किसी ने ख्वाब भी बनाया
पलकों में भी बसाया
किसी के दिल की धड़कन भी बनी
ज़िन्दगी की आरजू भी बनी
उसे भी अपने दिल की धड़कन बनाया
उसके ख्वाबों को भी
अपनी आंखों में सजाया
उसकी हर चाहत को अपना बनाया
बस उसकी इक हसरत को
जो न अपनाया
उस इक कसूर की
सज़ा ये मिली
उसने भी
पलकों से गिरा दिया
धडकनों को भी
क़ैद कर दिया
बे-मुरव्वत मोहब्बत का
पाक गला भी घोंट दिया
इश्क के न जाने
कौन से मुकाम पर ले जाकर
शाख से टूटे पत्ते की मानिन्द
दर -दर भटकता छोड़ दिया
आह ! मोहब्बत ये तूने क्या किया
पलकों में भी बसाया
किसी के दिल की धड़कन भी बनी
ज़िन्दगी की आरजू भी बनी
उसे भी अपने दिल की धड़कन बनाया
उसके ख्वाबों को भी
अपनी आंखों में सजाया
उसकी हर चाहत को अपना बनाया
बस उसकी इक हसरत को
जो न अपनाया
उस इक कसूर की
सज़ा ये मिली
उसने भी
पलकों से गिरा दिया
धडकनों को भी
क़ैद कर दिया
बे-मुरव्वत मोहब्बत का
पाक गला भी घोंट दिया
इश्क के न जाने
कौन से मुकाम पर ले जाकर
शाख से टूटे पत्ते की मानिन्द
दर -दर भटकता छोड़ दिया
आह ! मोहब्बत ये तूने क्या किया
30 टिप्पणियां:
उसने भी
पलकों से गिरा दिया
bahut hi maarmik panktiyan....
शाख से टूटे पत्ते की मानिन्द
दर -दर भटकता छोड़ दिया
आह ! मोहब्बत ये तूने क्या किया...
yeh to hai.... admi tootta hai to dar dar bhatakta hi hai.....
behtareen shabdon ke saath ek behtareen kavita.....
Regards
mahfooZ
www.lekhnee.blogspot.com
(Meri Rachnayen!!!!!)
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
कौन से मुकाम पर ले जाकर
शाख से टूटे पत्ते की मानिन्द
दर -दर भटकता छोड़ दिया
आह ! मोहब्बत ये तूने क्या किया
वाह वंदना जी क्या खूब कहा है सच में पढ़ कर बहुत आनंद आ गया
रचना
आह के साथ वाह निकली आपकी रचना के बनावट पर ...........
कौन से मुकाम पर ले जाकर
शाख से टूटे पत्ते की मानिन्द
दर -दर भटकता छोड़ दिया
आह ! मोहब्बत ये तूने क्या किया
waah bahut sunder lagi ye panktiyaan.sunder nazm.
बहुत अच्छी रचना है वंदना जी बधाई स्वीकार करें...
नीरज
अच्छी कविता.........
परिपूर्ण कविता........
बहुत भा गई यह कविता..........
बधाई !
ए मोहब्बत तेरे अंजाम पे rona आया
उफ़ ..मुहब्बत ने ये क्या किया ...
भावप्रवण कविता ... !!
Bhaavpoorn abhivyakti...
मोहब्बत का
पाक गला भी घोंट दिया....
आह ! मोहब्बत ये तूने क्या किया
wah Vandana ji abki baar phir masterstroke !!
par mujhe to lalach aapke dossre blog ka hai isley ise zaldi zaldi nipta ke ja raha hoon...
शाख से टूटे पत्ते की मानिन्द
दर -दर भटकता छोड़ दिया
आह ! मोहब्बत ये तूने क्या किया...
जज्बातो का सिलसिला हैं आपकी रचनाएँ. आप जिस दर्द, जिस भाव को शब्द देती है वे स्वत: ही मुखरित हो उठते है.
बहुत शानदार रचना
ah.........................
wah............................
बहुत अच्छी रचना है वंदना जी बधाई
कौन से मुकाम पर ले जाकर
शाख से टूटे पत्ते की मानिन्द
दर -दर भटकता छोड़ दिया
आह ! मोहब्बत ये तूने क्या किया
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है वन्दना जी बधाई
हमारी भी बधाई स्वीकार कीजिए इस सुन्दर रचना के लिए। ना जाने क्यों इक गलती की इतनी बडी सजा मिलती है?
वो फूल हो के महक अपने पास रखता है,
मुहब्बतों का वो मौसम उदास रखता है।
प्यार के ना जाने कितने रन्ग होते है और फिर विरह तो जीवन का सौन्दर्य है,जीवन के पथ का सबसे महत्वपूर्ण मोड,एक मील का पत्थर. जिसने इसे समझ कर अपनी जिन्दगी को दिशा दी वे आज कही कही ना कही एक मुकाम पर है और जिसने इससे हार मानी, वे अपने ही चक्षु से निकली गन्गोत्री मे डूब कर अस्तित्व विलीन हो गये.
खूबसूरती से आपने अपने मन की बात कह दी।
जिन्दगी तो बस मुहब्बत और मुहब्बत जिन्दगी।
तब सुमन दहशत में जी कर हाथ क्यों मलता रहा।।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
सुन्दर !!!!!
mohabbat se dekha khafa ho gye,
log aaj kal shayad khuda ho gye...
har khyaal ka jawaab hai humare paas.... just visit http://yourquestionanswer.blogspot.com/
वन्दना जी बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
kavita ki antim linne man ko bhitar tak kured dali....bahut achhi lagi mujhe aapki ye kavita..maine ek nai post dali hai aapka swagat hai
इश्क के न जाने
कौन से मुकाम पर ले जाकर
शाख से टूटे पत्ते की मानिन्द
दर -दर भटकता छोड़ दिया
मोहब्बत का ऐसा anjaam होता है ........ ये jaante huve भी सब मोहब्बत करते हैं .......... lajawaab rachna है आपकी Vandna ji.....
इश्क के न जाने
कौन से मुकाम पर ले जाकर
शाख से टूटे पत्ते की मानिन्द
दर -दर भटकता छोड़ दिया
आह ! मोहब्बत ये तूने क्या किया
bahut dard bhari line hai..jo man ko chhuti hai..mere blog par aapka swagat hai
सुन्दर एवम भावना प्रधान कविता--बहुत अच्छी लगी आपकी अन्य रचनायें भी।
हेमन्त कुमार
कविता की शुरुआत एक ओर से एक लाइन से करें अच्छा लगेगा । कुछ नये बिम्बों का प्रयोग करे यह बिम्ब पुराने हो चुके हैं ।
Sundar tasveer ke saath, saath utnee hi sundar rachna!
Mohobbat na jane kiska kya haal kab bana de?
kahane ko to tumne kah diya bahut kuch. magar vo bat to hui nah jo arth rakhti thee.
vandana ji
aap ki rachnaoo main bhawnay hai or shabdo ka chayan bhi aacha hai.
jaisingh
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