बांध ली है डोरी
अब मर्ज़ी तुम्हारी
नैया मेरी पार लगाओ
या मझधार मे डुबा दो मोरी
प्रीत की रीत मै नही जानूँ
पूजा पाठ की विधि ना जानूँ
और कोई राह ना जानूँ
सांवरे इक तेरे नाम के सिवा
और ना कोई नाम ना जानूँ
अब मर्ज़ी तुम्हारी
हाथ पकडो या छोड दो मुरारी
मै तो जोगन बनी तिहारी
मुझे ना भाये दुनिया सारी
मोहिनी रूप दिखा जाओ
मुझे अपनी दासी बना जाओ
श्याम प्रीत की रीत दिखा जाओ
मुझे अपनी दुल्हन बना जाओ
श्याम मिलन को आ जाओ
कांकर पाथर बना जाओ
चरण स्पर्श करा जाओ
मुझ अहिल्या को भी तार जाओ
श्याम दिव्य जोत जगा जाओ
इक बार विरहिनी के ताप को मिटा जाओ
श्याम इक बार तो आ जाओ
प्यारे इक बार दरस दिखा जाओ
अब मर्ज़ी तुम्हारी
नैया मेरी पार लगाओ
या मझधार मे डुबा दो मोरी
प्रीत की रीत मै नही जानूँ
पूजा पाठ की विधि ना जानूँ
और कोई राह ना जानूँ
सांवरे इक तेरे नाम के सिवा
और ना कोई नाम ना जानूँ
अब मर्ज़ी तुम्हारी
हाथ पकडो या छोड दो मुरारी
मै तो जोगन बनी तिहारी
मुझे ना भाये दुनिया सारी
तुम बिन ठौर ना पाये दीवानी
भई बावरी प्रीत बेचारी
दर दर भटके मीरा बेचारी
कहीं ना मिलते कृष्ण मुरारी
कैसे आये चैन जिया मे
श्याम बिन अंखियाँ बरस रही हैं
श्याम दरस को तरस रही हैं
श्याम रंग मे डूब गयी हैं
श्याम ही श्याम हो गयी हैं
भई बावरी प्रीत बेचारी
दर दर भटके मीरा बेचारी
कहीं ना मिलते कृष्ण मुरारी
कैसे आये चैन जिया मे
श्याम बिन अंखियाँ बरस रही हैं
श्याम दरस को तरस रही हैं
श्याम रंग मे डूब गयी हैं
श्याम ही श्याम हो गयी हैं
और कोई रंग नही है
और कोई ढंग नही है
जीवन तुम बिन व्यर्थ गया है
जीने का ना कोई अर्थ रहा है
श्याम सुधि ना बिसरायो
इक बार दरस दिखा जाओ
ह्रदयकमल मे आ जाओ
मोहिनी रूप दिखा जाओ
मुझे अपनी दासी बना जाओ
श्याम प्रीत की रीत दिखा जाओ
मुझे अपनी दुल्हन बना जाओ
श्याम मिलन को आ जाओ
कांकर पाथर बना जाओ
चरण स्पर्श करा जाओ
मुझ अहिल्या को भी तार जाओ
श्याम दिव्य जोत जगा जाओ
इक बार विरहिनी के ताप को मिटा जाओ
श्याम इक बार तो आ जाओ
प्यारे इक बार दरस दिखा जाओ
33 टिप्पणियां:
बहुत ही खुबसूरत वर्णन....
कृष्णमयी अभिव्यक्ति....सुन्दर भक्ति भाव...
bhaut hi khubsurat abhivaykti...
बहुत ही भावपूर्ण रचना……कंबखत युग प्रभाव से अछूते नही हैं……वरना श्याम जी के अवश्य दर्शन होते…।बस अब तो प्रार्थना यही करें कि गोस्वामी तुलसी दास जी की चौपाई की एक पंक्ति का अनुसरण हो वही बहुतहै; "कलजुग केवल नाम अधारा"……जन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाई……
kamaal ki kavita hai ye...
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
प्रेम न जाने रीति कोई भी।
बहुत सुन्दर भावनाएं पिरोई हैं आपने....
कृष्ण जन्माष्टमी की सादर बधाईयाँ....
lajwaab....prastuti.
jay shreekrishna
कान्हा के प्रेमरंग में रंगी मीरा की पुकार कविता में गूंज रही है।
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं।
कोमल भावनाओं से सजी श्याम को समर्पित प्रस्तुति. जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
श्याम रंग में रची पगी रचना।
Wah ! Vandana,wah!
बहुत सुंदर, मनोहारी भाव .... ....जन्माष्टमी के पावन पर्व की शुभकामनायें
Bahut sundar rachna Vandana Ji.. aabhar..
कृष्णमयी रचना ..भक्ति भाव में डूबी सुन्दर प्रस्तुति
जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ
bahut sunder.
सुन्दर भक्तिपूर्ण रचना...जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें...
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनायें आपको
सुन्दर भक्ति भाव...जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
अति सुंदर।
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
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लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
ये तो प्रेम की पराकाष्ठा है की श्याम को पाने के लिए कोई भी रूप स्वीकार है ...बहुत सुंदर ..
है ना ये कितनी अजीब बात की जब में आपके ब्लॉग में जा रही थी तो पढ़ा की "माखनचोर , तुम लोगे कब अवतार?" मन में एकदम से विचार आया की क्या कृष्ण अवतरित हो चुके हैं ... आज जो अन्ना कर रहे हैं क्या वो अवतारी पुरुष नहीं ? आगे पढ़ा तो बहुत अच्छा लगा की आपको भी यही लगा .... इतने सुंदर विचार ....मन अभिभूत हो गया ........
बहुत सुंदर.... ....जन्माष्टमी के पावन पर्व की शुभकामनायें
बहुत खूबसूरत रचना, शुभकामनाएं.
बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति....
भावमय करते शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
bahut sundar rachna ,ishwar -bhakt ka bandhan atoot hota hai .janmashtami ki badhai .
श्याम को बहुत दिल से याद किया है आपने, इस सुंदर कविता के माध्यम से. शुक्रिया.
kya baat hai ,aaj bahut dino baad bloging me aana hua vandna ji
प्रेम की अटूट अभिव्यक्ति राधा श्याम... सुन्दर रचना
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