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रविवार, 7 अगस्त 2011

कुछ कश्तियाँ अकेले बहने को मजबूर होती हैं

जाने कैसे पहुँच गयी
महासागर मे बहते बहते
लहरों के तांडव पर
अपने वजूद को संभालने
की कशमकश में

वो कहते हैं
तुम दूर हो गयी हो
इंसानी वजूद से

तुम्हारे चारो तरफ़
फ़ैला सागर
तुम्हे समेट रहा है
अपने आगोश मे



और तुम अकेले
किनारे पर खडे
मुझे  और मेरी
ज़िन्दगी की हलचलों
को इस किनारे से उस किनारे तक
देख रहे हो
मगर क्या तुम्हे
मै वहाँ मिली?
दिखा मेरा वजूद
जो ना जाने कब का
सागर के अंतस्थल मे
विलीन हो गया है


तुम होकर भी नही हो
और मै ………
देखो ना मै बची ही नही
तुम्हारे बिना………
इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं

कहीं देखा है तुमने

शापित कश्तियों का अकेलापन

40 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

यह अकेलापन कभी-कभी हमारा चुनाव होता है कभी-कभी विवशता।

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

कश्ती कोई तन्हा नहीं होती
धरती पर
मौसम की तरह
बदलते हैं हालात
कि इंसान भी
उपजा है
धरती से ही
और खाता है
धरती से ही
और बसेरा उसका
धरती पे ही

धरती,
जो समेटे है
अपने अंक में
हर सागर को
गागर की तरह
एक मां की भांति

टूटी कश्तियों के साथ भी
चलती हैं लहरें
बहता है पवन
झूमता है गगन
चाहे कश्ती कोई
यह सब जाने ना

आपकी रचना पढ़कर अच्छा लगा और यह भाव मन में आए शायद कि आपके दिल को भाए ?

कश्ती कोई तन्हा नहीं होती

रचना दीक्षित ने कहा…

इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं.

जिंदगी का सफर अपनी नियति के मुताबिक़ चलता है. सुंदर कविता. आभार.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

स्थितियां जो भी हो, चुनाव अंतत: हमारा अपना ही होता है, बहुत भावपूर्ण रचना.

रामराम.

संध्या शर्मा ने कहा…

इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं
सच है जिंदगी लडती रहती है अपने अस्तित्व के लिए चाहे विवशता हो या फिर शापित होकर ... भावपूर्ण रचना ... मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ

Unknown ने कहा…

Shaapit kishtiyan..achchha likha hai

संजय भास्‍कर ने कहा…

उम्मीदों पर दुनिया कायम है...
बहुत बढ़िया रचना है....

संजय भास्‍कर ने कहा…

मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहती कश्तियों में रहने की आदत पड़ गयी है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

तुम होकर भी नही हो
और मै ………
देखो ना मै बची ही नही
तुम्हारे बिना………
इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं

भावों को बहुत मार्मिक शब्द दिए हैं ..अच्छी प्रस्तुति

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

अच्छी रचना है!
--
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

Sunil Kumar ने कहा…

कश्तियों को लहरों का साथ मिलता है , सुंदर रचना अच्छी लगी

smshindi By Sonu ने कहा…

बहुत सुंदर रचना ! लाजवाब प्रस्तुती!

आपके पास दोस्तो का ख़ज़ाना है,
पर ये दोस्त आपका पुराना है,
इस दोस्त को भुला ना देना कभी,
क्यू की ये दोस्त आपकी दोस्ती का दीवाना है

⁀‵⁀) ✫ ✫ ✫.
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☻/ღ˚ •。* ˚ ˚✰˚ ˛★* 。 ღ˛° 。* °♥ ˚ • ★ *˚ .ღ 。.................
/▌*˛˚ღ •˚HAPPY FRIENDSHIP DAY MY FRENDS ˚ ✰* ★
/ .. ˚. ★ ˛ ˚ ✰。˚ ˚ღ。* ˛˚ 。✰˚* ˚ ★ღ

!!मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये!!

फ्रेंडशिप डे स्पेशल पोस्ट पर आपका स्वागत है!
मित्रता एक वरदान

शुभकामनायें

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कहीं देखा है तुमने
शापित कश्तियों का अकेलापन

शापित कश्तियों के अकेलेपन को समझना बहुत मुश्किल है।
---------
कल 08/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

mridula pradhan ने कहा…

मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं.
theek kah rahi hain aap......

Rajesh Kumari ने कहा…

man ke gahan bhaavon ko darshaati hui sunder kavita.mitrta divas ki badhaai.

विभूति" ने कहा…

दिल को छु गयी....

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

"शापित कश्तियों का अकेलापन"
वाह!! बहुत ही खुबसूरत भावाभिव्यक्ति....
सादर...

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर मनोभाव....

Amit Chandra ने कहा…

शानदार रचना। एकाकी जीवन का सही चित्रण।

रचना दीक्षित ने कहा…

आपकी कविता कादम्बनी में अभी अभी पढ़ी सो आपको बधाई देने चली आई.
शुभकामनायें

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत खरी बात कह दी आपने।

------
ब्‍लॉगसमीक्षा की 27वीं कड़ी!
आखिर इस दर्द की दवा क्‍या है ?

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं.

Kya khoob shabd chune hain vandnaji.... Behtreen rachna...

Roshi ने कहा…

kabhi kabhi koi kasti akele hi toofan se gugarti hai

शरद कोकास ने कहा…

कश्ती और सागर के बिम्ब का बेहतरीन प्रयोग है ।

बेनामी ने कहा…

इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं.

bahut hi sunder bhav , man ko chhu gayi..

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

फ्रेंडशिप डे की शुभकामनाये

इन जैसे मुददों पर विचार करने के लिए
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आपका स्वागत है।
http://www.hbfint.blogspot.com/

वाणी गीत ने कहा…

कश्तियों की व्यथा को शब्द दिए आपने , अकेलेपन में भी अपना मैं तो साथ है ही ना !

vijay kumar sappatti ने कहा…

बहुत सुन्दर नज़्म ... जीवन कि व्यथा को संतुलित शब्दों में समा दिया ...

great going ...

सागर ने कहा…

bhaut hi khubsurat...

vidhya ने कहा…

अच्छी रचना है!
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

बेनामी ने कहा…

बहुत खूबसूरत........भावुक करते जज़्बात |

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

'तुम होकर भी नहीं हो
और मैं ........
देखो ना मैं बची ही नहीं
तुम्हारे बिना.....'
...................समर्पित प्रेम भावों की अद्भुत अभिव्यक्ति

सदा ने कहा…

वाह ..बहुत ही बढि़या ...।

Dr Varsha Singh ने कहा…

मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...

Unknown ने कहा…

किश्तिया कभी अकेले नहीं होती लहरें उसके साथ होती है विपरीत बहाव के बाद भी , खूबसूरत जज्बात

बेनामी ने कहा…

har baar ek nayi umda rachna..
vandna ji
aabhar

Dinesh pareek ने कहा…

मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
आज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

स्वाति ने कहा…

भावपूर्ण रचना....

Udan Tashtari ने कहा…

किश्ती सागर...उम्दा चित्रण उपमाओं से!!!