रास्ता है तो पहुँचेगा अपने अन्तिम छोर तक भी फिर चाहे राह मे कितने गहन अन्धेरे ही क्यों ना हों
कितने ही बीहड कंटीले बियाबान हों
फिर चाहे पगडंडी पर ही क्यों ना चलना पडे
मगर यदि रास्ता है तो जरूर पहुँचेगा अपने अन्तिम छोर तक
फिर चाहे राह मे मोह मत्सर के नाले हों
या अहंकार के प्याले हों
या फिर क्रोधाग्नि से दग्ध ज्वाले हों
फिर चाहे पगडंडी पर ही क्यों ना चलना पडे
यदि रास्ता है तो जरूर पहुँचेगा अपने अन्तिम छोर तक
फिर चाहे वेदना नृत्य करती हो
या रूह कितना ही सिसकती हो
चाहे भटकन कितनी हो
पर अन्तिम सत्य तक पहुँचना होगा
पगडंडी पर भी चलना होगा
क्योंकि
सीधी सपाट राहें जरूरी नहीं मंज़िल का पता दे ही दें
क्योंकि फ़िसलन भी वहीं ज्यादा होती है
इसलिये
गर हो हिम्मत तो पगडंडियों के दुर्गम
अभेद , जटिलताओं से भरे किनारों पर
पाँव रख कर देखना
गर चल सको तो चल कर देखना
फिर जटिलताओं की आँच पर तपकर
कुन्दन जब बन जाओगे
तो मंज़िल भी पा जाओगे
रास्तों के सफ़र मे पगडंडियों की अनदेखी
करने वालों को मंज़िल नहीं मिला करती
हाँ, रास्ता है तो तय करना ही होगा
खुद से अन्तिम छोर पर मिलना ही होगा
वो ही जीवन का वास्तविक उत्सव होगा
कितने ही बीहड कंटीले बियाबान हों
फिर चाहे पगडंडी पर ही क्यों ना चलना पडे
मगर यदि रास्ता है तो जरूर पहुँचेगा अपने अन्तिम छोर तक
फिर चाहे राह मे मोह मत्सर के नाले हों
या अहंकार के प्याले हों
या फिर क्रोधाग्नि से दग्ध ज्वाले हों
फिर चाहे पगडंडी पर ही क्यों ना चलना पडे
यदि रास्ता है तो जरूर पहुँचेगा अपने अन्तिम छोर तक
फिर चाहे वेदना नृत्य करती हो
या रूह कितना ही सिसकती हो
चाहे भटकन कितनी हो
पर अन्तिम सत्य तक पहुँचना होगा
पगडंडी पर भी चलना होगा
क्योंकि
सीधी सपाट राहें जरूरी नहीं मंज़िल का पता दे ही दें
क्योंकि फ़िसलन भी वहीं ज्यादा होती है
इसलिये
गर हो हिम्मत तो पगडंडियों के दुर्गम
अभेद , जटिलताओं से भरे किनारों पर
पाँव रख कर देखना
गर चल सको तो चल कर देखना
फिर जटिलताओं की आँच पर तपकर
कुन्दन जब बन जाओगे
तो मंज़िल भी पा जाओगे
रास्तों के सफ़र मे पगडंडियों की अनदेखी
करने वालों को मंज़िल नहीं मिला करती
हाँ, रास्ता है तो तय करना ही होगा
खुद से अन्तिम छोर पर मिलना ही होगा
वो ही जीवन का वास्तविक उत्सव होगा
10 टिप्पणियां:
आसा का संचार करती सुन्दर रचना!
और अगर रास्ता नहीं है...तो स्वयं बनाना होगा .....बस आँख मंजिल पे होनी चाहिए .....रास्ते अपने आप निकलते आयेंगे...सच ...!
great creation..
मंज़िल तक पहुँचने के लिए पगडंडियों कि अनदेखी नहीं कि जा सकती .... सशक्त रचना
आदि ज्ञात है, अन्त ज्ञात,
बस राह चले दिन रात साथ।
प्रेरित करते भाव
बहुत खुबसूरत सन्देश परक
सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति विवाहित स्त्री होना :दासी होने का परिचायक नहीं आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
सच में रास्ता है तो अंतिम छोर भी होगा ही...
वाह ...रास्तों के सफ़र में पगडंडियों की अनदेखी करने वालों को मंजिल नहीं मिलती ....सत्य वचन
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