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शनिवार, 28 अगस्त 2010

हम तो डूबे हुए अशआर हैं

हम तो डूबे हुए अशआर हैं 
दर्द बिन ग़ज़ल बन नहीं सकते 

बहर मात्राओं की जुगलबंदी बिन
मुकम्मल शेर बन नहीं सकते

अब कौन पड़े जुल्फों के पेंचोखम में सनम
गिर- गिर के दरिया में अब संभल नहीं सकते

उजालों का सदा ही तलबगार रहा ज़माना
हम तो अंधेरों के सायों से भी अब लड़ नहीं सकते

ये मय्यतों पर झूठे आँसू बहाने वाले
कभी ज़िन्दगी  के तलबगार बन नही सकते

दुआ दें या बददुआ उसके दरबार के कानून
किसी के लिए कभी बदल नहीं सकते

मुमकिन है बदल जाए ईमान शैतान का
इंसान में छुपे शैतान को कभी बदल नहीं सकते

49 टिप्‍पणियां:

राम लाल ने कहा…

सुंदर है जी.

Manish aka Manu Majaal ने कहा…

आप बन जाए तो बेहतर 'मजाल',
कोशिश गजल में मगर कर नहीं सकते

kshama ने कहा…

Kabhi jab zindagee se jhoojhte hue thak jate hain,to bilkul aisahee lagta hai!
Bahut sundar likha hai,hameshakee tarah!

दीपक बाबा ने कहा…

मुमकिन है बदल जाए ईमान शैतान का
इन्साफ में छुपे शैतान को बदल नहीं सकते ...........


सत्य बात निकली है.... काश मोबाइल फोन के न. की तरह इंसान में छुपे शैतान को भी बदल देते.

रचना दीक्षित ने कहा…

हम तो डूबे हुए अशआर हैं
दर्द बिन ग़ज़ल बन नहीं सकते

बहुत खूब वंदना जी. एक बार फिर शुक्रिया सुंदर ग़ज़ल पेश करने के लिए.

राजेश उत्‍साही ने कहा…

पढ़ चले।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

गजल का हर एक कता बहुत बढ़िया है!
--
हर शेर में सन्देश छिपा हुआ है!

उम्मतें ने कहा…

भाई हमें तो आखिरी वाला शेर सबसे ज्यादा पसंद आया !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ा सुन्दर।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मुमकिन है बदल जाए ईमान शैतान का
इन्साफ में छुपे शैतान को बदल नहीं सकते ...........

हकीकत का आइना दिखाया आपने
अच्छी रचना के लिए बधाई..........

kshama ने कहा…

Vandana,"Bikhare sitare'pe aapkaa shukriya ada kiya hai,zaroor padhen!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

कुछ कहिये नहीं पा रहे हैं!!

मनोज कुमार ने कहा…

अब कौन पड़े जुल्फों के पेंचोखम में सनम
गिर- गिर के दरिया में अब संभल नहीं सकते
वाह!
क्या बात है!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी पोस्ट रविवार २९ -०८ -२०१० को चर्चा मंच पर है ....वहाँ आपका स्वागत है ..

http://charchamanch.blogspot.com/

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी रचना।

हिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित हैं।

वाणी गीत ने कहा…

मुमकिन है बदल जाये ईमान शैतान का
इंसान में बसे शैतान बदल नहीं सकते ...
क्या खूब पंक्तियाँ हैं ...

राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh) ने कहा…

आपके तखय्युल की दाद देता हूँ जिन्होंने वज्न और काफिये की कमी को ढँक सा दिया है|

बेनामी ने कहा…

bahut khub vandana ji...
sundar hai bahut hi...

मेरे भाव ने कहा…

मुमकिन है बदल जाए ईमान शैतान का
इंसान में छुपे शैतान को कभी बदल नहीं सकते ..... bilkul badal sakte hain...yadi vo badalna chahe ya phir samne vale mein itni khubiyan aur dhairya ho jo shaitan ko bhi badal de. Ummid par duniya kayam hai.....

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

अपने मे लाजबाब शेरों को समेटे हुए एक बहुद ही उम्दा रचना वन्दना जी !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहर मात्राओं की जुगलबंदी बिन
मुकम्मल शेर बन नहीं सकते

इसकी तो ज़रूरत ही नहीं है ..वैसे ही मुक्कमल है ....

मुमकिन है बदल जाए ईमान शैतान का
इंसान में छुपे शैतान को कभी बदल नहीं सकते

बहुत सटीक बात कह डी है ....खूबसूरत गज़ल कहूँ ? शेर कहूँ ? नज़्म कहूँ ?

