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शनिवार, 8 दिसंबर 2012

जानते हो ! प्रेम में कुछ शेष नहीं रहता …………

तुमने स्वीकारा अपना प्रेम
और छोड दिया एक प्रश्न
मेरी तरफ़ …मेरी स्वीकार्यता
मेरे जवाब का इंतज़ार
तुम्हारे लिये शेष रहा …………मगर
 
शेष रहा …………क्या?
प्रेम ? उसकी स्वीकार्यता
क्या तभी तक है प्रेम का अस्तित्व
जब तक ना हो जाये स्वीकार्य
सुनो …मैने तो सुना है
स्पन्दनों के तारों पर स्वंय प्रवाहित होता है प्रेम
बिना उत्तर की प्रतीक्षा किये ………
जानते हो ! प्रेम में कुछ शेष नहीं रहता …………
ना तू्……… ना मैं
बस प्रेम मे तो बस प्रेम ही बचता है मिश्री की डली के स्वाद सा
जिसका कोई आकार नहीं , प्रकार नहीं मगर भासित होता है ………बस यही है मेरे लिये प्रेम

क्या अब भी जरूरत है तुम्हें

स्वीकार्यता के भाव की
क्या अब भी जरूरत है तुम्हें
शेष कहने की…………

क्योंकि

मैने तो सुना है
जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
और मैं जानती हूँ
तुम्हें प्रश्नचिन्ह पसन्द नहीं …………(एक आयाम ये भी होता है प्रेम में )

15 टिप्‍पणियां:

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

क्योंकि
मैने तो सुना है
जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
और मैं जानती हूँ
तुम्हें प्रश्नचिन्ह पसन्द नहीं …………(एक आयाम ये भी होता है प्रेम में )


और यही से शुरू होती एक नई जिंदगी ...कुछ अधूरी सी ..कुछ पूरी सी

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

क्योंकि
मैने तो सुना है
जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
और मैं जानती हूँ
तुम्हें प्रश्नचिन्ह पसन्द नहीं …………(एक आयाम ये भी होता है प्रेम में )

और यही से शुरू होती है एक नई जिंदगी कुछ अधूरी सी कुछ पूरी सी

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

हम्‍म
शेष रहा प्रेम

अरुन अनन्त ने कहा…

बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ लाजवाब प्रस्तुति बधाई स्वीकारें
अरुन शर्मा
www.arunsblog.in

Onkar ने कहा…

सही कहा प्रेम के बारे में

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-12-2012) के चर्चा मंच-१०८८ (आइए कुछ बातें करें!) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

satya, aapke prem sambandhit paribhashayen, dil ko chhooti hain.

Amrita Tanmay ने कहा…

प्रश्नचिन्ह लगा प्रेम सदा उत्तर खोजता है.

विभूति" ने कहा…

prem ki ek paribhasa jo apne bhaut khubsurat shabdo me di h....

Unknown ने कहा…

Lajwab

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
और मैं जानती हूँ,,

बहुत सुंदर भावमय पंक्तियाँ ....

recent post: बात न करो,

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम मिले यदि, फिर क्या चाहूँ?

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

प्रेम के और कितने आयाम दिखलाओगी वंदना...

hats off to ur talent
love
anu

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है...

बहुत सुंदर बात कही है .....

रचना दीक्षित ने कहा…

क्योंकि
मैने तो सुना है
जहाँ शेष रहता है वहाँ प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है
और मैं जानती हूँ
तुम्हें प्रश्नचिन्ह पसन्द नहीं.

प्रेम में प्रश्नचिन्ह कैसा. बेहतरीन भावपूर्ण कविता.