धड़कती तो अब भी हूँ
किसी खास आहट पर
पिघलती तो अब भी हूँ
किसी खास तपिश पर
मगर अब सब होता है
सिर्फ अहसासों में
हकीकत के धरातल पर
सिर्फ राख़ बची है
तो राख़ में कहाँ स्पन्दन?
ओ मेरे अहसास!
तुझ में जीना जैसे
बँधन मुक्त हो जाना
तुम जो मुझे बांध रहे हो
एक अनदेखे
अनजाने बँधन में
मगर फिर भी वहाँ
बँधन नहीं दीखता
एक अहसास ..........सुखद
चाहे क्षणिक ही सही
मगर अहसास की गर्माहट
उसकी जीवन्तता
जिला देती है
मृत्युशैया पर पड़े
जर्जर शरीर को
दो बूँद गंगाजल
नेह का जब टपकता है
तब जीवंत हो जाता है
हर स्पंदन
हर अहसास
जीने की ललक
जागने लगती है
हाँ ! धड़कती तो हूँ
फिर चाहे अहसासों में ही सही
किसी की चाहतों में ही सही
किसी के गीतों में ही सही
किसी की निगाहों में ही सही
कुछ पल जीने की आरजू
इसी तरह पूरी कर लेती हूँ
और कुछ पल के लिए ही सही
खुद पर गुमाँ कर लेती हूँ
धड़कती तो हूँ ...........है ना !
किसी खास आहट पर
पिघलती तो अब भी हूँ
किसी खास तपिश पर
मगर अब सब होता है
सिर्फ अहसासों में
हकीकत के धरातल पर
सिर्फ राख़ बची है
तो राख़ में कहाँ स्पन्दन?
ओ मेरे अहसास!
तुझ में जीना जैसे
बँधन मुक्त हो जाना
तुम जो मुझे बांध रहे हो
एक अनदेखे
अनजाने बँधन में
मगर फिर भी वहाँ
बँधन नहीं दीखता
एक अहसास ..........सुखद
चाहे क्षणिक ही सही
मगर अहसास की गर्माहट
उसकी जीवन्तता
जिला देती है
मृत्युशैया पर पड़े
जर्जर शरीर को
दो बूँद गंगाजल
नेह का जब टपकता है
तब जीवंत हो जाता है
हर स्पंदन
हर अहसास
जीने की ललक
जागने लगती है
हाँ ! धड़कती तो हूँ
फिर चाहे अहसासों में ही सही
किसी की चाहतों में ही सही
किसी के गीतों में ही सही
किसी की निगाहों में ही सही
कुछ पल जीने की आरजू
इसी तरह पूरी कर लेती हूँ
और कुछ पल के लिए ही सही
खुद पर गुमाँ कर लेती हूँ
धड़कती तो हूँ ...........है ना !
28 टिप्पणियां:
धड़कती तो अब भी हूँ
किसी खास आहट पर
पिघलती तो अब भी हूँ
किसी खास तपिश पर
मगर अब सब होता है
सिर्फ अहसासों में
.....
कुछ पल के लिए ही सही
खुद पर गुमाँ कर लेती हूँ
धड़कती तो हूँ ...........है ना !
--
यही अहसास तो हमें जीने की प्रेरणा देते हैं!
यही तो वह अनजाना बन्धन है
जो मृत्युपाश में बँधे होने पर भी जिन्दगी जीने के लिए विवश करता है!
बहुत सुन्दर रचना!
sunder hai ...
ehsaas aur zindagi par likhi is bhavpurn rachna ke liye mera aabhaar...
...Abhi....
बहुत उम्दा!!
सुन्दर...प्रभावी..भावपूर्ण रचना
धड़कती तो हूँ अभी भी ...
किसी के ख्यालों में भी सही !
सुन्दर !
धडकना ही जरूरी है...
और कहीं धड़क रहें है इसका पता खुद भी होना चाहिए...
आज फ़िर वही आपकी वाली बात...
बहुत सुन्दर...
बहुत सुन्दर रचना!
बेहतरीन रचना।
मगर अब सब होता है
सिर्फ अहसासों में ...
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
कुछ पल के लिए ही सही
खुद पर गुमाँ कर लेती हूँ
धड़कती तो हूँ ...........है ना .
itne sundar ahsaas hain ki padhkar man khud par guman karne laga...
वंदना जी,
बहुत सुन्दर.......भावो को शब्दों के माध्यम से उचित अभिव्यक्ति मिली है.......बहुत खूब|
बहुत ही भावपूर्ण रचना, भावों की धड़कन बनी रहे।
सुन्दर अहसास लिए रचना ।
हाँ ! धड़कती तो हूँ
फिर चाहे अहसासों में ही सही
किसी की चाहतों में ही सही
किसी के गीतों में ही सही
किसी की निगाहों में ही सही
कुछ पल जीने की आरजू
इसी तरह पूरी कर लेती हूँ ...
बहुत सुन्दर...निशब्द कर दिया अहसासों की गर्माहट ने..बहुत भावपूर्ण रचना. आभार.
बहुत सुन्दर ओर उम्दा रचना, धन्यवाद
कुछ पल जीने की आरजू
इसी तरह पूरी कर लेती हूँ
और कुछ पल के लिए ही सही
खुद पर गुमाँ कर लेती हूँ
जीवन को सकारात्मक रूप में देखने का प्रयास बहुत सुंदर तरीके से अभिव्यक्त हुआ है
cravings for lost love....beautiful.
अति सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
धड़कती तो हूँ अभी भी ...
किसी के ख्यालों में भी सही !
खुबसूरत अहसासों को समेटे ,दिल कि गहराई से लिखी गयी रचना ,बधाई!
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द|धन्यवाद|
हकीकत के धरातल पर
सिर्फ राख़ बची है
तो राख़ में कहाँ स्पन्दन?
क्या शब्द चुने वंदना जी ....बहुत सुंदर
ये धड़कन ही तो जीने को प्रेरित करती है ... हर समय एहसास कराती है की जीवन है ... जियो ... भरपूर जियो ..
.
कुछ पल के लिए ही सही
खुद पर गुमाँ कर लेती हूँ
धड़कती तो हूँ ...........है ना ....
हर पल बेहद कीमती हैं ...जितना भी हो सके जी लेना चाहिए ।
.
खामोश सफर
होश के साथ।
बहुत सुन्दर रचना!
बहुत सुन्दर रचना!
दो बूँद गंगाजल
नेह का जब टपकता है
तब जीवंत हो जाता है
हर स्पंदन
हर अहसास
जीने की ललक
जागने लगती है
इसी बूंद की ख्वाहिश धड्काती रहती है ...सुन्दर अभिव्यक्ति
इस एहसास की गर्माहट मुबारक आपको .....
जो जिला देती है मृत्यु शैया पर पड़े ...
जर्ज़र शरीर को भी ......
बहुत सुंदर प्यार की अभिव्यक्ति ......
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