देखो आज
मुझे जरूरत थी
मगर तुम नहीं हो
ऐसा क्यूँ होता है
हमेशा .............
कभी तो सुन सको मेरे दिल की जुबान
कभी तो बांध सको रेत को मुट्ठी में
कभी तो लगा दो गांठ चुनरी में
कभी तो फाँस बिना चुभे भी निकाल दो
देखो आज तुम्हारी ...........
तुम्हारे बिन
कुम्हला गयी है
देखो कहीं ऐसा ना हो
जब तुम आओ
और देर हो जाये
तुम्हारी ........
ज़िन्दगी की धड़कन सो जाये
और तुम कहो
जानां ...........इतनी जल्दी क्या थी जाने की
मैं आ तो रहा था ..............
मुझे जरूरत थी
मगर तुम नहीं हो
ऐसा क्यूँ होता है
हमेशा .............
कभी तो सुन सको मेरे दिल की जुबान
कभी तो बांध सको रेत को मुट्ठी में
कभी तो लगा दो गांठ चुनरी में
कभी तो फाँस बिना चुभे भी निकाल दो
देखो आज तुम्हारी ...........
तुम्हारे बिन
कुम्हला गयी है
देखो कहीं ऐसा ना हो
जब तुम आओ
और देर हो जाये
तुम्हारी ........
ज़िन्दगी की धड़कन सो जाये
और तुम कहो
जानां ...........इतनी जल्दी क्या थी जाने की
मैं आ तो रहा था ..............
24 टिप्पणियां:
जिन्दगी की धड़कन सो जाये
और तुम कहो ....
बहुत ही गहराई लिये हुये प्रत्येक शब्द ...।
Shabdon ki lahren dubati hain,sundar rachana
दिल से निकली रचना ...यहाँ भी दोष दूसरे पर ही की जल्दी क्या थी :):)
itna sunder upalambh......kya baat hai.
गहरी अनुभूति लिए सुन्दर रचना....
देर न हो जाए कहीं ...
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! हार्दिक शुभकामनायें !
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
बेहतरीन
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कल 29/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है-
आपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
uf khudaya, great rachna !
sach me kahin der na ho jaye.....
जानां ...........इतनी जल्दी क्या थी जाने की
मैं आ तो रहा था ..............
baut khoob...aabhar
मैं पागल था जो सपने सजा रहा था, लेकिन उसे तो जाने की जल्दी थी....:-/
gaharee soch...dil se nikalee hui aawaaj
दिल से निकली सुन्दर रचना.
और तुम कहो
इतनी जल्दी क्या थी जाने की
मैं आ तो रहा था ..............
गहरी अनुभूति........बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना
बहुत ही अनुभूतिपरक कविता...........
हृदय के स्तर तक.....
बहुत गहरी सोच...गहरे विचार...गहरी रचना...
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना
aabhar vandnaji
आने में कहीं देर न हो जाए...कितनी सुंदरता से आपने इस बात को शब्दों में बाँध कर कविता का रूप दे दिया
कमाल के भाव लिए पंक्तियाँ .....गहन अभिव्यक्ति लिए रचना
देर ना हो जाये कहीं देर ना हो जाये.
सुंदर भाव की कविता.
बहुत सुन्दर भाव हैं वन्दना जी। बधाई...
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