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मंगलवार, 22 मार्च 2011

तुम कब आओगे?

बहुत दिन हुए
तुम नही उतरे
मेरे धरातल पर
देखो तुम्हारे
इंतज़ार मे
मौसम भी
ठहर गया है
मधुमास अभी
बीता नही है
पनघट अभी
रीता नही है
भ्रमर किलोल
कर रहा है
मन मयूर भी
डोल रहा है
पीहू पीहू
पपीहा बोल रहा है
ॠतुराज  भी
फ़ाग को
आलिंघनबद्ध किये
कब से खडा है
कब आओगे सजन
देह की देहरी से
मन की डगर तक
कब आओगे सजन
तुम कब आओगे?

33 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

virah ki bahut sundar bhavabhivyakti.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

कब आओगे सजन
देह की देहरी से
मन की डगर तक
कब आओगे सजन
तुम कब आओगे?
--
वियोग शृंगार का बहुत सुन्दर चित्रण किया है आपने इस रचना में!

Saleem Khan ने कहा…

तुम कब आओगे?

Insha ALLAH jald .... kyunki intizar bhi kabhi na kabhi khatm ho hi jata hai.

Sundar abhiwykti !

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

bhtrin sndesh deti rchna mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रतीक्षा की लम्बी राहें।

ZEAL ने कहा…

इंतज़ार का फल मीठा होता है ।

विशाल ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति.
शब्द-रचना से बाँध दिया आपने तो.
शुभ कामनाएं.

राजीव तनेजा ने कहा…

सुन्दर विरह रचना

Sushil Bakliwal ने कहा…

इन्तजार... और थोडा सा.

Deepak Saini ने कहा…

सुन्दर रचना
शुभकामनाये

mridula pradhan ने कहा…

देह की देहरी से
मन की डगर तक
bahut sundar shabdon ka prayog ki hain....wah.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

देह की देहरी से
मन की डगर तक..

मन तक पहुँचने में ही तो वक्त लगता है ...सुन्दर प्रस्तुति

shikha varshney ने कहा…

बहुत कठिन डगर है ..समय तो लगता है न.
सुन्दर कविता.

Aruna Kapoor ने कहा…

वाह!...बहुत ही सुन्दर शब्दों का संगम!

बेनामी ने कहा…

वंदना जी,

सुन्दर पोस्ट.....इंशाल्लाह मुराद जल्द पूरी होगी.....

***Punam*** ने कहा…

"देह की देहरी से
मन की डगर तक
कब आओगे सजन
तुम कब आओगे?"

बहुत भावपूर्ण इंतज़ार.......!!

"लेकिन बहुत कठिन है,
कि ....
इंतज़ार की घड़ियाँ
काटे नहीं कटतीं....!"

सुन्दर अभिव्यक्ति....

सदा ने कहा…

देह की देहरी से
मन की डगर तक

भावमय करते शब्‍द ।

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

बहुत ही सुंदर एहसासपूर्ण रचना...प्रतीक्षा के पल तो सही में सबसे सुहाना होता है..कुछ कहा ही नहीं जा सकता।

बाबुषा ने कहा…

आप तो बड़ी मांग कर बैठीं ! कठिन ! दुरूह ! मन तक पहुंचना....बेहद मुश्किल ! क्योंकि स्त्री मन की अथाह गहराई के सामने तो स्वयं देव भी घबराते हैं.. यह नहीं कि कुछ लोग कोशिश नहीं करते, वहाँ तक पहुँचने की...पर बड़ा बिरला है जी स्त्री मन! जैसे ही कोई पहुँचने को होता है...आहट मिलते ही और गहरे चला जाता है ! ये मिज़ाजन गहराई पसंद है. लेकिन ज़रूर करिए बड़ी मांग, और कहिये उनसे कि नापें वो उस अतल गहराई को ! इससे कम पर बात न बनेगी. शुभ दिन.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

देह की देहरी से
मन की डगर तक॥
कठिन सफ़र लेकिन असर दिखाने वाला ।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

प्रभावी पंक्तियाँ..... वियोग की वेदना की गहन अभिव्यक्ति........ सुंदर रचना

Kailash Sharma ने कहा…

कब आओगे सजन
देह की देहरी से
मन की डगर तक
कब आओगे सजन
तुम कब आओगे?

विरह वेदना और इंतज़ार के पलों की मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..बहुत सुन्दर

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही उत्कृष्ट विरह रचना.

रामराम

abhi ने कहा…

इंतज़ार में अकसर ऐसे प्रश्न काफी होते हैं...

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत खुबसुरत भावपुर्ण रचना, धन्यवाद

रचना दीक्षित ने कहा…

ॠतुराज भी
फ़ाग को
आलिंघनबद्ध किये
कब से खडा है

रस से सरावोर सुन्दर चित्रण. बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति.

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

PYAAR KA AAGRAH.....KAB AAOGE...

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

आमंत्रण,निमंत्रण, इज़हार की यह पुकार सचमुच कितनी काव्यमयी है।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है.

Dr Varsha Singh ने कहा…

कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......

Brijendra Singh ने कहा…

बेहद बेहद बेहद सुंदर भावात्मक रचना..

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत खुबसुरत भावपुर्ण रचना| धन्यवाद|

ज्योति सिंह ने कहा…

आलिंघनबद्ध किये
कब से खडा है
कब आओगे सजन
देह की देहरी से
मन की डगर तक
कब आओगे सजन
तुम कब आओगे?
intjaar man me kai bhav utpan karti ,ati uttam .holi parv ki badhai .