भीगा हूँ बहुत
अश्कों के बहते धारों में
डूबा हूँ बहुत
तेरे दिए दर्द के सैलाबों में
भटका हूँ बहुत
तेरी जुल्फों के गलियारों में बहका हूँ बहुत
तेरे रेशमीअहसासों में
बस बहुत हुआ
अब और न इम्तिहाँ ले
मत मार मुझे
यूँ याद में तडपा-तडपा कर
सिर्फ़ एक बार आकर
सीने पर खंजर चला दे
दिल के टुकड़े- टुकड़े कर दे
कि
जीने की आरज़ू पूरी हो जाए
दिल की हर हसरत निकल जाए
और
मोहब्बत की यूँ नज़र उतर जाए
अश्कों के बहते धारों में
डूबा हूँ बहुत
तेरे दिए दर्द के सैलाबों में
भटका हूँ बहुत
तेरी जुल्फों के गलियारों में बहका हूँ बहुत
तेरे रेशमीअहसासों में
बस बहुत हुआ
अब और न इम्तिहाँ ले
मत मार मुझे
यूँ याद में तडपा-तडपा कर
सिर्फ़ एक बार आकर
सीने पर खंजर चला दे
दिल के टुकड़े- टुकड़े कर दे
कि
जीने की आरज़ू पूरी हो जाए
दिल की हर हसरत निकल जाए
और
मोहब्बत की यूँ नज़र उतर जाए
18 टिप्पणियां:
iska sheershak - 'O Bewafa '
kaisa rahega?
dil ke tukde tukde kar de
yaa
aaa k sine se laga le.....
सुन्दर रचना , बधाई
एक अजीब सा एहसास ले हुए है यह रचना।बढिया!
सिर्फ़ एक बार आकर
सीने पर खंजर चला दे
दिल के टुकड़े- टुकड़े
कर दे
ये तो उससे न होगा!मुमकिन ही नही है।
धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
बेहद सुन्दर रचना.....
tariif se badhkar likha hai ...jitni tariif karein kam hai...
katl, oh.....uffffffffff.......premi ka gussa.....gazab.........
vandana ji, deepawali aur dhanteras ki hardik shubhkaamnayen ishwar apke hriday ko adhyatm ke deepak ke prakash se prakashit karen.
सिर्फ़ एक बार आकर
एहसास बहुत सघन है. आपके द्वारा व्यक्त भाव भावमय कर देते है.
कुछ तो मज़बूरियां रही होंगी,
यों कोई बेवफ़ा नहीं होता।
Na Jaane kitane jakhami Diloon ki daastaan ko shabd de diye aapane is kavita ke sahaare ... Bahut khoob
विरह वेदना के अतिरेक और उच्चतम अवस्था को रेखान्कित करती आपकी शीर्षक विहीन इस कविता के शब्द जैसे मन के भावो को अन्दर तक झुलसा गयी.वैसे भी, विरह के कान्टो के बीच खिला प्रणय रूपी गुलाब का पुष्प अत्यन्त सुगन्धित, सम्मोहक और मनोहारी होता है.बिना विरह वेदना के मह्सूस किया गया प्यार सिर्फ कोरे सफेद कागज पर पानी से लिखा गया मजमून है इसे रन्ग तो विरह की वेदनाये देती है.
सुन्दर कविता.
fir ek baar aapki kalam ka jaadu dekhne ko mila
vanadana ji
bahut hi flow liye hue kavita hai .. antim pankhtiyaan ek nayi tasweer pesh karti hai
regards
vijay
vanadana ji
bahut hi flow liye hue kavita hai ..
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
आपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं.
"आओ मिल कर फूल खिलाएं, रंग सजाएं आँगन में
दीवाली के पावन में , एक दीप जलाएं आंगन में "
......दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ |
एक टिप्पणी भेजें