जाने कैसे पहुँच गयी
महासागर मे बहते बहते
लहरों के तांडव पर
अपने वजूद को संभालने
की कशमकश में
वो कहते हैं
तुम दूर हो गयी हो
इंसानी वजूद से
तुम्हारे चारो तरफ़
फ़ैला सागर
तुम्हे समेट रहा है
अपने आगोश मे
और तुम अकेले
किनारे पर खडे
मुझे और मेरी
ज़िन्दगी की हलचलों
को इस किनारे से उस किनारे तक
देख रहे हो
मगर क्या तुम्हे
मै वहाँ मिली?
दिखा मेरा वजूद
जो ना जाने कब का
सागर के अंतस्थल मे
विलीन हो गया है
तुम होकर भी नही हो
और मै ………
देखो ना मै बची ही नही
तुम्हारे बिना………
इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं
कहीं देखा है तुमने
शापित कश्तियों का अकेलापन
महासागर मे बहते बहते
लहरों के तांडव पर
अपने वजूद को संभालने
की कशमकश में
वो कहते हैं
तुम दूर हो गयी हो
इंसानी वजूद से
तुम्हारे चारो तरफ़
फ़ैला सागर
तुम्हे समेट रहा है
अपने आगोश मे
और तुम अकेले
किनारे पर खडे
मुझे और मेरी
ज़िन्दगी की हलचलों
को इस किनारे से उस किनारे तक
देख रहे हो
मगर क्या तुम्हे
मै वहाँ मिली?
दिखा मेरा वजूद
जो ना जाने कब का
सागर के अंतस्थल मे
विलीन हो गया है
तुम होकर भी नही हो
और मै ………
देखो ना मै बची ही नही
तुम्हारे बिना………
इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं
कहीं देखा है तुमने
शापित कश्तियों का अकेलापन
40 टिप्पणियां:
यह अकेलापन कभी-कभी हमारा चुनाव होता है कभी-कभी विवशता।
कश्ती कोई तन्हा नहीं होती
धरती पर
मौसम की तरह
बदलते हैं हालात
कि इंसान भी
उपजा है
धरती से ही
और खाता है
धरती से ही
और बसेरा उसका
धरती पे ही
धरती,
जो समेटे है
अपने अंक में
हर सागर को
गागर की तरह
एक मां की भांति
टूटी कश्तियों के साथ भी
चलती हैं लहरें
बहता है पवन
झूमता है गगन
चाहे कश्ती कोई
यह सब जाने ना
आपकी रचना पढ़कर अच्छा लगा और यह भाव मन में आए शायद कि आपके दिल को भाए ?
कश्ती कोई तन्हा नहीं होती
इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं.
जिंदगी का सफर अपनी नियति के मुताबिक़ चलता है. सुंदर कविता. आभार.
स्थितियां जो भी हो, चुनाव अंतत: हमारा अपना ही होता है, बहुत भावपूर्ण रचना.
रामराम.
इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं
सच है जिंदगी लडती रहती है अपने अस्तित्व के लिए चाहे विवशता हो या फिर शापित होकर ... भावपूर्ण रचना ... मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ
Shaapit kishtiyan..achchha likha hai
उम्मीदों पर दुनिया कायम है...
बहुत बढ़िया रचना है....
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
बहती कश्तियों में रहने की आदत पड़ गयी है।
तुम होकर भी नही हो
और मै ………
देखो ना मै बची ही नही
तुम्हारे बिना………
इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं
भावों को बहुत मार्मिक शब्द दिए हैं ..अच्छी प्रस्तुति
अच्छी रचना है!
--
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
कश्तियों को लहरों का साथ मिलता है , सुंदर रचना अच्छी लगी
बहुत सुंदर रचना ! लाजवाब प्रस्तुती!
आपके पास दोस्तो का ख़ज़ाना है,
पर ये दोस्त आपका पुराना है,
इस दोस्त को भुला ना देना कभी,
क्यू की ये दोस्त आपकी दोस्ती का दीवाना है
⁀‵⁀) ✫ ✫ ✫.
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/▌*˛˚ღ •˚HAPPY FRIENDSHIP DAY MY FRENDS ˚ ✰* ★
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!!मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये!!
फ्रेंडशिप डे स्पेशल पोस्ट पर आपका स्वागत है!
मित्रता एक वरदान
शुभकामनायें
कहीं देखा है तुमने
शापित कश्तियों का अकेलापन
शापित कश्तियों के अकेलेपन को समझना बहुत मुश्किल है।
---------
कल 08/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं.
theek kah rahi hain aap......
man ke gahan bhaavon ko darshaati hui sunder kavita.mitrta divas ki badhaai.
दिल को छु गयी....
"शापित कश्तियों का अकेलापन"
वाह!! बहुत ही खुबसूरत भावाभिव्यक्ति....
सादर...
बहुत सुन्दर मनोभाव....
शानदार रचना। एकाकी जीवन का सही चित्रण।
आपकी कविता कादम्बनी में अभी अभी पढ़ी सो आपको बधाई देने चली आई.
शुभकामनायें
बहुत खरी बात कह दी आपने।
------
ब्लॉगसमीक्षा की 27वीं कड़ी!
आखिर इस दर्द की दवा क्या है ?
इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं.
Kya khoob shabd chune hain vandnaji.... Behtreen rachna...
kabhi kabhi koi kasti akele hi toofan se gugarti hai
कश्ती और सागर के बिम्ब का बेहतरीन प्रयोग है ।
इस बहते सागर के
उठते ज्वार भाटों मे
कश्तियाँ डूब जाया करती हैं
अपना वजूद खो देती हैं
मगर कुछ कश्तियाँ
अकेले बहने को मजबूर होती हैं.
bahut hi sunder bhav , man ko chhu gayi..
फ्रेंडशिप डे की शुभकामनाये
इन जैसे मुददों पर विचार करने के लिए
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आपका स्वागत है।
http://www.hbfint.blogspot.com/
कश्तियों की व्यथा को शब्द दिए आपने , अकेलेपन में भी अपना मैं तो साथ है ही ना !
बहुत सुन्दर नज़्म ... जीवन कि व्यथा को संतुलित शब्दों में समा दिया ...
great going ...
bhaut hi khubsurat...
अच्छी रचना है!
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत खूबसूरत........भावुक करते जज़्बात |
'तुम होकर भी नहीं हो
और मैं ........
देखो ना मैं बची ही नहीं
तुम्हारे बिना.....'
...................समर्पित प्रेम भावों की अद्भुत अभिव्यक्ति
वाह ..बहुत ही बढि़या ...।
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
किश्तिया कभी अकेले नहीं होती लहरें उसके साथ होती है विपरीत बहाव के बाद भी , खूबसूरत जज्बात
har baar ek nayi umda rachna..
vandna ji
aabhar
मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
आज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
भावपूर्ण रचना....
किश्ती सागर...उम्दा चित्रण उपमाओं से!!!
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