हाँ , मैंने
खुशबू को
क़ैद कर लिया
तेरी सोमरस
छलकाती बातों को
मीठी -मीठी
मुस्कानों को
हिरनी से चंचल
नैनों की चितवन को
बिजली से मचलते
पैरों की थिरकन को
तेरे मिश्री घुले
मधुर अल्फाजों को
मधुर- मधुर
गुंजार करते गीतों को
तेरे कभी दौड़ते ,
भागते ,कभी हाँफते
पलों को
हर पल
प्रफुल्लित
उल्लसित
पुलकित
जीवन को भरपूर
जीने की तमन्ना को
तेरे छोटे -छोटे
तारों में सिमटे
रंगीन ख्वाबों को
मेरे दर्द में
तड़पकर
तेरी अंखियों में
उभरे मोतियों को
तेरे भीने -भीने
अहसास की महक को
तेरा उछलकर
बादलों को
छूने की चाह को
तेरा मचलकर
मेरी गोद में
सिर रखकर
रूठने की अदा को
अपनी यादों में
समेट लिया
हाँ , लाडली
मेरे आँगन
की गोरैया
मैंने खुशबू को
क़ैद कर लिया
36 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना है ... हमेशा की तरह आप एक बेहतरीन कविता प्रस्तुत किये हैं !
बहुत ही ज़्यादा खुबसूरत... रचना !!!
तेरा मचलकर
मेरी गोद में
सिर रखकर
रूठने की अदा को
अपनी यादों में
समेट लिया
मैंने खुशबू को
क़ैद कर लिया
ati sundar.
हाँ , लाडली
मेरे आँगन
की गोरैया
मैंने खुशबू को
क़ैद कर लिया
एक माँ के हृदय से निकले उद्दगार बहुत करीने से सजाये हैं....बहुत सुन्दर भाव ....एक एक शब्द जैसे बेटी को नज़रों में बसा कर लिखा है....
बेहतरीन कविता ; शब्दों से जैसे चित्र खेंच दिया ; अद्भुत"
बेहद खूबसूरत व उम्दा ।
वाह वंदना जी । एक मां के बेटी के प्रति प्यार की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
आपने सभी कुछ तो कैद कर लिया!
मगर हम तो आजाद हैं!
इन सबको केद में से निकालने के
उपाय खोजने में लग गये हैं!
bahut sunder mamatv bharee rachana ke liye badhai....
माँ की ममता को तो कोई मोल नही है!
सारे जग में इससे मीठे बोल नही हैं!!
हाँ , लाडली
मेरे आँगन
की गोरैया
मैंने खुशबू को
क़ैद कर लिया
माँ ने जब खुशबू कैद किया और अधिक खुशबू फैल गयी, माँ बेटी के सामूहिक वजूद का.
आगे कुछ नहीं कहूँगा
vandana ji kash! yai rachna mai likh pata?
Aah Vandana! Umr bhar tumhare wajood me khushboo samayee rahe yah dua hai meri!
nice
वाह भई वन्दना जी बहुत सुंदर लिखा है.
sach me pari si beti ke liye jeenat si kavita..
बेटी का गीत ....
बहुत खूब, वन्दना जी ! अच्छी कविता !
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 09.05.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/
आदरणीय वंदना जी ,
मैंने आपके पास अपनी एक कृष्ण प्रेम से सबंधित मार्गदर्शन माँगा हैं . विषय थोडा specific हैं इसीलिए मुझे मेल में लिखना पड़ा . आपकी नीचे वाली आई डी पर
rosered8flower@gmail.com
कृपया बताये की ये आप तक पहुंचा की नहीं . मेरी आई डी ये हैं
virender.zte@gmail.com.
कृष्ण कृपा आप पर सदा रहे .
वीरेन्द्र
बहुत सुन्दर ....एक माँ के प्यार और भावनाओं को बड़े ही सहज शब्दों में व्यक्त कर दी हैं !
बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत सुन्दर रचना है
...बहुत सुन्दर,बेहतरीन रचना,प्रसंशनीय!!!
aur in khushbuon ko sirhane sanjo liya hai
bhut khub vandna ji vaatsly ki bhavna se oot pret kavita
saadar
praveen pathik
9971969084
hi !! vandana ji
behad khoobsurat rachna hai
mere dard ko teri ankhiyon se jhalkate dekha hai
wah ji wah
mast hai
lajavav
bahut sunder upmao alankaro aur shobdo se susajjit kiya aur maan ke pyar bhare dil ne sab kuchh keh dala. ati sunder.
वाह .. यह कोरी रचना नही ...... एक माँ के ह्रदय को जिया है आपने ...
बेहद सुंदरतम रचना.
रामराम.
खूबसूरत..हमने भी इसे अपनी पेन ड्राइव में कैद कर लिया.
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'शब्द सृजन की ओर' पर 10 मई 1857 की याद में..आप भी शामिल हों.
भावों से भरी रचना
पहले मुझे लगा...
प्रियतम के लिए लिखी गयी है! क्या करूं, दिमाग ही ऐसा है!
पूरी पढ़ी तो पता चला कि पुत्री के लिए है!
अनुपम!
Vatsalya ki khoosboo ne sachmuch sanson ko chu liya.badhai.
कलम चूम लेने का मन है । रचना भावों के उत्कर्ष की व्यञ्ञना है ।
बेहतरीन। इससे ज्यादा और क्या कहें इस खूबसूरत रचना के लिए।
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कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
वाह! बहुत ही सुन्दर रचना है!
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