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रविवार, 21 अगस्त 2011

प्रेम दीवानी

सांवरे की प्रीत संग मैने 
बांध ली है डोरी
अब मर्ज़ी तुम्हारी
नैया मेरी पार लगाओ 
या मझधार मे डुबा दो मोरी
प्रीत की रीत मै नही जानूँ
पूजा पाठ की विधि ना जानूँ
और कोई राह ना जानूँ
सांवरे इक तेरे नाम के सिवा
और ना कोई नाम ना जानूँ
अब मर्ज़ी तुम्हारी
हाथ पकडो या छोड दो मुरारी
मै तो जोगन बनी तिहारी
मुझे ना भाये दुनिया सारी




तुम बिन  ठौर ना पाये दीवानी
भई बावरी प्रीत बेचारी
दर दर भटके मीरा बेचारी
कहीं ना मिलते कृष्ण मुरारी
कैसे आये चैन जिया मे
श्याम बिन अंखियाँ बरस रही हैं
श्याम दरस को तरस रही हैं
श्याम रंग मे डूब गयी हैं
श्याम ही श्याम हो गयी हैं
 
और कोई रंग नही है
और कोई ढंग नही है
जीवन तुम बिन व्यर्थ गया है
जीने का ना कोई अर्थ रहा है
श्याम सुधि ना बिसरायो
इक बार दरस दिखा जाओ
ह्रदयकमल मे आ जाओ



मोहिनी रूप दिखा जाओ
मुझे अपनी दासी बना जाओ
श्याम प्रीत की रीत दिखा जाओ
मुझे अपनी दुल्हन बना जाओ
श्याम मिलन को आ जाओ
कांकर पाथर बना जाओ
चरण स्पर्श करा जाओ
मुझ अहिल्या को भी तार जाओ
श्याम दिव्य जोत जगा जाओ
इक बार विरहिनी के ताप को मिटा जाओ
श्याम इक बार तो आ जाओ
प्यारे इक बार दरस दिखा जाओ


33 टिप्‍पणियां:

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत वर्णन....

Maheshwari kaneri ने कहा…

कृष्णमयी अभिव्यक्ति....सुन्दर भक्ति भाव...

सागर ने कहा…

bhaut hi khubsurat abhivaykti...

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण रचना……कंबखत युग प्रभाव से अछूते नही हैं……वरना श्याम जी के अवश्य दर्शन होते…।बस अब तो प्रार्थना यही करें कि गोस्वामी तुलसी दास जी की चौपाई की एक पंक्ति का अनुसरण हो वही बहुतहै; "कलजुग केवल नाम अधारा"……जन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाई……

बेनामी ने कहा…

kamaal ki kavita hai ye...

http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

वाणी गीत ने कहा…

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम न जाने रीति कोई भी।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

बहुत सुन्दर भावनाएं पिरोई हैं आपने....
कृष्ण जन्माष्टमी की सादर बधाईयाँ....

Dev ने कहा…

lajwaab....prastuti.

jay shreekrishna

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

कान्हा के प्रेमरंग में रंगी मीरा की पुकार कविता में गूंज रही है।
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं।

रचना दीक्षित ने कहा…

कोमल भावनाओं से सजी श्याम को समर्पित प्रस्तुति. जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें

मनोज कुमार ने कहा…

श्याम रंग में रची पगी रचना।

kshama ने कहा…

Wah ! Vandana,wah!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर, मनोहारी भाव .... ....जन्माष्टमी के पावन पर्व की शुभकामनायें

Unknown ने कहा…

Bahut sundar rachna Vandana Ji.. aabhar..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कृष्णमयी रचना ..भक्ति भाव में डूबी सुन्दर प्रस्तुति


जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ

mridula pradhan ने कहा…

bahut sunder.

संध्या शर्मा ने कहा…

सुन्दर भक्तिपूर्ण रचना...जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें...

ASHOK BAJAJ ने कहा…

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

ASHOK BAJAJ ने कहा…

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनायें आपको

PRIYANKA RATHORE ने कहा…

सुन्दर भक्ति भाव...जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अति सुंदर।

जन्‍माष्‍टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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लो जी, मैं तो डॉक्‍टर बन गया..
क्‍या साहित्‍यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?

anita agarwal ने कहा…

ये तो प्रेम की पराकाष्ठा है की श्याम को पाने के लिए कोई भी रूप स्वीकार है ...बहुत सुंदर ..

anita agarwal ने कहा…

है ना ये कितनी अजीब बात की जब में आपके ब्लॉग में जा रही थी तो पढ़ा की "माखनचोर , तुम लोगे कब अवतार?" मन में एकदम से विचार आया की क्या कृष्ण अवतरित हो चुके हैं ... आज जो अन्ना कर रहे हैं क्या वो अवतारी पुरुष नहीं ? आगे पढ़ा तो बहुत अच्छा लगा की आपको भी यही लगा .... इतने सुंदर विचार ....मन अभिभूत हो गया ........

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुंदर.... ....जन्माष्टमी के पावन पर्व की शुभकामनायें

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना, शुभकामनाएं.

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति....

सदा ने कहा…

भावमय करते शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut sundar rachna ,ishwar -bhakt ka bandhan atoot hota hai .janmashtami ki badhai .

रचना दीक्षित ने कहा…

श्याम को बहुत दिल से याद किया है आपने, इस सुंदर कविता के माध्यम से. शुक्रिया.

बेनामी ने कहा…

kya baat hai ,aaj bahut dino baad bloging me aana hua vandna ji

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

प्रेम की अटूट अभिव्यक्ति राधा श्याम... सुन्दर रचना