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शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

प्रेरणाएं कब जीवंत होती हैं ?

मै तो
धूल का कण हूँ
मत बना
माथे का तिलक
मिटना मेरी
किस्मत है
मै तो एक पल हूँ
मत बना
ज़िन्दगी का सबब

आकर गुजरना
मेरी फितरत है
ये सिर्फ़
किस्से किताबों
की बातें हैं
क्यूँ फ़ेर मे पडते हो
सबकी किस्मत मे
गुलाब नही होते
 

हकीकत मे तो
सभी खार होते हैं
कुछ चुभ जाते हैं
कुछ बच जाते हैं
 
और जो बच जाते हैं
वो ही उम्र भर
तडपाते  हैं
इसलिए
मत बना
आरती का दीया
बुझना मेरी
तहजीब है
मत बना
डोर पतंग की
कटना मेरी
नियति है  
मुझे
सिर्फ वो ही
बना रहने दे
जो मैं हूँ
क्या था

मुझमे ऐसा
जो किसी को

प्रेरित करे
मत बना
अपनी प्रेरणा 
तडपना तेरी 
किस्मत है 
तड्पाना मेरी 
आदत है 
मत बना 
अपनी आदत
ज़िन्दगी तेरी
मिट जाएगी
व्यूहजाल में 
फँस जाएगी
फिर उम्र भर ना 
निकल पायेगी
जहाँ मौत भी 
दगा दे जाएगी 
प्रेरणाएं कब 
जीवंत होती हैं ?

35 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत रचना,,...

वंदना जी आपका लेखन काफी सराहनीय है | यूँ ही लिखती रहें | मेरे ब्लॉग में इस बार आशा जोगलेकर जी की रचना |
सुनहरी यादें :-4 ...

Deepak Saini ने कहा…

सभी खार होते हैं
कुछ चुभ जाते हैं
कुछ बच जाते हैं
और जो बच जाते हैं
वो ही उम्र भर
तडपाते हैं

बहुत खूब,
बेहतरीन शब्द रचना

केवल राम ने कहा…

क्यूँ फ़ेर मे पडते हो
सबकी किस्मत मे
गुलाब नही होते
हकीकत मे तो
सभी खार होते हैं
बिलकुल सही कहा आपने ..जिन्दगी में ऐसा बहुत कम होता है जब हमारी सोच और व्यव्हार एक जैसे रहते हों ..यही तो नियति है ,और ऐसे हालात में प्रेरणाएं कब तक जीवित रहेगी ..हर एक लफ्ज अर्थपूर्ण है.... मनभावन प्रस्तुति ..शुभकामनायें

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

...प्रेरणाएं कब
जीवंत होती हैं ?
--
यह प्रेरणाओं की जीवन्तता ही तो है जो आप इतनी सुन्दर विचार प्रधान रचनाएँ रचती हो!

kshama ने कहा…

Aah! Kitna dard samete hue hai ye rachana!

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

लगता है ये कविता मेरे लिए रची गई है.. मन को छू कर निकल गई...

बेनामी ने कहा…

वन्दना जी,

बहुत सुन्दर भाव भरे हैं आपने....ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी.....

क्यूँ फ़ेर मे पडते हो
सबकी किस्मत मे
गुलाब नही होते
हकीकत मे तो
सभी खार होते हैं
कुछ चुभ जाते हैं.
कुछ बच जाते हैं

और अंत में..... प्रेरणाएं कब जीवंत होती हैं ?

shikha varshney ने कहा…

बाप रे आज तो व्यूह जाल में फंसा डाला आपने :).इतनी निराशा क्यों? कविता अच्छी है .

समयचक्र ने कहा…

बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना ... बधाई

मनोज कुमार ने कहा…

धूल ... फूल और शूल ...!
बड़े काम की चीज़ें हैं
मंदिर की सीढी की धूल लोग मस्तक से लगाते हैं
ईश्वर पर चढा फूल, लोग सहर्ष अपनाते हैं
और कांटे को निकालने में काटा ही काम आता है।
है ना काम की चीज़ ....!

