ओस में भीगी औरत
औरत नही होती
होती है तो उस वक्त
सिर्फ़ एक नवांगना
तरुणाई मे अलसाई
कोई धवल धवल
चाँदनी की किरण
अपने प्रकाश से प्रकाशित करती
सृष्टि के स्पंदनों का
एक नव उपादानों का
सृजन करती हुयी
मगर क्षण भंगुरता है
उसका ये जीवन
ओस कितनी देर ठहरती है पत्तों पर
बस एक ताप ………और वाष्पित होना
उसकी नियति …………
मगर ओस में नहायी औरतें नहीं होतीं वाष्पित
गंध महकती है उनके पसीने से भी
वाष्पीकरण फ़ैला जाता है हवा में हर कण
ओस मे नहायी औरतों का …………
और बन जाता है इंद्रधनुष
बिना बारिश और बिना धूप के …………
ओस मे नहायी औरतों के इन्द्रधनुष उम्र भर महका करते हैं …………यादों में गुलाब बनकर
औरत नही होती
होती है तो उस वक्त
सिर्फ़ एक नवांगना
तरुणाई मे अलसाई
कोई धवल धवल
चाँदनी की किरण
अपने प्रकाश से प्रकाशित करती
सृष्टि के स्पंदनों का
एक नव उपादानों का
सृजन करती हुयी
मगर क्षण भंगुरता है
उसका ये जीवन
ओस कितनी देर ठहरती है पत्तों पर
बस एक ताप ………और वाष्पित होना
उसकी नियति …………
मगर ओस में नहायी औरतें नहीं होतीं वाष्पित
गंध महकती है उनके पसीने से भी
वाष्पीकरण फ़ैला जाता है हवा में हर कण
ओस मे नहायी औरतों का …………
और बन जाता है इंद्रधनुष
बिना बारिश और बिना धूप के …………
ओस मे नहायी औरतों के इन्द्रधनुष उम्र भर महका करते हैं …………यादों में गुलाब बनकर
23 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर और कोमल भाव से उकेरी गयी रचना ...दिल हो छू गयी
जो गुलाब सबको महक से भर देता है..
बाहर ही सुन्दर भाव लिए बेहतरीन रचना,आभार.
स्त्री का कोमल स्वरुप बेहतरीन प्रस्तुत किया वंदना जी बधा
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।
बहुत खूब ,,,सुन्दर सत्य
komal-komal si kavita......
बहुत सुंदर रचना
सुन्दर , बहुत सुन्दर.
बहुत गहरा सोच लिए कविता |
आशा
बहुत खूब !
बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे
बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार
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बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
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सुन्दर और कोमल चित्रण..
बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
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कोमल भाव -बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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ओस में नहाई औरतें ...
कोमल परन्तु आत्मविश्वास लिए इन औरतों को नमन ...
बहुत सुंदर और कोमल भावाभिव्यक्ति ........
बधाई,वन्दना जी.....
साभार............
बहुत सुंदर और कोमल भावाभिव्यक्ति ........
बधाई,वन्दना जी.....
साभार............
भावपूर्ण
गहरी सोच, अनुपम भाव, सुंदर कविता. बढ़िया प्रस्तुति.
:)
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