दिल को मेरे सुकूँ आ जाये
धडकनों को गज़ल बनाओ यारों
शायद गुलाब कोई खिल जाये
उनके चौबारे को ऐसे सजा दो यारों
शायद् फिर कोई शहीद हो जाये
उसके लबों पर मुस्कुराहट सजा दो यारों
चाहे लहू मेरा बह जाये
दर्द के बिस्तर पर सुला दो मुझको
बस एक बार वो हँस जाये
कोई अहले -करम फ़रमाओ यारों
वो जी जाये और मैं मर जाऊँ
कुछ उसके भरम तोड दो यारों
चाहे मै शहर--ए-बदर हो जाऊँ
कुछ तो उसको सुकून मिलेगा यारों
चाहे हस्ती ही मेरी मिट जाये
30 टिप्पणियां:
वाह क्या बात है ..दिल को छूती हुई रचना.
वाह क्या बात है ..दिल को छूती हुई रचना.
शाबाश वंदना जी,
आख़िरकार आपने ग़ज़ल लिखने की कोशिश की है, कुछ शेर उम्दा बन पड़े है.........उम्मीद है और निखार आएगा ......शुभकामनाये |
कोई ऐसा शय खोजो....सुकून आए , कोई बात बने , नींद आ जाये
बेहद संवेदनापूर्ण रचना। पढ़कर आनंद आ गया।
कुछ तो उसको सुकून मिलेगा यारों
चाहे हस्ती ही मेरी मिट जाये
बहुत ही भावाकूल रचना...अति सुन्दर
धडकनों को गज़ल बनाओ यारों
शायद गुलाब कोई खिल जाये
अद्भुत! धड़कन जब ग़ज़ल बनती है तो सारा जग गुनगुना उठता है।
गीली मिट्टी पर पैरों के निशान!!, “मनोज” पर, ... देखिए ...ना!
कोई ऐसी शय खोजो यारों
दिल को मेरे सुकूँ आ जाये.....वाह क्या बात है
अंतिम शेर तो रुला दी. खुद को फ़ना करके और को खुश रखने का जज्बा प्रेम में ही होता है. बहुत खूब.
गहरे उतरती रचना।
धडकनों को गज़ल बनाओ यारों
शायद गुलाब कोई खिल जाये
गज़ल पढ़ कर गुलाब खिल ही जायेगा ...
जितना मैं जानती हूँ इसे गज़ल नहीं कह सकते ...दो शेर में लास्ट में जाऊं कर दिया है ..यहाँ भी जाये होता तो कुछ गज़ल जैसा हो जाता शायद ...
नज़्म कहूँगी...खूबसूरत नज़्म ..:):)
aapne to bahut hee sundar tareeke se baat kahi.dil ko choo gayi vandana ji......aur aapka hardik abhinandan aur dhanyvaad....aap mere blog me aa kar mujhey kritaarth kar gayin..dhanyvaad..
कोई इसी शय खोजो ... की हस्ती मेरी... बहुत बढ़िया प्रस्तुति हमेशा की तरह ...
अच्छा प्रयास है । सुन्दर अभिव्यक्ति ।
कोई ऐसी शय खोजो यारों
दिल को मेरे सुकूँ आ जाये
धडकनों को गज़ल बनाओ यारों
शायद गुलाब कोई खिल जाये
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बिटिया की महिमा अन्नत है।
बिटिया से घर में बसन्त है।।
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बहुत ही प्यारी अभिव्यक्ति प्रकट की है आज तो!
आँय!!!!! मिट के दिल ही ना रहेगा तो दिल को सुकून कैसा???? :P जज्बातों को सुन्दर शब्दों का पहनावा दिया मैम..
Phir ek bahut,bahut khoobsoorat rachana!
बहुत सशक्त रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत अच्छी प्रस्तुति........दिल को छूती हुई रचना..............
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wow ..awesome !
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वाह वाह! बहुत खूब कहा.
दिल को छूती हुई संवेदनापूर्ण रचना.......बेहद सुन्दर
बहुत अच्छी ग़ज़ल।
हिन्दी का प्रचार राष्ट्रीयता का प्रचार है।
हिंदी और अर्थव्यवस्था, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
उम्दा भाव। अच्छी ग़ज़ल।
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अच्छी कविता है..... बहुत खूब!
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वाह वंदनाजी
बहुत खूबसूरत अहसास |
आपकी गजल पढ़कर मुकेशजी का गया गीत यद् आ गया
किसी की मुस्कुराहतो पे हो निसार
किसी का दर्द ले सके तो ले उधार
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
जीना इसी का नाम है ....
लाजवाब .
पोला की बधाई भी स्वीकार करें .
आपके परवाज़ ए तखय्युल की दाद देता हूँ|
हां ग़ज़ल शिल्प के धरातल पर थोड़ी हलकी ज़रूर है|
बहुत खूब ! सुन्दर !
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