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रविवार, 1 नवंबर 2009

किसी ने कभी लिखा ही नही

मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जिसमें मजमून हो
उन महकते हुए
जज्बातों का
उन सिमटे हुए
अल्फाजों का
उन बिखरे हुए
अहसासों का
जो किसी ने
याद में मेरी
संजोये हों
कुछ न कहना
चाहा हो कभी
मगर फिर भी
हर लफ्ज़ जैसे
दिल के राज़
खोल रहा हो
धडकनों की भी
एक -एक धड़कन
खतों में सुनाई देती हो
आंखों की लाली कर रंग
ख़त के हर लफ्ज़ में
नज़र आता हो
इंतज़ार का हर पल
ज्यूँ ख़त में उतर आया हो
हर शब्द किसी की तड़प का
किस के कुंवारे प्रेम का
किसी के लरजते जज्बातों का
जैसे निनाद करता हो
जिसमें किसी की
प्रतीक्षारत शाम की
उदासी सिमटी हो
आंखों में गुजरी रात का
आलम हो
दिन में चुभते इंतज़ार के
पलों का दीदार हो
किसी के गेसुओं से
टपकती पानी की बूँदें
जलतरंग सुनाती हों
किसी के तबस्सुम में
डूबी ग़ज़ल हो
किसी के बहकते
ज़ज्बातों का रूदन हो
किसी के ख्यालों में
डूबी मदहोशी हो
किसी की सुबह की
मादकता हो
किसी की यादों में
गुजरी शाम की सुगंध हो
हर वो ख्यालात हो
जहाँ सिर्फ़
महबूब का ही ख्वाब हो
प्यार की वो प्यास हो
जहाँ जिस्मों से परे
रूहों के मिलन का
जिक्र हो
हर लफ्ज़ जहाँ
महबूब का ही
अक्स बन गया हो
मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जो किसी ने कभी
लिखा ही नही
किसी ने कभी...................

38 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

किसी के ख्यालों में
डूबी मदहोशी हो
किसी की सुबह की
मादकता हो
किसी की यादों में
कितने गहरे और सुन्दर अर्थ लिये हुए एहसास. वाह क्या कहने --

"अर्श" ने कहा…

बहुत खूब लिखा आपने ,एक रिश्ते का मजमून
मेरे यहाँ भी पढें.. इसे इत्तफाक कहूँ के क्या कहूँ
बस आप से थोडी देर पहले की पोस्ट है ... कमाल की बात कही आपने ..

अर्श

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

उन बिखरे हुए
अहसासों का
जो किसी ने
याद में मेरी
संजोये हों..

yeh panktiyan.... bahut sukoon detin hain...padhne mein....
shayad aisa hum sab kahin nahin apne man mein chahte hain....

किसी के बहकते
ज़ज्बातों का रूदन हो
किसी के ख्यालों में
डूबी मदहोशी हो
किसी की सुबह की
मादकता हो
किसी की यादों में
गुजरी शाम की सुगंध हो
हर वो ख्यालात हो
जहाँ सिर्फ़
महबूब का ही ख्वाब हो...

ab ! in panktiyon pe kya kahun.... aapne speechless kar diya....

मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जो किसी ने कभी
लिखा ही नही
किसी ने कभी...................

aapne shabdon mein jaan daal di hai....

bahut hi khoobsoorat ehsaaas hain...is kavita mein.....


MAIN NISHABD HOON....

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

बहुत सुंदर

रश्मि प्रभा... ने कहा…

intzaar........yaa khuda puri kar de, dil ko sukun se bhar de

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

वाह कमाल का शब्द विन्यास सुन्दर भाव! वाह!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जो किसी ने कभी
लिखा ही नही
किसी ने कभी....

एक ऐसा ख़त जो गहरे जज्बात लिए हो .......... बहुत सा प्यार लिए हो ......... बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति है ........

प्रिया ने कहा…

khoobsoorat hai ...lekin khat likha ja chuka hai.....Imroz ne likha tha Amrita ko

मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जो किसी ने कभी
लिखा ही नही
किसी ने कभी.

Imroz ke bare mein jaankar hi aisa kaha hai

Vinay ने कहा…

BEAUTIFUL POEM

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जिसमें मजमून हो
उन महकते हुए
जज्बातों का
उन सिमटे हुए
अल्फाजों का
उन बिखरे हुए
अहसासों का
जो किसी ने
याद में मेरी
संजोये हों

भगवान आपकी तमन्ना पूरी करें।
जय श्री कृष्ण!!

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

bahut khoob vandana ji, bhavnaon/vicharon/swapnonki behatareen abhivyakti, itni sab cheez yadi khat men hon aur likh bhi diya jaaye aur pratyuttar..............?

Dr. Amarjeet Kaunke ने कहा…

bahut khaubsurat kavita hai...hame aise khaton kaa aksar besabri se intzaar rahta hai par vo kabhi nahi aate....aur ham un ke intzaar me kavitaen likhte hain....

Renu goel ने कहा…

प्यार को रूह से महसूस करने वाले ख़त का इंतज़ार सचमुच बहुत खूबसूरत है ...शब्दों को तो कह ही देती हूँ कहीं खो जाएँ ...रूहानी प्यार में इनका क्या काम

निर्मला कपिला ने कहा…

किसी के ख्यालों में
डूबी मदहोशी हो
किसी की सुबह की
मादकता हो
किसी की यादों में
बहुत सुन्दर यादें ऐसी ही होती हैं धन्यवाद और शुभकामनायें

Ashish Khandelwal ने कहा…

खूबसूरत अभिव्यक्ति

हैपी ब्लॉगिंग

satish kundan ने कहा…

सच में ऐसे ख़त का भला इंतजार किसे न होगा...दिल की गहराई से कविता लिखी है आपने...बधाई!!!!!! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है...

