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सोमवार, 12 नवंबर 2012

काश! प्रेम की आकृति होती

काश! प्रेम की आकृति होती
एक वायुमंड्ल होता उसका
और उसमें तैरते कुछ
नीले अन्तर्देशीय पत्र
कुछ पोस्टकार्ड होते
जिन पर कुछ ना लिखा होता
और तुमने हर हर्फ़
पढ लिया होता

सिसकने की जहाँ मनाही होती
अश्कों की खेती खूब लहलहाती
क्योंकि
जो कह दिया
शब्दों मे जिसे बाँध दिया
वो भला कब इश्क हुआ
और हमारी परिभाषा तो
वैसे भी चिन्तन से परे की
कोई अबूझ पहेली होती
जिसमें होने और ना होने के बीच की परिधि पर
ना तुम होते ना मैं होती
मगर फिर भी वहाँ………
इश्क होता……मोहब्बत होती
जीने को और क्या चाहिये
होना ना होना कब मायने रखता है
वैसे भी इश्क का मजमून तो यूँ भी कोई फ़कीर ही पढता है…जानते हो ना

बेजुबानों की अबोली भाषा मे छुपे गूढार्थ बूझने के लिये 
कोई शर्त नही होती इश्क की पाठशाला में
फिर प्रेम को आकार देना इतना आसाँ कहाँ ?
ऐसे मे कैसे कहूँ
काश! प्रेम की आकृति होती………

17 टिप्‍पणियां:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

प्रेम की आकृति‍ नया वि‍चार है :)

Unknown ने कहा…

marmsparshi prastuti," काश! प्रेम की आकृति होती
एक वायुमंड्ल होता उसका
और उसमें तैरते कुछ
नीले अन्तर्देशीय पत्र
कुछ पोस्टकार्ड होते
जिन पर कुछ ना लिखा होत......."dipawali ki hardik subhkamnaye

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

अनछुए से अहसास ....हर कोई व्यक्त नहीं कर सकता ...बहुत खूब


दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ

विभूति" ने कहा…

bilkul naye andaaz ki prem behtreen abhivaykti....

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर अहसास ..आप को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए...

ZEAL ने कहा…

Lovely creation..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति,,,
दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ,,,,
RECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,

म्यूजिकल ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें,

संध्या शर्मा ने कहा…

एक नया अहसास... मंगलमय हो दीपों का त्यौहार... आपको व आपके समस्त परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.......

Prakash Jain ने कहा…

Waah, alag hi khayal hai ye to... Prem kir aakriti...:-)

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

"प्रेम" का सुन्दर गूढ़ सन्देश

हरे माँ लक्ष्मी हर का क्लेश

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ...

Ramakant Singh ने कहा…

आपका सूफियाना अंदाज़ भाया आपकी रचनाओं में आचार्य रजनीश जी भ्रान्ति बन पड़ती है

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…


.

आपकी रचना सही से पढ़ने के लिए दुबारा आया हूं…
:)

प्रशंसनीय है…
साधुवाद !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम कहाँ किसी आकार में बँधा है..

sushila ने कहा…

प्रेम ने कब कौन-से बंधन माने हैं और कब इसे ज़ुबान की दरकार हुई !
बहुत सुंदर रचना।

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति ..आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,
...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

vaise bhi ishq ka majmoon....................bhasha men chhupe goodh arth..............wah.............bahut gahraai hai vandana ji ...........aapke alaukik prem ke anubhav ko naman.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

प्रेम आकारहीन ही साकार है