मेहंदी लगे मेरे हाथ
पिया जी का है साथ
रंग तो खिल कर रहेगा
उनके सामने उनकी शाप पर बैठकर
मेहंदी लगवाने का मज़ा ही कुछ और है ……है ना :)
सुनो
कभी कभी सोचती हूँ
कितना वक्त हुआ
हमें साथ रहते
एक दूसरे के साथ चलते
और अभी कितना सफ़र बाक़ी है
हम नहीं जानते
इस सफ़र में
कुछ यादें सुहानी रहीं
तो कुछ बेगानी
तो कुछ खट्टी
तो कुछ कडवी
और कुछ मीठी
तुम भी जानते हो
और मैं भी
आज आकलन करने बैठी
खोज रही थी
अपने अंतस्थल में
कितना पानी बचा है
क्या सच में
हमारी चाहत में कुछ इजाफा हुआ है
क्या आज भी उसमे
वैसा ही सौंदर्य समाया है
जैसा पहले होता था
तो पाया
कितना बदल चुके हैं
हमारे पैमाने
कितना बदल चुकी हैं
हमारी चाहतें
देखो न
पहले जैसी न तो उमंगें रहीं
न ही पहले जैसी चाहतें
फिर भी कहीं न कहीं
बचा हुआ है कुछ पानी
जिसमे हरा रंग घुल गया है
न मेरा रंग न तुम्हारा
बस वो बन गया है हमारा
तभी तो
देखो न
नहीं करती कोई तैयारी
पहले जैसी करवाचौथ पर
कैसे अल्हड लड़की सी
मेरी सारी आकांक्षाएं
तुम्हारे इर्द -गिर्द घूमा करती थीं
और मैं
मेहंदी के रंग में
तो कभी सौंदर्य के पैमानों में
तुम्हारी मोहब्बत ढूँढा करती थी
बस तुम ही तुम हो
मेरे आस पास
मेरे ख्यालों में
मेरी हर चाहत को
परवान चढ़ा दो
बस इन्ही में डूबता -उतरता रहता था
मेरी मोहब्बत का चाँद
क्योंकि
तुम्हें भी तो
मेरा सजे -संवरे रहना पसंद था
और मैं भी
अपनी पूजा की थाली में
सिर्फ तुम्हारी मोहब्बत ही पूजा करती थी
मगर देखना
वक्त की पहरेदारी भी गज़ब है
कैसे बिना आवाज़ दिए
चौकीदारी के उसूल बदल दिए
अब ना सजने - सँवरने में
न मेहंदी के रंग में
न चाहतों की बुलंदियों पर
खोजती हूँ तुम्हारी मोहब्बत के चाँद को
फिर भी
मना लेती हूँ करवाचौथ
जानते हो क्यों
क्योंकि
अब मेरे चाँद ने करवट ले ली है
तभी तो देखो
तुम्हें फर्क ही नहीं पड़ता
मैं करवाचौथ पर
कोई तैयारी करूँ या नहीं
तुम्हें फर्क ही नहीं पड़ता
मैं ढंग से तैयार होऊँ या नहीं
तुम्हारे नाम की मेहंदी लगाऊँ या नहीं
तुम्हारी पसंद की
लाल काँच की चूड़ियाँ पहनूं या नहीं
कितना फर्क आ गया है ना ..............