ओम आर्य ने कहा…

मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जो किसी ने कभी
लिखा ही नही
किसी ने कभी....
ऐसे खत की हम सब को है इंतजार.........जो रुह को तृप कर दे!बधाई!

anil sharma ने कहा…

हा मुझे भी इंतजार है उस ख़त का , मुझे तो लगता है है ऐसे ख़त का इंतजार तो हर किसी को रहता ही है ,जाने वो कोन हो ,

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

खूबसूरत शब्दों के...
खूबसूरती से किये गये प्रयोग के लिये....
बधाई.....
लिखती रहें
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

bahut hi pyara..aur is zindagi par humne expertise karne ki sonchi hai :) haan ji pata hai abhi hum bachhe hain tabhi to aise shauq paal rakhe hain...

bahut hi badhiya likha hai aapne...aaiye humare blog par bhi kabhi :)

राकेश कुमार ने कहा…

किसी अल्हड़ नायिका के अंतर्मन में उपजे कोमल मनोभावों को जितने उत्कृष्ट ढंग से आपने शब्दों में उतारा है, उसे सहजता से प्रशन्सा की किसी परिधीय सीमाओं में समेट पाना मेरे लिये काफी कठिन है तथापि मुझे यह कहने में संकोच नहीं कि श्रृंगार से ओतप्रोत इस कविता की हरेक पंक्ति एक युवती की उस चुनौती को रेखांकित करने में पूरी तरह कामयाब हुई है जिसमें वह अपनी कल्पना की सुंदर उड़ान में एक खूबसूरत प्रेमपत्र की तलाश करती है ।

एक बार पुनः बधाई ।

Preeti tailor ने कहा…

ek aur achchhi kavita ...

Unknown ने कहा…

आपके शब्दों का चयन अच्छा लगा, अच्छी कविता है.

Aparajita ने कहा…

bahut sundar.....bahut sundar or deep ahsas hain...dil ko chhu leti ho aap.....

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

sundar bhavpoorn prastuti....badhai...

राकेश जैन ने कहा…

bahut badhiya vicharon ka sangrah hai kavita...bhavnaon ka jharna...really superb!

Pawan Kumar ने कहा…

निनाद.....जलतरंग....तबस्सुम.....!
गुनगुनाने लायक कविता.

अर्कजेश ने कहा…

आपकी कविता पढकर एक शेर याद आ गया ...

"मुझे यकीं है कि तुमने पढ लिया होगा, वो खत जो मैनें तुम्हे कभी लिखा ही नहीं"

Urmi ने कहा…

आपने बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है! बहुत बढ़िया लगा! दिल को छू गई आपकी ये रचना !

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत खूबसूरत ख्याल हैं।
पर अफसोस इस बात कि कभी किसी ने आपको ऐसा ख़त लिखा ही नहीं।
------------------
परा मनोविज्ञान- यानि की अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 75 अरब डालर नहीं, सिर्फ 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

जहां जिस्मों से परे
रूहों का मिलन हो
जहां शब्द खामोश हों
बस धडकनों का बोल हो ...

आपकी nazm से फिल्म mugal-e-aazam की याद aa गई .....!!

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

ऐसे ही किसी ख़त का इंतजार हर एक को है.....पर लगता है शायद कभी लिखा ही नहीं गया...!बहुत अच्छी प्रस्तुती!!!

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

जो भावनाए लिखते समय आपके मन मे आई वो मेरे मन मे भी आई थी मम्मी ने बताया था की पापा कैसे उनको ख़त लिखा करते थे वो समय वो इंतज़ार वो अब नहीं न ऐसी कोई चीज़ समय कितना बादल गया है न...........
लेकिन आपने जिस तरहां से लिखा है वो कबीले तारीफ है बिलकुल डूबकर भावपूर्ण अंदाज़ मे



माफ़ी चाहूंगा स्वास्थ्य ठीक ना रहने के कारण काफी समय से आपसे अलग रहा

अक्षय-मन "मन दर्पण" से

daanish ने कहा…

kaash aise khat kabhi
likhe bhi to jaate....
khair vishwaas jagaati hui
aapki nazm padh kar
sukhad ehsaas ka anubhav huaa .

mark rai ने कहा…

किसी के ख्यालों में
डूबी मदहोशी हो
किसी की सुबह की
मादकता हो............

मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जो किसी ने कभी
लिखा ही नही
किसी ने कभी......
.....बहुत सुन्दर लगी आपकी ये कविता..

महावीर ने कहा…

निहायत खूबसूरत रचना है. भावनाओं और शब्दों का निस्संदेह ही बड़ा सुन्दर संयोजन है. वंदना जी, फिर भी उर्दू के शब्दों के प्रयोग में थोड़ी सावधानी की गुंजाईश है जैसे 'अल्फ़ाज़ों' शब्द गलत है. अल्फाज़ तो पहले ही बहु वचन (plural) होता है. लफ्ज़ों होता तो ठीक रहता. वैसे बहुत खूबसूरत ख़यालात हैं और लिखने का अंदाज़ वाकई में काबिले तारीफ़ है. बधाई.
महावीर शर्मा

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जो किसी ने कभी
लिखा ही नही....intzaar me kyamat huee..or khat ka aanaa ik or kyamat hoga......

संजय भास्‍कर ने कहा…

मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जिसमें मजमून हो
उन महकते हुए

SUNDER LINE HAI