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बुधवार, 26 दिसंबर 2012

क्योंकि ………सब ठीक है

चलो क्रिसमस मनायें
नया साल मनायें
क्योंकि ………सब ठीक है
क्या हुआ जो किसी की दुनिया मिट गयी ………मगर मैं बच गया
क्या हुआ जो किसी का बलात्कार हुआ …………मगर मैं बच गया
क्या हुआ जो आन्दोलन बेअसर हुआ……………मेरा घर तो बच गया
क्या हुआ जो मै उनके साथ ना लडा ……………क्योंकि ये मेरी लडाई नहीं
क्या हुआ जो समाज बिगड गया ………………मगर मेरा तो कुछ ना बिगडा
क्या हुआ जो समयानुकूल ना कोई कदम उठा …………मैं तो घर पहुँच गया
क्या हुआ जो दोषारोपण हुआ …………मुझ पर तो ना इल्ज़ाम लगा
क्या हुआ जो व्यवस्था दूषित हुयी …………मगर मेरी इज़्ज़त तो बच गयी
जब तक मेरी ऐसी सोच रहेगी
मैं कहता रहूँगा …………सब ठीक है
और मनाता रहूँग़ा क्रिसमस नया साल उसी उल्लास के साथ
क्योंकि …………ऐसा कुछ ना मेरे साथ घटित हुआ
जब तक ये सोच ना बदलेगी
जब तक दूजे का दर्द ना अपना लगेगा
तब तक हर खास-ओ-आम यही कहेगा
सब ठीक है …………सब ठीक है

24 टिप्‍पणियां:

mridula pradhan ने कहा…

zaroori hai soch ko badalni......

Unknown ने कहा…

सोचने को मजबूर करती सशक्त रचना ।

कुमार राधारमण ने कहा…

माहौल ख़राब है। उत्साह नहीं रहा उत्सव का।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मैं ... सच कहा है इसी मैं के चलते समाज देश की कोई नहीं सोच रहा .. मैं इतना हावी हो चुका है ...

Ramakant Singh ने कहा…

बेहतरीन व्यंग समाज को राह दिखाती

इमरान अंसारी ने कहा…

वाह ......बहुत ही ज़बरदस्त।

बेनामी ने कहा…

शानदार लेखन,
जारी रहिये,
बधाई !!!

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

इस देश के प्रधानमंत्री के हिसाब से सब ठीक है।

Asha Lata Saxena ने कहा…

गहरे भाव लिए कविता है वन्दना जी |सशक्त लेखन |
आशा

Asha Lata Saxena ने कहा…

गहरे भाव लिए कविता है वन्दना जी |सशक्त लेखन |
आशा

विभूति" ने कहा…

sahi kaha aapne... hame ek sath hokar hi kisi ladaayi ko ladna hoga....

Unknown ने कहा…

शर्म करें की ये साल इस तरह बीता, कोशिश करें अगला साल ऐसा ना बीते हालात के साथ हम भी सुधरें... २०१३ में जिस क्षोभ को लेकर जा रहें हैं... उसमें शुभकामनाएं कैसे दें सिर्फ इतना ही कहेंगें अगला साल ऐसा ना हो...

Unknown ने कहा…

सशक्त रचना बेहतरीन व्यंग सशक्त रचनाजब तक ये सोच ना बदलेगी
जब तक दूजे का दर्द ना अपना लगेगा
तब हर खास-ओ-आम यही कहेगा
सब ठीक है …………सब ठीक है

pran sharma ने कहा…

vyangya khoob ubhraa hai is kavita

mein .

pran sharma ने कहा…

vyangya khoob ubhraa hai is kavita

mein .

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,सशक्त भाव,,

recent post : नववर्ष की बधाई

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत ही भाव-प्रवण कविता । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

सदा ने कहा…

बिल्‍कुल सही कहा आपने ... सार्थकता लिये सशक्‍त रचना

सादर

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

sashakt vyangya, bahut khoob.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सोच बदलनी होगी।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हर जगह बच निकलने की प्रवृत्ति हमें कहीं का नहीं रखेगी।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

अब 'उसका' नहीं रहना भी शायद 'उनके' लिये ठीक है :(

Onkar ने कहा…

सटीक रचना

रचना दीक्षित ने कहा…

सही प्रश्न उठाये है वंदना जी. सभी को विषय में अंतस से सोचना चाहिये.