फिर भी लगता है
कुछ पानी बचा है अभी
दोनों के गुलदानों में
क्योंकि कहीं न कहीं
पहले से ज्यादा
आज हम में
हमारी मोहब्बत में
संजीदगी आयी है
अब लेन देन से परे
झूठे दिखावटी रिवाजों से परे
बिना कहे सुने भी
एक दूसरे के लिए जीते हैं हम
फिक्रमंद होते हैं
एक दूजे के दर्द में
उसका ज़िन्दगी में
मौजूदगी का अहसास ही
काफी होता है अब
जीने के लिए
तभी तो देखो
मना ही लेते हैं हम भी करवाचौथ
बिना कोई रस्मो - रिवाज़ निभाए
कभी कभी सोचती हूँ
कितना वक्त हुआ
हमें साथ रहते
एक दूसरे के साथ चलते
और अभी कितना सफ़र बाक़ी है
हम नहीं जानते
इस सफ़र में
कुछ यादें सुहानी रहीं
तो कुछ बेगानी
तो कुछ खट्टी
तो कुछ कडवी
और कुछ मीठी
तुम भी जानते हो
और मैं भी
आज आकलन करने बैठी
खोज रही थी
अपने अंतस्थल में
कितना पानी बचा है
क्या सच में
हमारी चाहत में कुछ इजाफा हुआ है
क्या आज भी उसमे
वैसा ही सौंदर्य समाया है
जैसा पहले होता था
तो पाया
कितना बदल चुके हैं
हमारे पैमाने
कितना बदल चुकी हैं
हमारी चाहतें
देखो न
पहले जैसी न तो उमंगें रहीं
न ही पहले जैसी चाहतें
फिर भी कहीं न कहीं
बचा हुआ है कुछ पानी
जिसमे हरा रंग घुल गया है
न मेरा रंग न तुम्हारा
बस वो बन गया है हमारा
तभी तो
देखो न
नहीं करती कोई तैयारी
पहले जैसी करवाचौथ पर
कैसे अल्हड लड़की सी
मेरी सारी आकांक्षाएं
तुम्हारे इर्द -गिर्द घूमा करती थीं
और मैं
मेहंदी के रंग में
तो कभी सौंदर्य के पैमानों में
तुम्हारी मोहब्बत ढूँढा करती थी
बस तुम ही तुम हो
मेरे आस पास
मेरे ख्यालों में
मेरी हर चाहत को
परवान चढ़ा दो
बस इन्ही में डूबता -उतरता रहता था
मेरी मोहब्बत का चाँद
क्योंकि
तुम्हें भी तो
मेरा सजे -संवरे रहना पसंद था
और मैं भी
अपनी पूजा की थाली में
सिर्फ तुम्हारी मोहब्बत ही पूजा करती थी
मगर देखना
वक्त की पहरेदारी भी गज़ब है
कैसे बिना आवाज़ दिए
चौकीदारी के उसूल बदल दिए
अब ना सजने - सँवरने में
न मेहंदी के रंग में
न चाहतों की बुलंदियों पर
खोजती हूँ तुम्हारी मोहब्बत के चाँद को
फिर भी
मना लेती हूँ करवाचौथ
जानते हो क्यों
क्योंकि
अब मेरे चाँद ने करवट ले ली है
तभी तो देखो
तुम्हें फर्क ही नहीं पड़ता
मैं करवाचौथ पर
कोई तैयारी करूँ या नहीं
तुम्हें फर्क ही नहीं पड़ता
मैं ढंग से तैयार होऊँ या नहीं
तुम्हारे नाम की मेहंदी लगाऊँ या नहीं
तुम्हारी पसंद की
लाल काँच की चूड़ियाँ पहनूं या नहीं
कितना फर्क आ गया है ना ..............
फिर भी लगता है
कुछ पानी बचा है अभी
दोनों के गुलदानों में
क्योंकि कहीं न कहीं
पहले से ज्यादा
आज हम में
हमारी मोहब्बत में
संजीदगी आयी है
अब लेन देन से परे
झूठे दिखावटी रिवाजों से परे
बिना कहे सुने भी
एक दूसरे के लिए जीते हैं हम
फिक्रमंद होते हैं
एक दूजे के दर्द में
उसका ज़िन्दगी में
मौजूदगी का अहसास ही
काफी होता है अब
जीने के लिए
तभी तो देखो
मना ही लेते हैं हम भी करवाचौथ
बिना कोई रस्मो - रिवाज़ निभाए
एक अन्दाज़ ये भी होता है ……क्योंकि
अब रिवाजों की मोहताज नहीं रही हमारी मोहब्बत .......है ना साजन !!!
अब रिवाजों की मोहताज नहीं रही हमारी मोहब्बत .......है ना साजन !!!
