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सोमवार, 11 जून 2012

कुछ हिस्सों का पटाक्षेप कभी नहीं होता

सुना था आज
मंगल , शुक्र
बृहस्पति और बुध का
अनोखा संयोग है
आस्मां में चमकेंगे
शाम के धुंधलके में
दो माह तक
मैंने भी बीनने
शुरू कर दिए
अपने हिस्से के दाने
शायद मुझे भी
मेरा सितारा मिल जाये
जो बिछड़ा था
कई जन्म पहले
और जिसे युगों से
मेरी रूह ढूँढ रही है
शायद आज संयोग
बन गया है
शायद आज आस का
दीप फिर जल गया है
शायद आज उम्र जल जाये
और आकाशीय घटना
दिल पर चस्पां हो जाये
इसी आस में कुछ बीज
डाले हैं घड़े में
देखें आकार ले पाती हैं या नहीं
क्या कहा ..........
 ये युतियाँ
खगोलीय होती हैं
तो क्या
हृदयाकाश
बंजर ही रहता है
हाँ , शायद ........
इसीलिए
कुछ हिस्सों का
पटाक्षेप कभी नहीं होता

18 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

"कुछ हिस्सों का पटाक्षेप कभी नहीं होता"
बिल्‍कुल सच कहा ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Ramakant Singh ने कहा…

हृदयाकाश कभी बंजर होता ही नही ,मेरे मित्र ने बंज़र की एक परिभाषा दी मन लगे तो
मिलाकर देखिये अपनी परिभाषा से कहीं भी ,कुछ भी, उग आये कभी भी बंज़र कहलाता है .......
कही सुनी बाते अपनी जगह भावनाए अति सशक्त लाजवाब

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अपना सितारा आसमां में नहीं दिल के किसी कोने में टिमटिमाता मिलेगा ...
सुन्दर रचना है ...

संध्या शर्मा ने कहा…

हृदयाकाश
बंजर नहीं रहेगा
शायद आज संयोग
बन गया है
जो बीज डाले थे
आकार ले रहे हैं...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

मुकेश पाण्डेय चन्दन ने कहा…

सुन्दर उम्मीद भरी रचना !

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

सही कहा आपने।

सादर

बेनामी ने कहा…

बिलकुल सही ।

बेनामी ने कहा…

बिलकुल सही ।

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया!!

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

फ़ासिला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है
चाँद जब चमके ज़रा हाथ बढ़ा कर देखो।

सादर.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (12-062012) को चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

सही बात है पटाक्षेप कभी नहीं होता

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

एक सतत कथा है हृदय..

रचना दीक्षित ने कहा…

कहाँ से कहाँ तक पहुंचा दिया आपने इस कविता को. बहुत सुंदर.

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

AGAR DIL SE CHAHA HO KUCH TO JARUR PURI HOGI KISI N KISI ROOP ME.....BAHUT BADHIYA...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

दिल की भूमि में बीज फूटेंगे.....प्रेम की बेल लहलहाएगी......

सुन्दर रचना...

अनु

रश्मि प्रभा... ने कहा…

कुछ हिस्से - बंजर कहो या सहनशील .... उनके आस पास सबकुछ ज्यों का त्यों होता है

Unknown ने कहा…

कुछ हिस्सों का पटाक्षेप कभी नहीं होता

बिल्‍कुल सच कहा ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति