सुना था आज
मंगल , शुक्र
बृहस्पति और बुध का
अनोखा संयोग है
आस्मां में चमकेंगे
शाम के धुंधलके में
दो माह तक
मैंने भी बीनने
शुरू कर दिए
अपने हिस्से के दाने
शायद मुझे भी
मेरा सितारा मिल जाये
जो बिछड़ा था
कई जन्म पहले
और जिसे युगों से
मेरी रूह ढूँढ रही है
शायद आज संयोग
बन गया है
शायद आज आस का
दीप फिर जल गया है
शायद आज उम्र जल जाये
और आकाशीय घटना
दिल पर चस्पां हो जाये
इसी आस में कुछ बीज
डाले हैं घड़े में
देखें आकार ले पाती हैं या नहीं
क्या कहा ..........
ये युतियाँ
खगोलीय होती हैं
तो क्या
हृदयाकाश
बंजर ही रहता है
हाँ , शायद ........
इसीलिए
कुछ हिस्सों का
पटाक्षेप कभी नहीं होता
मंगल , शुक्र
बृहस्पति और बुध का
अनोखा संयोग है
आस्मां में चमकेंगे
शाम के धुंधलके में
दो माह तक
मैंने भी बीनने
शुरू कर दिए
अपने हिस्से के दाने
शायद मुझे भी
मेरा सितारा मिल जाये
जो बिछड़ा था
कई जन्म पहले
और जिसे युगों से
मेरी रूह ढूँढ रही है
शायद आज संयोग
बन गया है
शायद आज आस का
दीप फिर जल गया है
शायद आज उम्र जल जाये
और आकाशीय घटना
दिल पर चस्पां हो जाये
इसी आस में कुछ बीज
डाले हैं घड़े में
देखें आकार ले पाती हैं या नहीं
क्या कहा ..........
ये युतियाँ
खगोलीय होती हैं
तो क्या
हृदयाकाश
बंजर ही रहता है
हाँ , शायद ........
इसीलिए
कुछ हिस्सों का
पटाक्षेप कभी नहीं होता
18 टिप्पणियां:
"कुछ हिस्सों का पटाक्षेप कभी नहीं होता"
बिल्कुल सच कहा ... बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
हृदयाकाश कभी बंजर होता ही नही ,मेरे मित्र ने बंज़र की एक परिभाषा दी मन लगे तो
मिलाकर देखिये अपनी परिभाषा से कहीं भी ,कुछ भी, उग आये कभी भी बंज़र कहलाता है .......
कही सुनी बाते अपनी जगह भावनाए अति सशक्त लाजवाब
अपना सितारा आसमां में नहीं दिल के किसी कोने में टिमटिमाता मिलेगा ...
सुन्दर रचना है ...
हृदयाकाश
बंजर नहीं रहेगा
शायद आज संयोग
बन गया है
जो बीज डाले थे
आकार ले रहे हैं...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
सुन्दर उम्मीद भरी रचना !
सही कहा आपने।
सादर
बिलकुल सही ।
बिलकुल सही ।
बहुत बढिया!!
फ़ासिला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है
चाँद जब चमके ज़रा हाथ बढ़ा कर देखो।
सादर.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (12-062012) को चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
सही बात है पटाक्षेप कभी नहीं होता
एक सतत कथा है हृदय..
कहाँ से कहाँ तक पहुंचा दिया आपने इस कविता को. बहुत सुंदर.
AGAR DIL SE CHAHA HO KUCH TO JARUR PURI HOGI KISI N KISI ROOP ME.....BAHUT BADHIYA...
दिल की भूमि में बीज फूटेंगे.....प्रेम की बेल लहलहाएगी......
सुन्दर रचना...
अनु
कुछ हिस्से - बंजर कहो या सहनशील .... उनके आस पास सबकुछ ज्यों का त्यों होता है
कुछ हिस्सों का पटाक्षेप कभी नहीं होता
बिल्कुल सच कहा ... बेहतरीन अभिव्यक्ति
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