पृष्ठ

अनुमति जरूरी है

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लोग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

मंगलवार, 24 नवंबर 2009

बेरुखी का दर्द

पास होकर
क्यूँ दूर
चले जाते हो
दिल को मेरे
क्यूँ इतना
तड़पाते हो
तेरी बेरुखी
लेती है
जान मेरी
मत कर ऐसा
कहीं ऐसा न हो
तेरी बेरुखी पर
अगली साँस आए
या न आए
और तेरी दिल
तोड़ने की अदा
कहीं तेरी
सज़ा न बन जाए
फिर लाख
सदाएं भेजो
मुझे न
जहाँ में पाओगे
मेरी याद में
फिर तुम भी
इक दिन
तड़प जाओगे
मेरे रूठने पर
मुझे ना मना पाओगे
और इक दिन
इसी दर्द के
आगोश में
सिमट जाओगे
फिर मेरे दर्द के
अहसास को
समझ पाओगे
दिल तोड़ने की
सज़ा जान पाओगे
हर पल तड़पोगे
मगर मुझे न
पास पाओगे
तब तुम बेरुखी
का दर्द जान पाओगे

20 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

रवीन्द्र दास ने कहा…

kya sadgi hai kavita me!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

तेरी बेरुखी
लेती है
जान मेरी
मत कर ऐसा
कहीं ऐसा न हो
तेरी बेरुखी पर
अगली साँस आए

OMG! in panktiyan dil kahin andar tak utar gayin....

bahut hi oomda rachna...


Regards.......

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

तेरी बेरुखी
लेती है
जान मेरी
मत कर ऐसा
कहीं ऐसा न हो
तेरी बेरुखी पर
अगली साँस आए

OMG! in panktiyan dil kahin andar tak utar gayin....

bahut hi oomda rachna...


Regards.......

Rajeysha ने कहा…

जा तन लग वो तन जाने, ऐसी है इस रोग की माया
वाकई बेरूखी का दर्द भी वही समझ सकता है।

padmja sharma ने कहा…

वंदना जी '
अपनों की बेरूख़ी का दर्द असहनिए होता है . इसे कोई भुक्त भोगी ही जान सकता है .

निर्मला कपिला ने कहा…

कहीं ऐसा न हो तेरी बेरुखी मेरी जान ले ले----- ये बेरुखी भी क्या चीज़ है इसका दर्द शायद विरह से भी बडा है बहुत सुन्दर रचना बधाई

मनोज कुमार ने कहा…

इस कविता में बेरुखी के दर्द को बड़ी कुशलता से उतारा गया है।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

मत कर ऐसा
कहीं ऐसा न हो
तेरी बेरुखी पर
अगली साँस आए
या न आए
और तेरी दिल
तोड़ने की अदा
कहीं तेरी
सज़ा न बन जाए

Behad khoobsurat panktiyaan !

Kusum Thakur ने कहा…

"तेरी बेरुखी
लेती है
जान मेरी
मत कर ऐसा
कहीं ऐसा न हो
तेरी बेरुखी पर
अगली साँस आए"

बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति है वन्दना जी , बधाई!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

yahi kahungi,
tumhari berukhi se pareshaan hain nazaare, zaraa sa muskurakar dhundh mein de do sahaare

daanish ने कहा…

dard ka bayaan ,
mn ki iltejaa ,
ehsaas ki shiddat ,
aur
aapki khoobsurat nazm...

ek-ek shabd meiN
arth sumoye haiN .

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

spasht chetawani ke saath berukhi ke dard ki sunder abhivyakti. vandana ji aapki rachnayen mujhe...........

इश्क-प्रीत-love ने कहा…

इक दिन
तड़प जाओगे
मेरे रूठने पर
मुझे ना मना पाओगे
और इक दिन
इसी दर्द के
आगोश में
सिमट जाओगे
इस सचाई के इर्द-गिर्द ही मेरी पीड़ा की नियति तय है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हर पल तड़पोगे
मगर मुझे न
पास पाओगे
तब तुम बेरुखी
का दर्द जान पाओगे

बहुत ही सार्थक!
सम्वेदना के जज्बे को सलाम!

Razi Shahab ने कहा…

pyaari kavita hai

Unknown ने कहा…

उच्च कोटि की एक उत्कृष्ट रचना है. सधन्यवाद

समय चक्र ने कहा…

फिर मेरे दर्द के
अहसास को
समझ पाओगे
दिल तोड़ने की
सज़ा जान पाओगे
बहुत सुन्दर रचना आभार

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बेरूखी का दर्द बयान करती कविता
दर्द देने वाला दर्द तभी समझता है जब वह खुद उसी दर्द का शिकार होता है।
-वाह, क्या खूब..

Arvind Mishra ने कहा…

चेतावनी है यह -प्यारी सी !