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गुरुवार, 24 जनवरी 2013

जवाब दो मनुज ………जवाब दो?


गुफ़्तगू के मार्च अंक (2013)में प्रकाशित मेरी ये कविता ………कुछ लोगों ने सूचित किया मैसेज द्वारा तो पता चला क्योंकि पत्रिका तो मिली नहीं और सुना है वो पत्रिका भी सिर्फ़ सदस्यों को भेजते हैं और हम सदस्य नहीं हैं ………वैसे और जगह भी छप रहे हैं मगर सब जगह से पत्रिका आदि आते रहते हैं ये ही एक जगह है जहाँ से डब्बा गोल है :) ………

इक तरफ़ कटा सिर उसका
जो बना देश का प्रहरी
कहीं ना कोई मचा हल्ला
क्योंकि कर्तव्य है ये उसका
कह पल्ला झाडा जाता हो जहाँ

इक तरफ़ बहन बेटी की आबरू

सरेआम लुट जाती हो
और कातिल अस्मत का
नाबालिगता के करार में
बचने की फ़ेहरिस्त मे जुड जाता हो जहाँ

सफ़ेदपोश चेहरों पर शिकन

ना आती हो चाहे कितना ही
मुश्किल वक्त आ पडा हो
घोटालों के घोटालों  मे जिनके चेहरे
साफ़ नज़र आते हों जहाँ 



न्याय के नाम पर

खिलवाड किया जाता हो जहाँ 
कानून के ही मंदिर में
कानून का अपमान किया जाता हो जहाँ
फिर चाहे संविधान की कोई
कितनी धज्जियाँ उडाये
कैसे कोई संवैधानिक पर्व मनाये वहाँ


वहाँ कैसे कोई आस्था का पर्व मनाये

क्यों ना शर्म से डूब मर जाये
क्यों नहीं एक शमशीर उठाये
और झोंक दे हर उस आँख में
जहाँ देखे दरिन्दगी के निशाँ
जहाँ देखे वतन की पीठ पर
दुश्मन का खंजरी वार
जहाँ देखे घर के अन्दर बसे
शैतानों के व्यभिचार

कहो तो जब तक ना हो

सभी दानवों का सफ़ाया
जब तक ना हो विषपान
करने को शिव का अवतार
बिना मंथन के
कैसे अमृत कलश निकलेगा
और कैसे घट से अमृत छलकेगा
तब तक कैसे कोई करेगा
आस्था की वेदी पर कुंभ स्नान ?

कुम्भ स्नान के लिये

देनी होगी आहुति यज्ञ में
निर्भिकता की, सत्यता की, हौसलों की
ताकि फिर ना दानव राज हो
सत्य, दया और हौसलों की परवाज़ हो
और हो जाये शक्ति का आहवान
और जब तक ना ऐसा कर पाओगे
कैसे खुद से नज़र मिलाओगे
तब तक कैसे ढकोसले की चादर लपेटे
करोगे तुम कुम्भ स्नान…………?
क्योंकि
स्नान का महत्त्व तब तक कुछ नहीं
जब तक ना मन को पवित्र किया
तन की पवित्रता का तब तक ना कोई महत्त्व
जब तक ना मन पवित्र हुआ
जब तक ना हर शख्स के मन में
तुमने आदर ,सच्चाई और हौसलों का
दीप ना जला दिया
दुश्मन का ह्रदय भी ना साफ़ किया
तब तक हर स्नान बेमानी ही हुआ
इसलिये
जब तक ना ऐसा कर सको
कैसे कर सकोगे कुम्भ स्नान
जवाब दो मनुज ………जवाब दो?

18 टिप्‍पणियां:

Madan Mohan Saxena ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

speechlees post

aapke diye topic par hamne bhee likha tha

http://thoughtpari.blogspot.in/2013/01/kumbh-kaise-nahaoge.html

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जो लकीर बना दी है
उसी को सब पीट रहे हैं!
--
नया संविधान हो
और ईमानदार शासक हो तो...
रचनाधर्मी ऐसा लिखने का न साहस करेंगे
और न इसकी जरूरत होगी!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

सच का आईना दिखती और सोचने को मजबूर करती कविता

सादर

रविकर ने कहा…

आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

Unknown ने कहा…

आपकी कविता उद्देलित करती है और ऐसे प्रश्न उथा रही है जिसका कोई उत्तर नही

mridula pradhan ने कहा…

koi jabab hi nahin......

