यूँ तो वो सबके हैं
मगर केवल मेरे हैं
तभी कहता है इंसान
जब पूरा उसमे डूब जाता है जैसे गोपियाँ …
तुम केवल मेरे हो ,
आँखों के कोटर मे बंद कर लूंगी श्याम
पलकों के किवाड लगा दूंगी
ना खुद कुछ देखूंगी
ना तोहे देखन दूंगी
ये मेरी प्रीत निराली है
मैने भी तुझे बेडियाँ डाली हैं
जैसे तूने मुझ पर अपना रंग डाला है
अपनी मोहक छवि मे बांधा है
अब ना कोई सूरत दिखती है
सिर्फ़ तेरी मूरत दिखती है
मेरी ये दशा जब तुमने बनायी है
तो अब इसमे तुम्हें भी बंधना होगा
सिर्फ़ मेरा ही बनना होगा ………सिर्फ़ मेरा ही बनना होगा
अब ना चलेगा कोई बहाना
ना कोई रुकमन ना कोई बाधा
मुझे तो भाये श्याम सारा सारा
मै ना बांटूँ श्याम आधा आधा
27 टिप्पणियां:
श्याम को कौन बाँट सकता है ..
वो तो पूरे हैं , और सबके पास भी हैं..
सुन्दर मनमोहक कविता..
kalamdaan.blogspot.in
श्याम नहीं हैं आधा
तभी तो सबका मन राधा
:):) भक्ति के प्रेम में बसी सुंदर रचना ॥
bahut pyara bhaw.......
जैसे अर्जुन के लिए मछली की आंख,वैसे ही गोपियों के लिए केवल एक कृष्ण। लक्ष्य की प्राप्ति भी तब ही संभव!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 23-02-2012 को यहाँ भी है
..भावनाओं के पंख लगा ... तोड़ लाना चाँद नयी पुरानी हलचल में .
बहुत सुन्दर भक्ति रस में सराबोर रचना...
मैं ना बांटूं श्याम आधा-आधा...
मनोहारी कविता... बहुत सुन्दर...
सादर.
मत बांटिये जी, हम भी नहीं बाँटेंगे :).
पूरा ही पूरा है वह उसे पा के ही कोई पूरा हो जाता है ।
Wah! Aur kya kahun?
कौन बांटना चाहेगा प्यारे श्याम को किसी के साथ... बहुत भक्तिमयी प्रस्तुति...
पूरा श्याम हमारा है,
प्रिय संसार सँवारा है।
आप हमेशा बांटती हैं अपने विचारों से ... श्याम को ... अनुपम भाव लिए उत्कृष्ट प्रस्तुति
खूबसूरत कविता...
बहुत बढ़िया,बेहतरीन अनुपम अच्छी प्रस्तुति,.....बंदना जी, बधाई
MY NEW POST...काव्यान्जलि...आज के नेता...
बहुत ही सुन्दर
बेहतरीन प्रस्तुति:-)
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - आंखों पर हावी न होने पाए ब्लोगिंग - ब्लॉग बुलेटिन
श्याम की लीला निराली है...जिसने चाहा उसने ही पाया...वो भी पूरा पूरा...
मनभावन चाह...
बहुत सुंदर ...मन को छूती अभिव्यक्ति
aapne mere man ki baat kah di...bahut hi sundar rachna....
सुन्दर ,मनोहर ...बहुत खूब .श्याम रंग में रंगी चुनरिया ,अब रंग दूजो भावे न ,जिन नैनं में श्याम बसें हैं ,और दूसरो आवे न .तुम राधे बनों श्याम ....बहुत खूब रचना है आपकी समर्पण और अधिकार की मानिनी भाव की .
श्याम को बांटना कहाँ संभव हुवा है ...
प्रेम की गहरी अनुभूति ...
prem ko baantna ashaya hota hai, chahe apne Shyam ko Rukmini se hi kyo na baantna ho...manbhaawan kavita, badhai.
खूबसूरत भावपूर्ण रचना, बधाई
bhavpurn abhivyakti .prem bata nahi ja sakta
badhai
rachana
बेहद सुंदर और भक्तिमय रचना.....
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