अजय कुमार झा ने कहा…

वाह वाह वंदना जी , बहुत ही सरलता से आपने काफ़ी कुछ कह डाला । आपकी यही खासियत हमें हमेशा भाती है । शुभकामनाएं

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

वंदना जी बहुत गहरी बात कह दी आपने। हार्दिक बधाई।

---------
मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।
भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

prernayen hi to jivant hoti hain ... kyun nirasha?

रचना दीक्षित ने कहा…

प्रेरणाएं तो पूरी तरह जीवंत हो कविता की शोभा बढ़ा रही हैं

शारदा अरोरा ने कहा…

badhiya rachna

उस्ताद जी ने कहा…

4.5/10

रचना के भाव बहुत पसंद आये.
कई पंक्तियाँ दिल में ठहरती हैं.

Arvind Jangid ने कहा…

अब कोई लाख समझाए परवाने को, कहा समझता है,
सुन्दर विचारों से ओत प्रोत कविता.........आपका धन्यवाद.

Dorothy ने कहा…

दिल को गहराई से छूने वाली खूबसूरत और संवेदनशील प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रेरणाएँ होती हैं जिवंत यह प्रेरणा देने वाले को पता नहीं चलता ...जो प्रेरित होता है उससे पूछिए :):)
बहुत प्रवाहमयी कविता ..

ASHOK BAJAJ ने कहा…

सराहनीय रचना है .

वाणी गीत ने कहा…

प्रेरणाएं कब जीवंत होती हैं ...
सबकी किस्मत में गुलाब नहीं होते
हकीकत में सब खार होते हैं ...
एक शेर याद आ रहा है ...
रफीकों से रकीब अच्छे जो जलकर नाम लेते हैं
गुलों से खार बेहतर हैं जो दामन थम लेते हैं ...!

Dr Xitija Singh ने कहा…

क्यूँ फ़ेर मे पडते हो
सबकी किस्मत मे
गुलाब नही होते
हकीकत मे तो
सभी खार होते हैं
कुछ चुभ जाते हैं.
कुछ बच जाते हैं

वंदना जी ये रचना भी आपकी हर रचना की तरह उम्दा है .. सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकारें ... शुभकामनाएं

बेनामी ने कहा…

tadapna teri kismat hai, tadpaana, meri aadat...so cool
amazing vandana ji

amar jeet ने कहा…

सब की किस्मत में गुलाब नहीं होते ! सुंदर रचना

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेरणायें तो जीवंत रखती हैं।

अनुपमा पाठक ने कहा…

prerna ka pratap anant hai!
sundar rachna!

निर्मला कपिला ने कहा…

शीर्षक पढ कर एक दम दिमाग मे यही आया जो प्रवीण ने कहा है प्रेरणा तो जीवंत ही होती है हम उसे अपनाते हैं या नही ये अलग बात है ैआपकी कविता मे भी तो एक डर है जो उसे आगाह कर रहा है। वैसे कविता बहुत अच्छी लगी।

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत रचना.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्रेरणाएं कब
जीवंत होती हैं ?..

जीवन में कोई प्रेरणा तो चाहिए ही ... वर्ना ये जीवन आसान नहीं होगा ...
सोचने को मजबूर करती है ..

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है !
बाल दिवस की शुभकामनायें !

palash ने कहा…

आपकी कविता बहुत सुन्दर है ।
जिन्दगी के इस पहलू से परिचय कराने के लिये आभार

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

`हकीकत में तो सभी खार होते हैं ,
कुछ चुभ जाते हैं
कुछ बच जाते हैं
जो बच जाते हैं वही उम्र भर तड़पाते हैं !`
जीवन का पूरा निचोड़ है यह कविता !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
www.marmagya.blogspot.com

mark rai ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत रचना.....

मेरे भाव ने कहा…

क्या था
मुझमे ऐसा
जो किसी को
प्रेरित करे
मत बना
अपनी प्रेरणा
तडपना तेरी
किस्मत है
.....

वेदना भरी रचना .

Anupriya ने कहा…

सभी खार होते हैं
कुछ चुभ जाते हैं
कुछ बच जाते हैं
और जो बच जाते हैं
वो ही उम्र भर
तडपाते हैं...bahot sundar rachna, bhwnaon ka samandar kuch shabdo me simat gaya. aapko badhai.
aur haan, prerna jiwant hoti hain...yakeen maniye :)