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सोमवार, 21 मई 2012

बहुत कस के बंध बाँधे हैं मैंने इस बार

हाँ 
मत खोलना 
मेरी मोहब्बत के लिबासों को
बहुत कस के बंध बाँधे हैं मैंने इस बार
सदियाँ गुजर गयीं 
लिबास बदलते बदलते
मगर मोहब्बत मेरी अधूरी ही रही
एक  जन्म की प्यास 
हर जन्म में अधूरी ही रही
कपडे फटते रहे 
नए चढ़ते रहे 
मगर मोहब्बत को ना मुकाम मिला
वो हमेशा वस्त्रहीन ही होती रही
मगर इस बार 
हर जन्म की अधूरी
बिछड़ी मोहब्बत के हर रेशे को
हर कतरे को 
इस तरह संजोया है
और बांधा है कि
अगले जन्म की मोहताज ना रहे 
रेशम के तारों से नहीं बांधा 
रेशमी तार थे ना
कब फिसल जाते थे और
कब खुल जाते थे 
पता ही नहीं चलता था
तभी कहती हूँ
इस बार लिबास नहीं बदलेगी 
मेरी मोहब्बत
क्योंकि
बांधा है मैंने उसे 
सूत के कच्चे तारों से
और कच्चे तारों से बने धागे ही मजबूत होते हैं
उनके लिबास उम्र भर नहीं उधड़ते ..........है ना !!!!

19 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

बांधा है मैने

उसे सूत के कच्‍चे तारों से

वाह ..अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...आभार ।

pran sharma ने कहा…

KYA KHOOBSOORAT AUR MAJBOOT ZAZBAA
HAI !

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

खूबसूरत कविता.. प्रेम को संजोना कोई आपसे सीखे...

दीपिका रानी ने कहा…

एक नयापन और कशिश है इस कविता में..

विभूति" ने कहा…

सब कुछ कह गयी पंक्तिया....... बहुत ही खूबसूरती स वयक्त किया है मन के भावो को.......

shikha varshney ने कहा…

अनुपम बिम्ब..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वाह...!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुंदर भाव वंदना जी.....
हाँ सच कहा है सादे सूत से बंधे बन्ध ही मजबूत रहते हैं......

अनु

रश्मि प्रभा... ने कहा…

यूँ तुम खोलना भी चाहो तो अबकी खुलेंगे नहीं .... आँखों की बूंदों से , प्यार भरी दुआओं से जो बाँधा है

Ramakant Singh ने कहा…

सचमुच रेशमी धागे से सूती धागों में ज्यादा ताकत होती है .
यही तो प्यार पांश है

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

बंध मज़बूत न हुए तो फि‍र बंध कैसे

मनोज कुमार ने कहा…

कुछ नए बिम्बों के साथ अनूठा प्रयोग।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह ,,,, बहुत अच्छी भाव पुर्ण प्रस्तुति,,,,

RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....

mridula pradhan ने कहा…

kya khoobsurat kavita hai......

Aruna Kapoor ने कहा…

बहुत सुन्दर 'प्रेम' अभिव्यक्ति!

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

‘रेशमी तारों‘ और ‘सूती तारों‘ जैसे नवीन प्रतीकों के प्रयोग ने कविता के कथ्य को सजीव कर दिया है।

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

प्रेम के बहुत सुन्दर भाव हैं । लेकिन जरूरी नही कि वे प्रतिफलित हों ही । हाँ आप इन भावों को अनवरत बनाए रखें । यही प्रेम की नियति है ।

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut pyaari nazm.. mohabbat ko baand hi li jaaye ..

vijay

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गाँठ न इतनी कस भी जाये, लेने को कुछ साँस न आये..