क्यों की मुझे भी नहीं मालूम की गज़ल क्या होती है :)
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

कविता रावत ने कहा…

मुमकिन है बदल जाए ईमान शैतान का
इंसान में छुपे शैतान को कभी बदल नहीं सकते
....sach mein jab insaan shaitan banta hai to kitna kuroop ban jaat ahai..
bahut sundar prastuti ke liye aabhar

Deepak Shukla ने कहा…

वंदना जी....

तेरी इस ग़ज़ल पर, लिखें न अगर कुछ..
तो दिल ये न माने, हमारा भी ऐसे....
अशर-दर-अशर ये, ग़ज़ल जो कही है...
हुआ दर्द दिल में, बताएं तो कैसे....

सुन्दर ग़ज़ल...हर अशाअर एक से बढ़कर एक...

वाह....

दीपक....

समय चक्र ने कहा…

: हम तो डूबे हुए अशआर हैं :
बढ़िया गजल .... हमेशा की तरह लाजबाब प्रस्तुति.....आभार

कुमार राधारमण ने कहा…

मुकम्मल शे'र भी कुछ कहने के लिए ही चाहिए। अंत में वाह न निकले तो मात्रा और छंद का समन्वय भी बेकार। जो आपने लिखा,कमोबेश,वही हम सबका अनुभव है।

अर्चना तिवारी ने कहा…

बहुत खूब...

गजेन्द्र सिंह ने कहा…

अच्छी कविता लिखी है आपने ...


http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/

vijay kumar sappatti ने कहा…

just amazing

Sadhana Vaid ने कहा…

मुमकिन है बदल जाए ईमान शैतान का
इंसान में छुपे शैतान को कभी बदल नहीं सकते

बहुत प्रभावशाली पंक्तियाँ हैं ! अति सुन्दर !

http://sudhinama.blogspot.com

ZEAL ने कहा…

.
कटु सत्य को दर्शाती बेहत खूबसूरत रचना।
बधाई ।
.

ASHOK BAJAJ ने कहा…

शैतान और ईमान ? बहुत अच्छी प्रस्तुति।
धन्यवाद !

Parul kanani ने कहा…

ohho..kya baat hai :)

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दुआ दें या बददुआ उसके दरबार के कानून
किसी के लिए कभी बदल नहीं सकते

बहुत खूब .. सच कहा है ... उसके दरबार में सब बराबर हैं ... न कोई राजा न रंक हैं ....

SATYA ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति.

Aruna Kapoor ने कहा…

मुमकिन है बदल जाए ईमान शैतान का
इन्साफ में छुपे शैतान को बदल नहीं सकते ...

सभी पंक्तियां अपने में जीवन की सच्चाइयां समेटे हुए है!...धन्यवाद!

दीपक 'मशाल' ने कहा…

हम्म रचना ठीक लगी.. सुन्दर भाव मैम..

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

सच कहा है इंसान के अन्दर छिपा शैतान कभी नहीं बदल सकता.......

#vpsinghrajput ने कहा…

वाह वाऽऽह !
बड़ा सुन्दर।

*********************
आजकल आपके असिर्वाद की कमी सी महसूस हो रही हैं मुझे
****************************
http://sometimesinmyheart.blogspot.com/

Urmi ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!

ज्योति सिंह ने कहा…

हम तो डूबे हुए अशआर हैं
दर्द बिन ग़ज़ल बन नहीं सकते

बहर मात्राओं की जुगलबंदी बिन
मुकम्मल शेर बन नहीं सकते
bahut gahri baate kah gayi ,shaandaar rachna

kshama ने कहा…

Vandana,"Bikhare Sitare"pe phir ekbaar tumhara shukriya!

KK Yadav ने कहा…

मुमकिन है बदल जाए ईमान शैतान का
इन्साफ में छुपे शैतान को बदल नहीं सकते
...आपकी ये अंतिम पंक्तियाँ सोचने पर मजबूर करती हैं...उत्तम प्रस्तुति..बधाई.

___________________
'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)

ASHOK BAJAJ ने कहा…

श्रीकृष्णजन्माष्टमी की बधाई .
जय श्री कृष्ण !!!

vikram7 ने कहा…

मुमकिन है बदल जाए ईमान शैतान का
इंसान में छुपे शैतान को कभी बदल नहीं सकते
sahii kaha, ati sundar

SATYA ने कहा…

कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली

निर्मला कपिला ने कहा…

हम तो डूबे हुए अशआर हैं
दर्द बिन ग़ज़ल बन नहीं सकते
आप तो उभरते हुये अशार हैं जी
बहुत सुन्दर खास कर आखिरी पँक्तियां। शुभकामनायें

जय शंकर ने कहा…

इंसान में छुपे शैतान को कभी बदल नहीं सकते. कटु पर परम सत्य.

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

bahut sundar.. saitan to insaan ban sakta hai par ma ke andar ke shaitan kaa kya ho... bahut sundar likha ..vandna ji....aapka shukriya..

Anupriya ने कहा…

outstanding...........