जानते हो
एक अरसा हुआ
तुम्हारे आने की
आहट सुने
यूँ तो पदचाप
पहचानती हूँ मैं
बिना सुने भी
जान जाती हूँ मैं
मगर मेरी मोहब्बत
कब पदचापों की मोहताज हुई
जब तुम सोचते हो ना
आने की
मिलने की
मेरे मन में जवाकुसुम खिल जाता है
जान जाती हूँ
आ रहा है सावन झूम के
मगर अब तो एक अरसा हो गया
क्या वहाँ अब तक
सूखा पड़ा है
मेघों ने घनघोर गर्जन किया ही नहीं
या ऋतु ने श्रृंगार किया ही नहीं
जो तुम्हारा मौसम अब तक
बदला ही नहीं
या मेरे प्रेम की बदली ने
रिमझिम बूँदें बरसाई ही नहीं
तुम्हें प्रेम मदिरा में भिगोया ही नहीं
या तुम्हारे मन के कोमल तारों पर
प्रेम धुन बजी ही नहीं
किसी ने वीणा का तार छेड़ा ही नहीं
किसी उन्मुक्त कोयल ने
प्रेम राग सुनाया ही नहीं
कहो तो ज़रा
कौन सा लकवा मारा है
कैसे हमारे प्रेम को अधरंग हुआ है
क्यूँ तुमने उसे पंगु किया है
हे ..........ऐसी तो ना थी हमारी मोहब्बत
कभी ऋतुओं की मोहताज़ ना हुई
कभी इसे सावन की आस ना हुई
फिर क्या हुआ है
जो इतना अरसा बीत गया
मोहब्बत को बंजारन बने
जानते हो ना ...........
मेरे लिए सावन की पहली आहट हो तुम
मौसम की रिमझिम कर गिरती
पहली फुहार हो तुम
मेरी ज़िन्दगी का
मेघ मल्हार हो तुम
तपते रेगिस्तान में गिरती
शीतल फुहार हो तुम
जानते हो ना...........
मेरे लिए तो सावन की पहली बूँद
उसी दिन बरसेगी
और मेरे तपते ह्रदय को शीतल करेगी
वो ही होगी
मेरी पहली मोहब्बत की दस्तक
तुम्हारी पहली मौसमी आहट
जिस दिन तुम
मेरी प्रीत बंजारन की मांग अपनी मोहब्बत के लबों से भरोगे ...........
35 टिप्पणियां:
वाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...आभार
प्रेम से सराबोर आपकी रचना कोई पढ़ बस ले......खिंचा चला आएगा ....
:-)
अनु
जब आहात मिले तभी मौसम सुहाना हो जाये या यूं कहो कि सावन आ जाए ... बहुत सुंदर भाव
जब ज्यादा वक्त हो जाए,तो सतर्क हो जाना चाहिए।
जब वो मिले तभी सावन ..बहुत खूब.
सावन की उस बूँद का इंतज़ार ही प्रेम का आगमन है ...
बेहद सुन्दर और भाव से ओतप्रोत प्रस्तुति की है आपने बधाई
मन के भावों का सुंदर संम्प्रेषण,,,,
MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
जल ही जीवन है!
बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना!
इसको साझा करने के लिए आभार!
WAH , KYA BAAT HAI ` TUMHAAREE
PAHLEE MAUSAMEE AAHAT ` KEE !
श्रृंगार और वियोग दोनों का आलोडन है इस रचना में .बढ़िया प्रस्तुति बढिया बिम्ब और शब्द प्रयोग मोहब्बत के लबों पे ..... जो तेरा नाम आये ...हर सिम्त से पैगाम आएं .
वाह, बहुत ही सुन्दर
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको और सभी को मौसम कि इस पहली बहार की...
जानते हो ना ...........
मेरे लिए सावन की पहली आहट हो तुम
मौसम की रिमझिम कर गिरती
पहली फुहार हो तुम
मेरी ज़िन्दगी का
मेघ मल्हार हो तुम
तपते रेगिस्तान में गिरती
शीतल फुहार हो तुम
जानते हो ना...........
शीतल फुहार जो सावन की भी मोहताज नहीं जब आहट हो तभी घिर जाएँ बदरा बरस जाएँ बूंदे... बहुत सुन्दर रचना
बेहतरीन प्रस्तुति..
Aaha! Kitni madhur aur bhavuk rachana hai!
बहुत सुंदर शब्द विन्यास!!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 21 -06-2012 को यहाँ भी है
.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... कुछ जाने पहचाने तो कुछ नए चेहरे .
हम पर तो मौसम मेहरबान है | यह भीगा भीगा मौसम और इतनी सुदर कविता | मज़ा आ गया
सुन्दर भाव!
वाह ...बहुत सुन्दर !
waah!
ati sunder
प्रेम और आहट .... प्रस्फुटित मन
बेहद सुन्दर!
बहुत सुन्दर प्रेममयी
कोमल अहसास से भरी
बेहतरीन रचना...
:-)
बहुत सुन्दर प्रेमपगी अभिव्यक्ति...
प्रेम रस में डूबी रचना विरहिणि की आकुल मनुहार ।
बहुत खूबसूरती से पेश की गई रचना ..
आपके मन के आँगन में
भावों की खूबसूरत बरसात
होती रहती है,जिसकी रिमझिम फुहारों से
आपकी यह पोस्ट भी तरबतर हो
रही है.
बहुत बेहतरीन रचना....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
prem ras me dubi bahut hi sundar rachna ..........
सुंदर प्रेमपगी पंक्तियाँ....
कल 24/06/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
वाह मीठी मीठी सी आहट ....
बहुत प्यारी पोस्ट!
"प्रीत बंजारन की मांग का प्रेमी के लबों से भरा जाना
कितना कोमल अहसास है! जैसे कोई कह रहा हो :
" गुनगुनाती हुई आती हैं फलक से बूंदे
कोई बदली तेरी पाज़ेब से टकराई हो गोयाँ"
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