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शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

अब रिवाजों की मोहताज नहीं रही हमारी मोहब्बत

मेहंदी लगे मेरे हाथ


पिया जी का है साथ 
 
 

रंग तो खिल कर रहेगा 

 उनके सामने उनकी शाप पर बैठकर 
मेहंदी लगवाने का मज़ा ही कुछ और है ……है ना :)


सुनो
कभी कभी सोचती हूँ
कितना वक्त हुआ
हमें साथ रहते
एक दूसरे  के साथ चलते
और अभी कितना सफ़र बाक़ी है
हम नहीं जानते
इस सफ़र में
कुछ यादें सुहानी रहीं
तो कुछ बेगानी
तो कुछ खट्टी
तो कुछ कडवी
और कुछ मीठी
तुम भी जानते हो
और मैं भी
आज आकलन करने बैठी
खोज रही थी
अपने अंतस्थल में
कितना पानी बचा है
क्या सच में
हमारी चाहत में कुछ इजाफा हुआ है
क्या आज भी उसमे
वैसा ही सौंदर्य समाया है
जैसा पहले होता था
तो पाया
कितना बदल चुके हैं
हमारे पैमाने
कितना बदल चुकी हैं
हमारी चाहतें
देखो न
पहले जैसी न तो उमंगें रहीं
न ही पहले जैसी चाहतें
फिर भी कहीं न कहीं
बचा हुआ है कुछ पानी
जिसमे हरा रंग घुल गया है
न मेरा रंग न तुम्हारा
बस वो बन गया है हमारा
तभी तो
देखो न
नहीं करती कोई तैयारी
पहले जैसी करवाचौथ पर
कैसे अल्हड लड़की सी
मेरी सारी  आकांक्षाएं
तुम्हारे इर्द -गिर्द घूमा करती थीं
और मैं
मेहंदी के रंग में
तो कभी सौंदर्य के पैमानों में
तुम्हारी मोहब्बत ढूँढा करती थी
बस तुम ही तुम हो
मेरे आस पास
मेरे ख्यालों में
मेरी हर चाहत को
परवान चढ़ा दो
बस इन्ही में डूबता -उतरता रहता था
मेरी मोहब्बत का चाँद
क्योंकि
तुम्हें भी तो
मेरा सजे -संवरे रहना पसंद था
और मैं भी
अपनी पूजा की थाली में
सिर्फ तुम्हारी मोहब्बत ही पूजा करती थी
मगर देखना
वक्त की पहरेदारी भी गज़ब है
कैसे बिना आवाज़ दिए
चौकीदारी के उसूल बदल दिए
अब ना सजने - सँवरने में
न मेहंदी के रंग में
न चाहतों की बुलंदियों पर
खोजती हूँ तुम्हारी मोहब्बत के चाँद को
फिर भी
मना लेती हूँ करवाचौथ
जानते हो क्यों
क्योंकि
अब मेरे चाँद ने करवट ले ली है
तभी तो देखो
तुम्हें फर्क ही नहीं पड़ता
मैं करवाचौथ पर
कोई तैयारी  करूँ या नहीं
तुम्हें फर्क ही नहीं पड़ता
मैं ढंग से तैयार होऊँ या नहीं
तुम्हारे नाम की मेहंदी लगाऊँ या नहीं
तुम्हारी पसंद की
लाल काँच की चूड़ियाँ पहनूं या नहीं
कितना फर्क आ गया है ना ..............
फिर भी लगता है
कुछ पानी बचा है अभी
दोनों के गुलदानों में
क्योंकि कहीं न कहीं
पहले से ज्यादा
आज हम में
हमारी मोहब्बत में
संजीदगी आयी  है
अब लेन देन से परे
झूठे दिखावटी रिवाजों से परे
बिना कहे सुने भी
एक दूसरे के लिए जीते हैं हम
फिक्रमंद होते हैं
एक दूजे के दर्द में
उसका ज़िन्दगी में
मौजूदगी का अहसास ही
काफी होता है अब
जीने के लिए
तभी तो देखो
मना ही लेते हैं हम भी करवाचौथ
बिना कोई रस्मो - रिवाज़ निभाए 
एक अन्दाज़ ये भी होता है ……क्योंकि
अब रिवाजों की मोहताज नहीं रही हमारी मोहब्बत .......है ना साजन !!!