शिवा ने कहा…

सुंदर कविता .....

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सशक्त रचना।
ज़वाब बड़ा मुश्किल है।

मनोज कुमार ने कहा…

मन की पवित्रता ज़्यादा मायने रखती है।

Rohit Singh ने कहा…

कुंभ स्नान कर कर के इस दानवों कि सेना से लड़ना होगा। अच्छाई और बुराई कि इस जंग में पलड़ा बारी-बारी दोनो का भारी होता है..

Gyanesh kumar varshney ने कहा…

प्रेरणा प्रद पंक्तिया किन्तु अफसोस दिल्ली गूँगी है वहरी है और साथ ही साथ अंधी भी है
यह प्रधान नही गौण मंत्री भी नही गुलाम मंत्री बैठा है।
कृपया इधर भी नजर डालें
दिल्लीश्वर देते हैं भैया शीशों को अब गाली
वोटों ने सेना की कीमत अब कम है कर डाली
माता पत्नी की पुकार पर ब्लागर देते गाली
कैसा भारत में दिन आया शैतान बजाते ताली
आतंकी हाफिज जैसे जब साहब बन जाते हैं
मंत्री ही आतंक बाद के वाहक बन जाते हैं
भारत माता की पीड़ा फिर कौन समझ पाएगा
सत्ताधारी ही भारत का दुश्मन बन जाएगा
देशभक्त सेना पर देखो कैसी बीती होगी
जिन्दा सैनिक की माताऐं अब कैसे जीती होंगी
प्रधान मंत्री भारत का खुद ही प्रधान नही है
वो क्या लाज रखे भारत की जो खुद स्वतंत्र नही है
ग्रहमंत्री भारत के बन बैठे नये नये ये शिंदे
जिनने भारत की इज्जत में लगा दिये हैं फंदे
दिग्गी राजा रोज नयी सी खबर सुना देते हैं
मनमोहन जी राग नये नये रोज अलाप रहैं हैं
अल्पसंख्यक कभी भी गलत नही है
सब कमी हिन्दू ही करते हैं
हिन्दु ही है रहा सदा आतंकों का सानी
हिन्दु भारत में करता है सदा सदा मनमानी
इसीलिए भारत को भाई हिन्दु विहीन बनबा दो
और भारत को हाफिज की फोजों से सजबा दो
जब भारत हिन्दु से हिन्दु विहीन हो जाऐ
कांग्रेस के अरमान तभी तो पूरण होने पाऐं
इस बार जैसा मौका तो फिर शायद ही आऐ
शायद अबके काग्रेस की दुग्गी लग जाऐ
दिल्ली को चाहिऐं भारत में लश्कर को लगबाऐ
और भारत से संघी सब आतंकियो को मरबाए
घर घर में है भरे पड़े ये हिन्दु आतंकबादी
इनके कारण बनी हुयी है भारत में आजादी
भारत को ईसाई करने की चाल सफल तब होगी
नहेरु जी के सपनों की तारीफ तभी तो होगी

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

काश खून कुछ खौले अपना..

वाणी गीत ने कहा…

कौन देगा जवाब ....
विचारणीय प्रश्न है !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कुम्भ स्नान में देनी होगी आहुती .... बहुत सार्थक बात कही है ... सुंदर रचना ...मन का क्षोभ व्यक्त हो रहा है ।

Onkar ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

रचना दीक्षित ने कहा…

ईमानदार जनता और ईमानदार शासक. सशक्त रचना.

६४ वें गणतंत्र दिवस पर शुभकानाएं और बधाइयाँ.

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

इस सवाल का कौन दे जवाब? पाप को पुण्य में बदलने का सुअवसर है कुम्भ स्नान. देश-समाज की भयावह स्थिति पर गहन चिंतन, शुभकामनाएँ.