तेरे मन की
खुली खिड़की
में झाँकता
अक्स मेरा
तेरे मनोभावों
की हर तह
को खोलता
परत- दर- परत
तेरे अहसासों
को छूता
ज्यों चाँदनी का
स्पर्श हो
तेरे मन की
हर तह में
प्रेम के अथाह
सागर की
अनगिनत
उछलती
मचलती
टकराती
और टूट कर
बिखरती
लहरों का
खामोश
रुदन
तेरे सूखे
हुए आँसुओं
की कहानी
सुनाता है
किसी परत में
दबे तेरे
असफल प्रेम
की पुकार
का करुण
क्रन्दन
तेरी आत्मा की
बेकली का
दीदार कराता है
और किसी
परत में
तेरे दर्द की
पराकाष्ठा मिली
जहाँ तूने
प्रेम की
कब्रगाह में
वो बुत बनाया
जिसकी खुशबू
के आगे
पुष्प भी
महकना छोड़ दे
जिसकी
शिल्पकारी में
शिल्पकार भी
मूर्ती गढ़ना
छोड़ दे
बुतपरस्ती
का ऐसा
मक़ाम बनाया
मुझे वहाँ
खुदा ना मिला
बस तूने
मुझे ही
खुदा बनाया
ये तेरे प्रेम
का नगर
तेरी मोहब्बत
का मंदिर बना
जहाँ आकर
मेरा अक्स भी
हार गया
और तेरे प्रेम के
बुत में समां गया
22 टिप्पणियां:
मेरा अक्स भी
हार गया
और तेरे प्रेम के
बुत में समां गया
Vandana bahuthi sundar! Apna blog nahi khol paa rahi hun...tumtak e-mail ke zarye pahunchi!
वाह भई वंदना जी बहुत सुंदर
bahut hi khubsurat rachna...
achha laga padhkar..
yun hi likhte rahein.....
अच्छी रचना. आपके ब्लॉग में आपकी रचनाएं पढना अच्छा लगा.
बहुत बढ़िया!!
शिल्पकार भी
मूर्ती गढ़ना
छोड़ दे
बुतपरस्ती
का ऐसा
मक़ाम बनाया
मुझे वहाँ
खुदा ना मिला
बस तूने
मुझे ही
खुदा बनाया
ये तेरे प्रेम
का नगर
तेरी मोहब्बत
का मंदिर बना
जहाँ आकर
मेरा अक्स भी
हार गया
और तेरे प्रेम के
बुत में समां गया
BHUT KHUB VANDAN JI BEHTREEN RACHNA
SAADAR
PRAVEEN PATHIK
9971969084
वंदनाजी !
बहुत ही सुंदर पाठ ! आपकी रचनाओं कों पढने के बाद मन कों शुकून सा मिल जाता है.
मुझे कई दिनों बाद आपकी कविता कों पढने का अवसर मिला ! थोड़ा व्यस्त था!
तेरे मन की
खुली खिड़की
में झाँकता
अक्स मेरा
तेरे मनोभावों
की हर तह
को खोलता
परत- दर- परत
तेरे अहसासों
को छूता
ज्यों चाँदनी का
स्पर्श हो
एक बार पुन धन्यवाद सुंदर प्रेममय रचना के लिए!
bahut khoob Vandana ji...
बहुत खूब वन्दना जी.
वंदना मैम.. अंतस में कहीं बहुत भीतर तक असर छोड़ गई ये रचना.
प्रेम की पराकाष्ठा का अनुभव कराती एक उत्कृष्ट रचना ! बहुत सुन्दर !
achhi lagi nazm ....is ke ant ne mann ko bandh liya hai ..
बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ!
behtareen abhivyakti
बहुत नाजुक भाव हैं। कविता तीन बार पढ़नी पड़ी।
बधाई।
वाह- वाह,बहुतअच्छा
वाह- वाह,बहुतअच्छा
bahut khoob
vandana ji !!
kya baat hai
kahan se bhavon ka sailav umad raha hai,
bahut khoob
प्रेम रस लिए अच्छी रचना है .... आपकी हर रचना दिल से लिखी होती है ...
dil k ehsaso ko sunder motiyo me piroya he. badhayi.
अच्छी रचना के लिए वधाई .. एक खुलापन लिए हुए भाव और उनके रंग एक अलग किस्म की छटा बिखेर रहे हैं
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