29 टिप्‍पणियां:

mridula pradhan ने कहा…

prem ki parakashtha hai ye aapsi vishwas......ye sneh hamesha aapke beech rahe.....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बस मुहब्बत बनी रहे .... रस्म रिवाज तो एक जरिया है .... सुंदर अभिव्यक्ति

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,

संध्या शर्मा ने कहा…

अद्भुत अहसास... 'करवा चौथ' के मंगल पावनपर्व पर हार्दिक शुभकामनायें ....

Unknown ने कहा…

behad sundar rachana,dil ko chu gyee

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

करवाचौथ की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (03-11-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

निराले अंदाज में बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,,बधाई,,

सभी ब्लॉगर परिवार को करवाचौथ की बहुत बहुत शुभकामनाएं,,,,,
RECENT POST : समय की पुकार है,

shikha varshney ने कहा…

वाह जी वाह ...बना रहे यह साथ और प्यार .मुबारक हो.

kshama ने कहा…

Muhabbat to rivajon kee mohtaaj kabhee nahee rahee....haan! Zindagee mohtaaj hai!
Sundar rachana.

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......

डॉ टी एस दराल ने कहा…

अति सुन्दर .
पर्व की शुभकामनायें.

virendra sharma ने कहा…

असल बात है मोहब्बत होनी चाहिए -रिवाज़ मुक्त हो या रिवाज़ बद्ध .

मोहब्बत में कोई मुसीबत नहीं है ,

मुसीबत तो यह है मोहब्बत नहीं है .

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 04/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Rajesh Kumari ने कहा…

कहते हैं पति पत्नी का प्यार एक बहती हुई पुरानी नदी के जैसा हो जाता है जिसका प्रवाह भले ही धीमा हो जाए पर गहराई बढ़ जाती है गंभीरता बढ़ जाती है बाकी इस सम्बन्ध को निखारते रहना भी हमारा ही फर्ज है क्यूँ न अब भी हम उसी तरह सजें संवरे अपने प्यार की खुशबु फैलाएं अपने दिल को पहले सा ही तरोताजा रखें जमाने की दिशा में ही चलें भले ही रफ़्तार धीमी हो उसी तरह जियें ---बहुत बहुत बधाई

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत सुंदर रचना!:)
समय के साथ साथ प्यार का रंग भी बदलता जाता है ! हमें एहसास भी नहीं होता....और ये हमारे अंदर साँसें बन कर बस जाता है... और हम... साँसों के साथ बेख़बर...जीवन जीते चले जाते हैं... :))
हार्दिक शुभकामनाएँ !:)
~सादर !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

यही अंदाज सच्चा होता है

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना. समय के साथ रिश्तों के स्वरुप में परिवर्तन आता है

राजेश उत्‍साही ने कहा…

गजब की बात है कि हाथों में मेंहदी लगी होने पर भी आपने इतनी सुंदर कविता कम्‍प्‍यूटर पर लिख डाली।
अगर ऐसा है तो हम तो चाहेंगे कि आपके हाथ हमेशा मेंहदी से ही रचे रहें।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शुभकामनायें..

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

प्यार प्यार और बस प्यार....
<3

थोड़ा हमारी ओर से भी :-)
अनु

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

परिपक्वता आ जाती है जब,तब ऊपरी बातों का महत्व कम हो जाता है -जीवन का यह सच है !

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

परिपक्वता आ जाती है जब,तब ऊपरी बातों का महत्व कम हो जाता है -जीवन का यह सच है !

कविता रावत ने कहा…

बहुत बढ़िया ..
मोहब्बत ऊपर वाले के नेमत्त है ..रिवाज तो हम इंसानों ने बनाया है ...

संगीता पुरी ने कहा…

सुंदर अभिव्‍यक्ति ..

मन के - मनके ने कहा…

प्यार कायम रहे,मेंहदी रंग लाएगी ही.

मन के - मनके ने कहा…

प्यार कायम रहे,मेंहदी रंग लाएगी ही.

मन के - मनके ने कहा…

प्यार कायम रहे,मेंहदी रंग लाएगी ही.

मन के - मनके ने कहा…

प्यार कायम रहे,मेंहदी रंग लाएगी ही.

Saras ने कहा…

सही कहा अब रवाजों की मोहताज नहीं ज़िन्दगी .....क्योंकि अब कुछ साबित नहीं करना है ...कुछ जताना नहीं है ...हम एक दूसरे की आदत में शुमार हो जाते हैं...और सब कुछ बेसाख्ता अपने आप होता जाता है ..किसी सोची समझी परियोजना या अपेक्षा के तहत नहीं