निष्ठुर आशा का निर्णायक मोड़ होगा वो
जब भभकती चिताओं में ना शोर होगा वो
एक चील ने छीना होगा बाज के मुँह से निवाला
तब जरूर कोई नया उदबोध होगा वो
यूँ ही नहीं बनती हैं शिलाएं वक्त की
यूँ ही नहीं गढ़ती हैं कहानियां शक्ल की
एक ज़र्रे ने जब किया होगा रोशन जहान
तीखी फिजा बदला मोजूं कुछ और होगा वो
सिमटती कायनात की खुमारी होगी
एक जुनूनी आतिशी वो पारी होगी
जब किसी चाह की ना कोई जवाबदारी होगी
तब इंकलाबी लहर की तैयारी कुछ और होगी वो
टूटा पत्ता जब शाख से जुड़ जायेगा
रुत का नया रुख तब नज़र आएगा
यूँ ही नहीं आशियानों के ख्वाहिशमंद रहे
बदलते आसमाँ के तेवर कुछ और होंगे वो
फतवों की मीनारों पर ना बुर्ज होंगे
तालिबानी अमलों के ना हुजूम होंगे
हर आँख में जब एक कोहिनूर होगा
तब मंज़र बदलता एक सुनहरा दौर होगा वो
जब भभकती चिताओं में ना शोर होगा वो
एक चील ने छीना होगा बाज के मुँह से निवाला
तब जरूर कोई नया उदबोध होगा वो
यूँ ही नहीं बनती हैं शिलाएं वक्त की
यूँ ही नहीं गढ़ती हैं कहानियां शक्ल की
एक ज़र्रे ने जब किया होगा रोशन जहान
तीखी फिजा बदला मोजूं कुछ और होगा वो
सिमटती कायनात की खुमारी होगी
एक जुनूनी आतिशी वो पारी होगी
जब किसी चाह की ना कोई जवाबदारी होगी
तब इंकलाबी लहर की तैयारी कुछ और होगी वो
टूटा पत्ता जब शाख से जुड़ जायेगा
रुत का नया रुख तब नज़र आएगा
यूँ ही नहीं आशियानों के ख्वाहिशमंद रहे
बदलते आसमाँ के तेवर कुछ और होंगे वो
फतवों की मीनारों पर ना बुर्ज होंगे
तालिबानी अमलों के ना हुजूम होंगे
हर आँख में जब एक कोहिनूर होगा
तब मंज़र बदलता एक सुनहरा दौर होगा वो
16 टिप्पणियां:
रचना के सभी मुक्तक बहुत बढ़िया हैं!
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फतवों की मीनारों पर ना बुर्ज होंगे
तालिबानी अमलों के ना हुजूम होंगे
हर आँख में जब एक कोहिनूर होगा
तब मंज़र बदलता एक सुनहरा दौर होगा वो
--
मगर यह अन्तिम तो बहुत ही उम्दा है!
IS KAVITAA KA SWAR HAR DISHA MEIN
GOONJNA CHAHIYE .
Deewalee kee anek shubh kamnayen!
आशावादी स्वर में कुछ परिवर्तन की चाह भी है।
वाह बढ़िया है जी
फतवों की मीनारों पर ना बुर्ज होंगे
तालिबानी अमलों के ना हुजूम होंगे
हर आँख में जब एक कोहिनूर होगा
तब मंज़र बदलता एक सुनहरा दौर होगा वो
....आमीन! सकारात्मक संदेश देती बहुत सार्थक और सशक्त अभिव्यक्ति..
so nice and beautiful
बेहद प्रभावशाली रचना ....अंतिम पंक्तियाँ लाजवाब ...
बेहद प्रभावशाली रचना ....अंतिम पंक्तियाँ लाजवाब ...
उत्कृष्ट अभिव्यक्ति!!
सुंदर स्वप्न दिखती सुंदर रचना | काश ये सब हो जाए |
मेरी नई पोस्ट-बोलती आँखें
बहुत सुन्दर ।
यह मंजर देखना कब नसीब होगा ? सुंदर प्रस्तुति
टूटा पत्ता जब शाख से जुड़ जायेगा
रुत का नया रुख तब नज़र आएगा
यूँ ही नहीं आशियानों के ख्वाहिशमंद रहे
बदलते आसमाँ के तेवर कुछ और होंगे वो ...beshak
निष्ठुर आशा का निर्णायक मोड़ - बहुत सुन्दर कथन।
बहुत आशा भरी सुंदर प्रस्तुति ।
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