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बुधवार, 7 सितंबर 2011

युगों की प्यास को अभिशप्त होने से पहले

सुनो
कहो
..............
अरे कहो ना
अब खामोश क्यूँ हो?


जानते हो
कब से
शायद अनंत जन्म से
हम प्रतीक्षारत थे
और हर क्षण
एक दूजे की चाह
एक दूजे का साथ
एक दूजे में समाहित
हमारे वजूद थे
वजूद जानते हो ना कौन से?


हाँ जानता हूँ...........
रूहानी वजूद
जो मिटकर भी नहीं मिटते
जो दूर होकर भी
पास होते हैं
एक दूजे के साथ होते हैं

देखो ना
कहीं आज अमावस तो नहीं
पूनम तो कभी
हमारी ज़िन्दगी में आयी ही नहीं
कभी चाँदनी में
रूह मुस्कायी ही नहीं
कोई कली किसी गुलशन में
खिलखिलाई ही नहीं


हाँ सही कहते हो
शायद आज
चाँद भी शर्मिंदा है
दो चाहने वालों के प्रेम का
साक्षी जो ना बन पाया
शायद मालूम हो गया है उसे
अब चाँदनी की हसरत
रूहों पर नहीं उतरती
किसी सूईं  में पिरो कर
कोई नहीं लगाता टांका
चाँदनी के तागों  का
महबूबा के केशों  में
देखो ना .............
शायद आज कोई
गवाह बनना नहीं चाहता
हमारे मिलन का
देखो तो .............
तभी सबने मुँह छुपाया है
जैसे प्रलय का कोई
चिन्ह नज़र आया है
जैसे सिर्फ एक
कँवल ही मुस्काया है
जिस पर हमारी प्रीत
का कोई मोती उभर आया है
अकेला बह रहा है
इस अथाह सागर में
आज शरीर होते
तो क्या हम होते?
नहीं ना...............
बस ये प्रेम ही है
जिसने प्रवाहमान बनाया है
शायद खुदाई नूर का
कोई करिश्मा नज़र आया है
तभी कहीं कोई विनाश का
चिन्ह ना नजर आया है
सिर्फ और सिर्फ
वो बहता हुआ
शांत सौम्य स्थिर अटल
एक ध्रुव तारा ही नज़र आया है
आओ चलें
आज प्रेम को
पूर्णविराम दे दें
युगों की प्यास को अभिशप्त होने से पहले

44 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय वन्दना जी
नमस्कार !
बेहतरीन शब्दों से उकेरी गयी अंतर भावनाए बेमिसाल है संवेदनशील

संजय भास्‍कर ने कहा…

मन के द्वन्द को बहुत सुन्दर शब्दों में संजोया है ! बेहतरीन रचना...

रविकर ने कहा…

युगों -युगों से चाहते, इक दूजे का संग |
नारीश्वर की वंदना, चढ़े न दूजा रंग ||

सदा ने कहा…

आज प्रेम को,

पूर्णविराम दे दें ...

बहुत खूब ... बेहतरीन शब्‍दों का संगम ।

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

bhut hi gudh abhivyakti....bhut hi sunder...laazwab:)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्यास शमित हो।

shikha varshney ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव हैं.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 08 -09 - 2011 को यहाँ भी है

...नयी पुरानी हलचल में आज ... फ़ोकट का चन्दन , घिस मेरे नंदन

kshama ने कहा…

Vandana....kya gazab kaa likhtee ho!Padhte hee rahne ka man karta hai!

POOJA... ने कहा…

chaht ko yun aayam dena... ek naam dena... waah...
kitnee khoobsoorat hai ye rachna... gahanta bhi hai, dwand bhee hai... ujwal bhi hai, prem bhee hai, prasang bhee hai...
mashallah...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण, शुभकामनाएं.

रामराम.

PRIYANKA RATHORE ने कहा…

बेहतरीन शब्‍दों का संगम ....बहुत खूब ...

Sunil Kumar ने कहा…

आज प्रेम को पूर्ण विराम देदें ...........क्या बात बहुत सुंदर ....

केवल राम ने कहा…

चाँद भी शर्मिंदा है
दो चाहने वालों के प्रेम का
साक्षी जो ना बन पाया

जज्बात किस तरह बहार आये हैं ..और शब्दों का प्रयोग बेमिसाल है .....!

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

सुन्दर कविता...बहुत डूब कर लिखती हैं आप..

Asha Joglekar ने कहा…

गहन शब्दों में व्यक्त गहरे प्रेम की अभिव्यक्ति । सुंदर ।

Nidhi ने कहा…

बस यह प्रेम ही है जिसने प्रवाहमय बनाया है...बहुत सुन्दर बात !!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रेम मय संवाद .. युगों की प्यास .. दूरी मिटने का एहसास .. मनवांछित आस ... बहुत अच्छी प्रस्तुति

बेनामी ने कहा…

"कभी चाँदनी में
रूह मुस्कायी ही नहीं"

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्रेम को पूर्णविराम दे दें ... पर कहने से क्या ऐसा होता है ... भावनाओं को सागर समेटा है ..

संध्या शर्मा ने कहा…

आज शरीर होते
तो क्या हम होते?
नहीं ना...............
बस ये प्रेम ही है
जिसने प्रवाहमान बनाया है...
वाह वंदना जी कितनी गहराई है इन शब्दों में, अजर अमर प्रेम ध्रुव तारे सा...
सुन्दर अभिव्यक्ति..

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

वंदना जी नमस्ते बहुत ही सुन्दर कविता बधाई और शुभकामनाएं

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

Aaj sharir hota to kya hm hote good
acha lga.

ZEAL ने कहा…

bahut sundar vandana ji.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

वाह वाह..
बेहतरीन अभिव्यक्ति...
सादर...

रंजना ने कहा…

वाह...वाह...वाह....

और क्या कहा जाय...

कमाल कमाल कमाल...

वाणी गीत ने कहा…

प्रेम की गहनता में सिर्फ खुदा का नूर और रूहानी चैन ही नजर आता है ...
सुन्दर!

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना है,वाह.

mridula pradhan ने कहा…

wah....kya baat hai.

वसुन्धरा पाण्डेय ने कहा…

ati sundar rachna Vandana jee

वसुन्धरा पाण्डेय ने कहा…

bahut sundar rachna Vandana jee

वसुन्धरा पाण्डेय ने कहा…

Bahut sundar rachna !!

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut achchi rachna.sorry der se padhi.teen din se network nahi tha.

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) ने कहा…

गहरे भाव ,
बहुत खुबसूरत कविता ||
दिल से बधाई ||

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

hamesha ki tarah jaandaar..

Suresh kumar ने कहा…

लाजवाब बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

सटीक बात...सुंदर विचार...बहुत ही गहरे भाव !

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

गजब की कविता ..और हार कर दुःख भरी कामना "युगों की प्यास को अभिशप्त होने से पहले"... सुन्दर तरीके से भावनाओ को उकेरा है .

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

आपका अंदाजे बयां सचमुच मन को छू जाने वाला है।

------
क्‍यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

प्रेम के एक विशिष्ट पहलू को दर्शाती एक अच्छी कविता।

रचना दीक्षित ने कहा…

गहरे प्रेम की अभिव्यक्ति बेमिसाल और संवेदनशील.

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

आज प्रेम को, पूर्णविराम दे दें...... ek sampurna sahamti ka aabhas man ke sath mastishk ka .....bahut sundtra se prstuti vandna ji....

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है।