29 टिप्पणियां:
prem ki parakashtha hai ye aapsi vishwas......ye sneh hamesha aapke beech rahe.....
बस मुहब्बत बनी रहे .... रस्म रिवाज तो एक जरिया है .... सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,
अद्भुत अहसास... 'करवा चौथ' के मंगल पावनपर्व पर हार्दिक शुभकामनायें ....
behad sundar rachana,dil ko chu gyee
करवाचौथ की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (03-11-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
निराले अंदाज में बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,,बधाई,,
सभी ब्लॉगर परिवार को करवाचौथ की बहुत बहुत शुभकामनाएं,,,,,
RECENT POST : समय की पुकार है,
वाह जी वाह ...बना रहे यह साथ और प्यार .मुबारक हो.
Muhabbat to rivajon kee mohtaaj kabhee nahee rahee....haan! Zindagee mohtaaj hai!
Sundar rachana.
बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......
अति सुन्दर .
पर्व की शुभकामनायें.
असल बात है मोहब्बत होनी चाहिए -रिवाज़ मुक्त हो या रिवाज़ बद्ध .
मोहब्बत में कोई मुसीबत नहीं है ,
मुसीबत तो यह है मोहब्बत नहीं है .
कल 04/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
कहते हैं पति पत्नी का प्यार एक बहती हुई पुरानी नदी के जैसा हो जाता है जिसका प्रवाह भले ही धीमा हो जाए पर गहराई बढ़ जाती है गंभीरता बढ़ जाती है बाकी इस सम्बन्ध को निखारते रहना भी हमारा ही फर्ज है क्यूँ न अब भी हम उसी तरह सजें संवरे अपने प्यार की खुशबु फैलाएं अपने दिल को पहले सा ही तरोताजा रखें जमाने की दिशा में ही चलें भले ही रफ़्तार धीमी हो उसी तरह जियें ---बहुत बहुत बधाई
बहुत सुंदर रचना!:)
समय के साथ साथ प्यार का रंग भी बदलता जाता है ! हमें एहसास भी नहीं होता....और ये हमारे अंदर साँसें बन कर बस जाता है... और हम... साँसों के साथ बेख़बर...जीवन जीते चले जाते हैं... :))
हार्दिक शुभकामनाएँ !:)
~सादर !
यही अंदाज सच्चा होता है
सुन्दर रचना. समय के साथ रिश्तों के स्वरुप में परिवर्तन आता है
गजब की बात है कि हाथों में मेंहदी लगी होने पर भी आपने इतनी सुंदर कविता कम्प्यूटर पर लिख डाली।
अगर ऐसा है तो हम तो चाहेंगे कि आपके हाथ हमेशा मेंहदी से ही रचे रहें।
शुभकामनायें..
प्यार प्यार और बस प्यार....
<3
थोड़ा हमारी ओर से भी :-)
अनु
परिपक्वता आ जाती है जब,तब ऊपरी बातों का महत्व कम हो जाता है -जीवन का यह सच है !
परिपक्वता आ जाती है जब,तब ऊपरी बातों का महत्व कम हो जाता है -जीवन का यह सच है !
बहुत बढ़िया ..
मोहब्बत ऊपर वाले के नेमत्त है ..रिवाज तो हम इंसानों ने बनाया है ...
सुंदर अभिव्यक्ति ..
प्यार कायम रहे,मेंहदी रंग लाएगी ही.
प्यार कायम रहे,मेंहदी रंग लाएगी ही.
प्यार कायम रहे,मेंहदी रंग लाएगी ही.
प्यार कायम रहे,मेंहदी रंग लाएगी ही.
सही कहा अब रवाजों की मोहताज नहीं ज़िन्दगी .....क्योंकि अब कुछ साबित नहीं करना है ...कुछ जताना नहीं है ...हम एक दूसरे की आदत में शुमार हो जाते हैं...और सब कुछ बेसाख्ता अपने आप होता जाता है ..किसी सोची समझी परियोजना या अपेक्षा के तहत नहीं
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