट जाये जिंदगी ,और क्या ।
खोयी हंसी आ गयी न.....वैसे आज कल मिलती ही कहाँ है ..बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति
बहुत सही कहा आपने, शुभकामनाएं.
रामराम.
चलिए, ऐसे मौके भी आजकल कम ही आते हैं..बढ़िया बात कही.
हँसी ऊर्जा है , जो प्रियता से सम्बध्द है ।
प्रशंसनीय रचना ।
आपकी हँसी लौटाने में सबको अपनी हँसी मिल जायेगी।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
हंसी तो अन्दर की वस्तु है..
यदि बाहर आ जाती है...
तो गुम हो जाती है....
वास्तविकता यही है........
आप सभी की
हंसी ही तो
मेरी खुशी है..............
निसंदेह हंसी तो ज़िंदगी के लिए आक्सीजन है.
समय हो तो अवश्य पढ़ें .ब्लॉग जगत में मची घमासान के विरुद्ध.
शमा-ए-हरम हो या दिया सोमनाथ का
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/2010/08/blog-post.html
लगता है वंदना जी आपने आईना नहीं देखा। कभी कभी खुद पर हंस लेना चाहिए। हंसी और खुशी दोनों सगी बहनें हैं और दोनों ही हमारे अंदर ही रहती हैं।
बहरहाल मुझे आपकी हंसी कल रात सफर में मिल गई थी,वह मेरे साथ भोपाल चली आई थी। उसे वापस आपके पास भेज रहा हूं। मिल जाए तो अगली पोस्ट में सूचित करना।
बड़ी सुन्दर रचना. वंदना जी बधाई.
eak aur sunder rachna... bhavon ka adbhud sanayojan
sada muskurati rahen:)
vandna ji bahut hi sashakt aur preranadaayak rachana..bahut khuub..
poonam
behteen kavita...behad achhi lagi :)
प्रेरक ...सुंदर रचना!
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
vandna..so beautifully u have written..well done! :)
kya khoob kahi hai mam ..beshak haste huwe lafz hai ..
thank's mam
kya khoob kahi hai mam ..beshak haste huwe lafz hai ..
thank's mam
apke blog ko pahli bar dekha..bahut he khoobsurat rachna
pahli bar apke blog ko dekha hai ..bahut he khoobsurat rachna
Bahut khoobsurat rachna....
Meri Nayi Kavita Padne Ke Liye Blog Par Swaagat hai aapka......
A Silent Silence : Ye Paisa..
Banned Area News : I'd rather be choosy: Zarine
यूँ ही हंसती रहे .बहुत बढ़िया लगी आपकी यह रचना शुक्रिया
muskraye to muskrane ke karj utarne honge .........
awaysome ,exceelent creation
वैसे तो ये आपके दिल में ही रहता है ... हँसने का बहाना तो खोजना पढ़ता है .....
बहुत अच्छे ज़ज्बात है ....
very expressive ..very daring attempt on not showing the emotions
great
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