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शनिवार, 8 मई 2010

हाँ , मैंने खुशबू को क़ैद कर लिया

हाँ , मैंने 
खुशबू को 
क़ैद कर लिया 
तेरी सोमरस 
छलकाती बातों को
मीठी -मीठी 
मुस्कानों को
हिरनी से चंचल
नैनों की चितवन को 
बिजली से मचलते 
पैरों की थिरकन को
तेरे मिश्री घुले 
मधुर अल्फाजों को 
मधुर- मधुर
गुंजार करते गीतों को
तेरे  कभी दौड़ते , 
भागते ,कभी हाँफते 
पलों को
हर पल
प्रफुल्लित 
उल्लसित
पुलकित 
जीवन को भरपूर
जीने की तमन्ना को
तेरे छोटे -छोटे
तारों में सिमटे 
रंगीन ख्वाबों को
मेरे दर्द में
तड़पकर
तेरी अंखियों में
उभरे मोतियों को 
तेरे भीने -भीने
अहसास की महक को
तेरा उछलकर 
बादलों को 
छूने  की चाह को
तेरा मचलकर 
मेरी गोद में
सिर रखकर
रूठने की अदा को
अपनी यादों में
समेट लिया
हाँ , लाडली
मेरे आँगन 
की गोरैया
मैंने खुशबू को
क़ैद कर लिया

36 टिप्‍पणियां:

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है ... हमेशा की तरह आप एक बेहतरीन कविता प्रस्तुत किये हैं !

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

बहुत ही ज़्यादा खुबसूरत... रचना !!!

Saleem Khan ने कहा…

तेरा मचलकर
मेरी गोद में
सिर रखकर
रूठने की अदा को
अपनी यादों में
समेट लिया
मैंने खुशबू को
क़ैद कर लिया


ati sundar.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हाँ , लाडली
मेरे आँगन
की गोरैया
मैंने खुशबू को
क़ैद कर लिया

एक माँ के हृदय से निकले उद्दगार बहुत करीने से सजाये हैं....बहुत सुन्दर भाव ....एक एक शब्द जैसे बेटी को नज़रों में बसा कर लिखा है....

Amitraghat ने कहा…

बेहतरीन कविता ; शब्दों से जैसे चित्र खेंच दिया ; अद्भुत"

Mithilesh dubey ने कहा…

बेहद खूबसूरत व उम्दा ।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

वाह वंदना जी । एक मां के बेटी के प्रति प्यार की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपने सभी कुछ तो कैद कर लिया!
मगर हम तो आजाद हैं!
इन सबको केद में से निकालने के
उपाय खोजने में लग गये हैं!

Apanatva ने कहा…

bahut sunder mamatv bharee rachana ke liye badhai....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

माँ की ममता को तो कोई मोल नही है!
सारे जग में इससे मीठे बोल नही हैं!!

M VERMA ने कहा…

हाँ , लाडली
मेरे आँगन
की गोरैया
मैंने खुशबू को
क़ैद कर लिया
माँ ने जब खुशबू कैद किया और अधिक खुशबू फैल गयी, माँ बेटी के सामूहिक वजूद का.
आगे कुछ नहीं कहूँगा

Akhilesh Shukla ने कहा…

vandana ji kash! yai rachna mai likh pata?

kshama ने कहा…

Aah Vandana! Umr bhar tumhare wajood me khushboo samayee rahe yah dua hai meri!

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह भई वन्दना जी बहुत सुंदर लिखा है.

दीपक 'मशाल' ने कहा…

sach me pari si beti ke liye jeenat si kavita..

सुशीला पुरी ने कहा…

बेटी का गीत ....

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बहुत खूब, वन्दना जी ! अच्छी कविता !

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 09.05.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/

वीरेंद्र रावल ने कहा…

आदरणीय वंदना जी ,
मैंने आपके पास अपनी एक कृष्ण प्रेम से सबंधित मार्गदर्शन माँगा हैं . विषय थोडा specific हैं इसीलिए मुझे मेल में लिखना पड़ा . आपकी नीचे वाली आई डी पर
rosered8flower@gmail.com

कृपया बताये की ये आप तक पहुंचा की नहीं . मेरी आई डी ये हैं
virender.zte@gmail.com.
कृष्ण कृपा आप पर सदा रहे .
वीरेन्द्र

Kusum Thakur ने कहा…

बहुत सुन्दर ....एक माँ के प्यार और भावनाओं को बड़े ही सहज शब्दों में व्यक्त कर दी हैं !

एक बेहद साधारण पाठक ने कहा…

बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत सुन्दर रचना है

कडुवासच ने कहा…

...बहुत सुन्दर,बेहतरीन रचना,प्रसंशनीय!!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

aur in khushbuon ko sirhane sanjo liya hai

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

bhut khub vandna ji vaatsly ki bhavna se oot pret kavita
saadar
praveen pathik
9971969084

Renu Sharma ने कहा…

hi !! vandana ji
behad khoobsurat rachna hai
mere dard ko teri ankhiyon se jhalkate dekha hai
wah ji wah
mast hai
lajavav

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

bahut sunder upmao alankaro aur shobdo se susajjit kiya aur maan ke pyar bhare dil ne sab kuchh keh dala. ati sunder.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह .. यह कोरी रचना नही ...... एक माँ के ह्रदय को जिया है आपने ...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बेहद सुंदरतम रचना.

रामराम.

KK Yadav ने कहा…

खूबसूरत..हमने भी इसे अपनी पेन ड्राइव में कैद कर लिया.

***************
'शब्द सृजन की ओर' पर 10 मई 1857 की याद में..आप भी शामिल हों.

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

भावों से भरी रचना

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

पहले मुझे लगा...
प्रियतम के लिए लिखी गयी है! क्या करूं, दिमाग ही ऐसा है!
पूरी पढ़ी तो पता चला कि पुत्री के लिए है!
अनुपम!

sandhyagupta ने कहा…

Vatsalya ki khoosboo ne sachmuch sanson ko chu liya.badhai.

अरुणेश मिश्र ने कहा…

कलम चूम लेने का मन है । रचना भावों के उत्कर्ष की व्यञ्ञना है ।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बेहतरीन। इससे ज्यादा और क्या कहें इस खूबसूरत रचना के लिए।
--------
कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?

nilesh mathur ने कहा…

वाह! बहुत ही सुन्दर रचना है!